नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को निजी जासूसों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र का रुख पूछा. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली एक निजी जांचकर्ता द्वारा की गई कथित अवैध जांच से पीड़ित एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं. जिसमें उन्होंने केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया और कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करने के इच्छुक हैं.
न्यायाधीश ने कहा, यदि आप (केंद्र) पुट्टस्वामी (निजता के अधिकार पर निर्णय) के बाद भी आज भी नियमन नहीं करते हैं. आपको संतुलित दृष्टिकोण रखने के बारे में ध्यान रखना होगा. केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन (Central government lawyer Amit Mahajan) ने कहा कि याचिकाकर्ता भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है जो निजी जासूसों द्वारा किए गए किसी भी अपराध पर लागू होता है.
उन्होंने कहा ये पेशेवर हैं. हमारे पास हर चीज के लिए गाइडलाइन नहीं हो सकती. सभी (पेशेवरों) को कानून का पालन करना होगा. इसके लिए IPC, IT एक्ट है जिसके तहत FIR या शिकायत दर्ज की जा सकती है.
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह याचिका में उठाए गए किसी अन्य मुद्दे की जांच नहीं करने जा रही है और याचिकाकर्ता कानून के अनुसार उचित उपाय तलाशने के लिए स्वतंत्र है.
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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक निजी जासूस जीवन की अवैध जांच करने के बाद ने अपने मुवक्किल के जीवन की अवैध जांच करने के बाद उसके बारे में कुछ व्यक्तिगत जानकारी एक विदेशी नागरिक के साथ साझा की
उन्होंने दावा किया कि देश में कई निजी जासूस बिना किसी निगरानी के काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया, हालांकि इस पहलू पर 2007 में राज्यसभा के समक्ष एक विधेयक पेश किया गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई. मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी.
(पीटीआई-भाषा)