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एयर इंडिया के विनिवेश के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज - Subramanian Swamy bjp leader

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने का अनुरोध करने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया है.

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Published : Jan 6, 2022, 2:17 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 2:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने को लेकर दायर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दिया है (delhi high court dismissed Subramanian Swamy plea). चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.

चार नवंबर को कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ये केंद्र सरकार का नीतिगत मसला है. उन्होंने कहा था कि एयर इंडिया का सौ फीसदी विनिवेश कर दिया गया है जिसे टाटा समूह ने 18 हजार करोड़ रुपये में खरीदा है. हालांकि अभी टाटा को सुपुर्द किये जाने की प्रक्रिया जारी है. मेहता ने कहा कि 2017 में विनिवेश को लेकर फैसला लिया जा चुका था. एयर इंडिया काफी नुकसान में है और उस पर काफी कर्ज है.

स्वामी की ओर से वकील सत्या सभरवाल ने याचिका में कहा था कि एयर इंडिया के विनिवेश की पूरी प्रक्रिया की सीबीआई जांच का दिशानिर्देश जारी किया जाए. बता दें कि केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को टाटा के साथ में देने की घोषणा की है। टाटा समूह ने एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ रुपए में निविदा प्रक्रिया के जरिए हासिल किया है. स्वामी ने कहा था कि विनिवेश प्रक्रिया पूरे तरीके से मनमाना है और वो जनहित में नहीं है. टाटा समूह को एयर इंडिया देने के लिए पूरी विनिवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है. एयर इंडिया की कीमत कम आंकी गई.

टाटा समूह (TATA group) की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि निविदा प्रक्रिया बंद हो चुकी है. शेयरों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. ये सब कुछ सार्वजनिक है. 31 मार्च तक हस्तांतरण की पूरी प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. अब इस याचिका को दायर करने का कोई मतलब नहीं है. साल्वे ने कहा था कि एयरलाईंस का व्यवसाय काफी प्रतिस्पर्द्धी है. यहां तक कि टाटा समूह भी इसे लेकर नर्वस है कि वो इतनी रकम दे पाएगा कि नहीं. साल्वे ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई तथ्य नहीं पेश किया है जिससे पता चले कि भ्रष्टाचार हुआ है.

पढ़ें : Air India के विनिवेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित, छह जनवरी को आएगा आदेश

महत्वपूर्ण है कि एयर इंडिया पहले टाटा के पास थी जिसे बाद में केंद्र सरकार ने अधिगृहित कर लिया था. केंद्र सरकार ने टाटा की ओर से एयर इंडिया की निविदा सफलता पूर्वक हासिल करने के बाद कहा था कि किसी भी कर्मचारी को एक साल तक नौकरी से निकाला नहीं जाएगा. अगर टाटा समूह को कर्मचारियों की छंटनी की जरुरत पड़ेगी तो उसे वीआरएस का विकल्प देना होगा.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने को लेकर दायर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दिया है (delhi high court dismissed Subramanian Swamy plea). चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.

चार नवंबर को कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ये केंद्र सरकार का नीतिगत मसला है. उन्होंने कहा था कि एयर इंडिया का सौ फीसदी विनिवेश कर दिया गया है जिसे टाटा समूह ने 18 हजार करोड़ रुपये में खरीदा है. हालांकि अभी टाटा को सुपुर्द किये जाने की प्रक्रिया जारी है. मेहता ने कहा कि 2017 में विनिवेश को लेकर फैसला लिया जा चुका था. एयर इंडिया काफी नुकसान में है और उस पर काफी कर्ज है.

स्वामी की ओर से वकील सत्या सभरवाल ने याचिका में कहा था कि एयर इंडिया के विनिवेश की पूरी प्रक्रिया की सीबीआई जांच का दिशानिर्देश जारी किया जाए. बता दें कि केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को टाटा के साथ में देने की घोषणा की है। टाटा समूह ने एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ रुपए में निविदा प्रक्रिया के जरिए हासिल किया है. स्वामी ने कहा था कि विनिवेश प्रक्रिया पूरे तरीके से मनमाना है और वो जनहित में नहीं है. टाटा समूह को एयर इंडिया देने के लिए पूरी विनिवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है. एयर इंडिया की कीमत कम आंकी गई.

टाटा समूह (TATA group) की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि निविदा प्रक्रिया बंद हो चुकी है. शेयरों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. ये सब कुछ सार्वजनिक है. 31 मार्च तक हस्तांतरण की पूरी प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. अब इस याचिका को दायर करने का कोई मतलब नहीं है. साल्वे ने कहा था कि एयरलाईंस का व्यवसाय काफी प्रतिस्पर्द्धी है. यहां तक कि टाटा समूह भी इसे लेकर नर्वस है कि वो इतनी रकम दे पाएगा कि नहीं. साल्वे ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई तथ्य नहीं पेश किया है जिससे पता चले कि भ्रष्टाचार हुआ है.

पढ़ें : Air India के विनिवेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित, छह जनवरी को आएगा आदेश

महत्वपूर्ण है कि एयर इंडिया पहले टाटा के पास थी जिसे बाद में केंद्र सरकार ने अधिगृहित कर लिया था. केंद्र सरकार ने टाटा की ओर से एयर इंडिया की निविदा सफलता पूर्वक हासिल करने के बाद कहा था कि किसी भी कर्मचारी को एक साल तक नौकरी से निकाला नहीं जाएगा. अगर टाटा समूह को कर्मचारियों की छंटनी की जरुरत पड़ेगी तो उसे वीआरएस का विकल्प देना होगा.

Last Updated : Jan 6, 2022, 2:38 PM IST
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