नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) को निर्देश दिया है कि दिव्यांगों को अपनी सभी नियुक्तियों में चार प्रतिशत आरक्षण दें. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि श्रवण बाधित दिव्यांगों को एक प्रतिशत आरक्षण देना अनिवार्य है. उन्होंने दिव्यांगों को आरक्षण देने पर केवीएस की आलोचना की. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केवीएस ने दिसंबर 2022 में भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करते समय केंद्र सरकार द्वारा जारी कानून और नवीनतम अधिसूचना की अनदेखी की.
हाईकोर्ट ने केवीएस को निर्देश दिया कि दिव्यांगों के लिए चार प्रतिशत खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया छह महीने के अंदर पूरी कर ली जाए. साथ ही कोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को निर्देश दिया है कि इन नियुक्तियों में आरक्षण के लिए दिशा-निर्देश जारी करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि अलग-अलग विभागों में इस मामले को लेकर अलग-अलग राय है.
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कानून का नहीं हो रहा पालनः हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि दिव्यांगों को लेकर कानून का पालन नहीं हो रहा है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग का रूप विपरीत है. इसकी वजह से दिव्यांगों को संवैधानिक अदालत का रुख करना पड़ता है. हाईकोर्ट दो मामलों में पर सुनवाई कर रहा है. एक मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है और दूसरा नेशनल एसोसिएशन ऑफ डीफ ने दायर किया है.
बता दें, केवीएस की आंतरिक समिति की सिफारिश दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016 के प्रावधानों के साथ ही केंद्र सरकार की अधिसूचना के विपरीत है. सुनवाई के दौरान केवीएस में तर्क दिया कि आरक्षण के मुद्दे पर उसकी एक समिति ने दिव्यांग व्यक्तियों की एक निश्चित श्रेणी को शिक्षण कार्य न देने की सिफारिश की थी.