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breath analyser tests : एटीसी की याचिका पर विचार नहीं करेगा दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) गिल्ड इंडिया द्वारा रैंडम ब्रेथ एनालाइजर(बीए) टेस्ट (कोविड महामारी के बीच हवाई अड्डों पर ड्यूटी पर मौजूद पांच प्रतिशत नियंत्रकों पर परीक्षण) के संचालन के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने कहा कि वह प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं थे. उन्होंने कहा कि एक घंटे में छह से अधिक व्यक्तियों का परीक्षण नहीं किया जाना चाहिए.

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Published : Jan 19, 2022, 6:07 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 8:10 PM IST

breath analyzer
ब्रेथ एनालाइजर

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को हवाई यातायात नियंत्रक (एटीसी) गिल्ड की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जो कोविड महामारी के दौरान हवाई अड्डो पर ड्यूटी पर मौजूद पांच फीसदी नियंत्रकों की आकस्मिक 'ब्रेथ एनलाइज़र' (श्वास विश्लेषण) जांच करने के खिलाफ दायर की गई है.

न्यायमूर्ति के कामेश्वर राव ने कहा कि वह प्रक्रिया में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एक घंटे में छह से ज्यादा लोगों की जांच नहीं होनी है और बड़े हवाई अड्डों पर पांच फीसदी एसटीसी का मतलब सिर्फ तीन-चार लोगों से हुआ.

न्यायाधीश ने कहा, सबकी जांच की जानी चाहिए. जांच में एक मिनट लगता है. उन्होंने कहा, मुझे रिट याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है.

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से पेश अधिवक्ता अंजना गोसाईं ने कहा कि ‘ब्रेथ एनलाइज़र’ (बीए) जांच अदालत की ओर से पहले पारित निर्देशों के तहत की जा रही है और हर जांच के बाद, क्षेत्र को पूरी तरह से साफ किया जाता है.

न्यायाधीश ने याचिका को बंद कर दिया और स्पष्ट किया कि अधिकारी अदालत के पहले के निर्देशों का ईमानदारी से पालन करना जारी रखें और इनके किसी भी तरह से उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा.

याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से पेश वकील पीयूष सांघी ने दलील दी कि अदालत के पूर्व के आदेश के अनुसार, सिर्फ दो प्रतिशत एटीसी की आकस्मिक रूप से बीए जांच करने की अनुमति है और इस प्रकार विमानन प्राधिकरण संख्या को ऐसे समय में पांच फीसदी तक नहीं बढ़ा सकता है जब कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हो रही है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि बीए जांच एक बंद क्षेत्र में की जा रही है जिसका उपयोग हवाई अड्डे का ग्राउंड स्टाफ और केबिन क्रू भी करता है.

पढ़ें :- पायलट, चालक दल के सदस्यों के लिए 'ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट' अनिवार्य

भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दिग्विजय राय ने बताया कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाई अड्डों में 60-70 एटीसी कार्यरत हैं जो तीन पालियों में काम करते हैं और तीन-चार से ज्यादा व्यक्तियों का परीक्षण नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा कि छोटे हवाई अड्डों में, एक व्यक्ति की बीए जांच की जाती है और याचिकाकर्ता की चिंताएं गैर वाजिब हैं.

पिछले साल 11 मई को अदालत ने एटीसी गिल्ड और इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) की याचिकाओं पर सीमित संख्या में एटीसी, पायलटों और केबिन क्रू की बीए जांच की अनुमति दी थी और यह जरूरी कर दिया था कि वे वचन देंगे कि उन्होंने उड़ान से 12 घंटे पहले तक न शराब का सेवन किया है और न किसी नशीले पदार्थ का सेवन किया है.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को हवाई यातायात नियंत्रक (एटीसी) गिल्ड की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जो कोविड महामारी के दौरान हवाई अड्डो पर ड्यूटी पर मौजूद पांच फीसदी नियंत्रकों की आकस्मिक 'ब्रेथ एनलाइज़र' (श्वास विश्लेषण) जांच करने के खिलाफ दायर की गई है.

न्यायमूर्ति के कामेश्वर राव ने कहा कि वह प्रक्रिया में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि एक घंटे में छह से ज्यादा लोगों की जांच नहीं होनी है और बड़े हवाई अड्डों पर पांच फीसदी एसटीसी का मतलब सिर्फ तीन-चार लोगों से हुआ.

न्यायाधीश ने कहा, सबकी जांच की जानी चाहिए. जांच में एक मिनट लगता है. उन्होंने कहा, मुझे रिट याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है.

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से पेश अधिवक्ता अंजना गोसाईं ने कहा कि ‘ब्रेथ एनलाइज़र’ (बीए) जांच अदालत की ओर से पहले पारित निर्देशों के तहत की जा रही है और हर जांच के बाद, क्षेत्र को पूरी तरह से साफ किया जाता है.

न्यायाधीश ने याचिका को बंद कर दिया और स्पष्ट किया कि अधिकारी अदालत के पहले के निर्देशों का ईमानदारी से पालन करना जारी रखें और इनके किसी भी तरह से उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा.

याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से पेश वकील पीयूष सांघी ने दलील दी कि अदालत के पूर्व के आदेश के अनुसार, सिर्फ दो प्रतिशत एटीसी की आकस्मिक रूप से बीए जांच करने की अनुमति है और इस प्रकार विमानन प्राधिकरण संख्या को ऐसे समय में पांच फीसदी तक नहीं बढ़ा सकता है जब कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हो रही है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि बीए जांच एक बंद क्षेत्र में की जा रही है जिसका उपयोग हवाई अड्डे का ग्राउंड स्टाफ और केबिन क्रू भी करता है.

पढ़ें :- पायलट, चालक दल के सदस्यों के लिए 'ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट' अनिवार्य

भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दिग्विजय राय ने बताया कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाई अड्डों में 60-70 एटीसी कार्यरत हैं जो तीन पालियों में काम करते हैं और तीन-चार से ज्यादा व्यक्तियों का परीक्षण नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा कि छोटे हवाई अड्डों में, एक व्यक्ति की बीए जांच की जाती है और याचिकाकर्ता की चिंताएं गैर वाजिब हैं.

पिछले साल 11 मई को अदालत ने एटीसी गिल्ड और इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) की याचिकाओं पर सीमित संख्या में एटीसी, पायलटों और केबिन क्रू की बीए जांच की अनुमति दी थी और यह जरूरी कर दिया था कि वे वचन देंगे कि उन्होंने उड़ान से 12 घंटे पहले तक न शराब का सेवन किया है और न किसी नशीले पदार्थ का सेवन किया है.

Last Updated : Jan 19, 2022, 8:10 PM IST
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