नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि ट्रायल में देरी का मतलब फ्री पास नहीं है. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने ये दलील दिल्ली हाईकोर्ट में दी. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई 20 फरवरी को करने का आदेश दिया.
आरोपियों की वजह से ट्रायल में देरी: सुनवाई के दौरान चेतन शर्मा ने कहा कि इस मामले में ट्रायल में देरी की वजह अभियोजन पक्ष नहीं है, बल्कि ट्रायल में देरी आरोपियों की वजह से हो रही है. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर सुनवाई चल रही है. आरोप तय करने के मामले में दूसरे आरोपी की ओर से दलीलें खत्म की गई है. आरोपियों की ओर से दलीलें रखने में देरी की जा रही है. चेतन श्मा ने कहा कि तेज ट्रायल जरूरी है, लेकिन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के मामले में लंबे समय तक जेल में रखने को जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है.
लंबी दलीलों पर हाईकोर्ट को एतराज: बता दें कि जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 21 जनवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से काफी लंबी दलीलें रखने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा था कि वो इस मामले पर अंतहीन सुनवाई नहीं कर सकती है. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस से कहा कि वो आरोपियों की विशेष भूमिका के बारे में बताएं, क्योंकि आरोपी कह रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता है.
इसके पहले भी 9 जनवरी को उमर खालिद की जमानत याचिका के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद की दलीलें लंबी चली. तब कोर्ट ने पूछा था कि आप कितना समय लेंगे. आप जो बोल रहे हैं, उसे हम बीच-बीच में समझ नहीं पा रहे हैं. हम साक्ष्यों पर सरसरी निगाह डालना चाहते हें. आप अपने साक्ष्यों का एक चार्ट कोर्ट में पेश करें. आपके पास आरोपियों के खिलाफ जो भी हो उसे लाइए. हम एक हजार पेजों से ज्यादा देख रहे हैं. इस पर एक आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि साक्ष्यों को जोड़ने का तरीका इतना खराब है कि हर सवाल का जवाब नहीं दिया जा सकता है. तब जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि हम भी बीच में समझ नहीं पा रहे हैं. बता दें कि फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे.
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