नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज की मांग को गुरुवार को मान लिया. कोर्ट ने स्नातक कोर्सेज में ईसाई अल्पसंख्यक छात्रों के दाखिले के लिए सीयूईटी स्कोर के लिए 85 प्रतिशत और साक्षात्कार के लिए 15 प्रतिशत वेटेज अपनाने की अनुमति दे दी. हालांकि, यह व्यवस्था गैर अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स के लिए मान्य नहीं होगी. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय गैर-अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के प्रवेश के लिए एकमात्र पात्रता मानदंड के रूप में केवल सीयूईटी के प्राप्त अंकों को ही अपनाए.
कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था एक अंतरिम उपाय है. दरअसल, कॉलेज ने कोर्ट में दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यक कोटा में दाखिले के लिए भी सिर्फ सीयूईटी स्कोर ही मान्य होगा. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा है कि 12 सितंबर 2022 के फैसले के अनुसार तय की गई प्रवेश नीति का शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए पालन किया जाएगा. सेंट स्टीफंस कॉलेज सीयूईटी में प्राप्त अंकों को अपनाएगा.
हाईकोर्ट में दी थी चुनौतीः सेंट स्टीफंस ने दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के 8 दिसंबर 2022 के फैसले और 30 दिसंबर 2022 को जारी एक अधिसूचना को अधिकार क्षेत्र से बाहर और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी. इस पर अंतरिम राहत देते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि 12 सितंबर 2022 के फैसले में उसके द्वारा तय की गई प्रवेश नीति को अपनाया जाए. उस फैसले में कहा गया था कि सेंट स्टीफंस कॉलेज अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों के प्रवेश के लिए सीयूईटी के अलावा साक्षात्कार आयोजित करने का अपना अधिकार रखता है.
कोर्ट ने कहा कि 8 दिसंबर 2022 को हुई डीयू कार्यकारी परिषद की बैठक के मिनट्स और 30 दिसंबर 2022 की अधिसूचना को संयुक्त रूप से पढ़ने से प्रथम दृष्टया तर्क का पूर्ण अभाव दिखता है. उत्तरदाताओं द्वारा और विवादित निर्णय लेते समय उनकी ओर से दिमाग का उपयोग न करने का संकेत मिलता है. अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह मामला बनता है कि यदि अंतरिम राहत नहीं दी गई तो सेंट स्टीफंस को अपूरणीय क्षति होगी और सुविधा का संतुलन भी उसके पक्ष में था. इसलिए ये याचिकाएं स्वीकार की जाती हैं. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेंट स्टीफेंस कालेज उचित समय पर दाखिले की सूची बनाए.
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