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अतिक्रमण मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर व निगम आयुक्त को हाईकोर्ट का नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने चांदनी चौक में अतिक्रमण नहीं हटाने से नाराज है. इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर और नगर निगम आयुक्त (Police Commissioner and Municipal Commissioner) को तलब किया है. दोनों को 28 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

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दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Feb 11, 2022, 3:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहने पर दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त को तलब किया है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 28 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि नगर निगम और दिल्ली पुलिस ने केवल चुनिंदा अतिक्रमण हटाने का काम किया है. इससे चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अतिक्रमण से स्थायी रूप से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है. हॉकर्स और वेंडर्स वहां भी अतिक्रमण कर रहे हैं जो नो हॉकिंग और नो वेंडिंग जोन में भी अतिक्रमण कर चुके हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस समस्या का हल कैसे हो ये बताएं.

नवंबर 2021 में कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में हर किसी को आकर खोमचा लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. ऐसा करने पर जंगल राज हो जाएगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को सही तरीके से लागू किया जाए. कोर्ट ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वो स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट का पालन करते हुए स्ट्रीट वेंडिंग की योजना बनाएं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील संजीव राली ने 1989 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने सौदान सिंह बनाम नई दिल्ली नगरपालिका कमेटी के फैसले का जिक्र करते हुए किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर फुटपाथ पर किए जा रहे व्यवसाय को रेगुलेट किया जाता है तो उसे केवल इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता है कि वो चलने की जगह पर हैं. राली ने कहा कि व्यवसाय करना मौलिक अधिकार है लेकिन वेंडिंग के लिए लाईसेंसिंग की प्रक्रिया होनी चाहिए.

25 अक्टूबर को कोर्ट ने कहा था कि हम दिल्ली को लंदन बनाने की बात करते हैं लेकिन उसके मुताबिक बिना योजना बनाए ये संभव कैसे होगा. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के लिए योजना बनाने पर ध्यान दिए बिना हम इसे लंदन की तरह कैसे बना सकते हैं. स्ट्रीट वेंडर्स ने एक्ट की सुविधाओं का लाभ लेने के लिए कई याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की हैं. अब स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका भी दाखिल कर दी गई है. कोर्ट ने कहा था कि फुटपाथ पर खोमचे लगाने से निचले तबके के कई लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन हमें स्ट्रीट वेंडर्स और किराये का दुकान चलाने वालों के अधिकारों के बीच संतुलन कायम करना होगा.

यह भी पढ़ें- SC की सख्ती के बावजूद दिल्ली की 48,000 झुग्गियां रेलवे के लिए बाधा

कोर्ट ने कहा था कि आप कनाट प्लेस या नेहरु प्लेस चले जाइए, वहां पैदल चलना भी मुश्किल होगा क्योंकि वेंडर्स वहां जगह घेरे रहते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट पर विचार करेंगे. अगर हम पाएंगे कि यह ठीक है तो ये आगे भी रहेगा. अगर इसमें कुछ कमियां होंगी तो हम सुझाव देंगे. कोर्ट ने कहा था कि हम स्ट्रीट वेंडर्स के खिलाफ नहीं हैं, हम अपनी रोजाना की जरुरतों के लिए किराना की दुकान में जाते हैं और स्ट्रीट फूड के लिए वेंडर्स के पास जाते हैं. हम रोजाना की जरुरतों के लिए मॉल में नहीं जाते हैं. हम केवल ये चाहते हैं कि स्ट्रीट वेंडर्स की वजह से अनावश्यक भीड़ नहीं हो.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहने पर दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त को तलब किया है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 28 फरवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि नगर निगम और दिल्ली पुलिस ने केवल चुनिंदा अतिक्रमण हटाने का काम किया है. इससे चांदनी चौक इलाके में हॉकर्स और वेंडर्स के अतिक्रमण से स्थायी रूप से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है. हॉकर्स और वेंडर्स वहां भी अतिक्रमण कर रहे हैं जो नो हॉकिंग और नो वेंडिंग जोन में भी अतिक्रमण कर चुके हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस समस्या का हल कैसे हो ये बताएं.

नवंबर 2021 में कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में हर किसी को आकर खोमचा लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. ऐसा करने पर जंगल राज हो जाएगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को सही तरीके से लागू किया जाए. कोर्ट ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वो स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट का पालन करते हुए स्ट्रीट वेंडिंग की योजना बनाएं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील संजीव राली ने 1989 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने सौदान सिंह बनाम नई दिल्ली नगरपालिका कमेटी के फैसले का जिक्र करते हुए किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर फुटपाथ पर किए जा रहे व्यवसाय को रेगुलेट किया जाता है तो उसे केवल इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता है कि वो चलने की जगह पर हैं. राली ने कहा कि व्यवसाय करना मौलिक अधिकार है लेकिन वेंडिंग के लिए लाईसेंसिंग की प्रक्रिया होनी चाहिए.

25 अक्टूबर को कोर्ट ने कहा था कि हम दिल्ली को लंदन बनाने की बात करते हैं लेकिन उसके मुताबिक बिना योजना बनाए ये संभव कैसे होगा. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के लिए योजना बनाने पर ध्यान दिए बिना हम इसे लंदन की तरह कैसे बना सकते हैं. स्ट्रीट वेंडर्स ने एक्ट की सुविधाओं का लाभ लेने के लिए कई याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की हैं. अब स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका भी दाखिल कर दी गई है. कोर्ट ने कहा था कि फुटपाथ पर खोमचे लगाने से निचले तबके के कई लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन हमें स्ट्रीट वेंडर्स और किराये का दुकान चलाने वालों के अधिकारों के बीच संतुलन कायम करना होगा.

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कोर्ट ने कहा था कि आप कनाट प्लेस या नेहरु प्लेस चले जाइए, वहां पैदल चलना भी मुश्किल होगा क्योंकि वेंडर्स वहां जगह घेरे रहते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट पर विचार करेंगे. अगर हम पाएंगे कि यह ठीक है तो ये आगे भी रहेगा. अगर इसमें कुछ कमियां होंगी तो हम सुझाव देंगे. कोर्ट ने कहा था कि हम स्ट्रीट वेंडर्स के खिलाफ नहीं हैं, हम अपनी रोजाना की जरुरतों के लिए किराना की दुकान में जाते हैं और स्ट्रीट फूड के लिए वेंडर्स के पास जाते हैं. हम रोजाना की जरुरतों के लिए मॉल में नहीं जाते हैं. हम केवल ये चाहते हैं कि स्ट्रीट वेंडर्स की वजह से अनावश्यक भीड़ नहीं हो.

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