नई दिल्ली : स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पेंशन योजना के तहत दिए जाने वाले पेंशन के बकाया राशि को जारी करने की मांग करने वाली एक महिला की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र का रुख पूछा है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने याचिका पर नोटिस जारी किया और केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया.
याचिकाकर्ता महिला ने कहा कि उसकी सास को केंद्र की स्वतंत्रा सेनानी सम्मान पेंशन योजना के तहत अगस्त 1972 से लगातार पेंशन मिल रही थी, जो बिना किसी कारण या पूर्व सूचना के फरवरी 2015 में अचानक बंद हो गई.
याचिका में कहा गया है कि उनकी सास पढ़ी-लिखी नहीं थीं और लगभग 90 वर्ष की आयु में पेंशन का इंतजार करती रही और यहां तक कि संबंधित बैंक में भी पूछताछ की जहां उन्हें बताया गया कि संबंधित मंत्रालय द्वारा आगे भुगतान रोक दिया गया है.
अदालत को सूचित किया गया कि बार-बार अपील के बावजूद, दिसंबर 2020 में उसकी सास की मृत्यु तक पेंशन का भुगतान फिर से शुरू नहीं किया गया था.
अधिकारियों ने बहुत गैर-जिम्मेदार तरीके से काम किया और उनकी अपील पर कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह दर्शाता है कि राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है.
महिला ने दावा किया है कि वह एकमात्र उनकी कानूनी उत्तराधिकारी हैं. उन्हाेंने तर्क दिया कि उसकी सास की मृत्यु के बाद अधिकारियों द्वारा बकाया राशि जारी करने के उसके अनुरोध को बिना कोई वैध कारण बताए अस्वीकार कर दिया गया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि अधिकारी यह नहीं समझ रहे कि उसके ससुर जाे कि एक स्वतंत्रता सेनानी थे उनकी मृत्यु और सास की मृत्यु के बाद वह पेंशन का बकाया पाने की हकदार है. क्याेंकि दंपति के काेई संतान जीवित नहीं. मामले की सुनवाई अब अगले साल 2 फरवरी को होगी.
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