ETV Bharat / bharat

विवाहित महिला की मानसिक स्थिति असामान्य, पिता को मिली अंतरिम संरक्षण की जिम्मेदारी - मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक विवाहित महिला के पिता को उसका अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. आरोप है कि वैवाहिक झगड़ों के चलते महिला के पति व ससुराल वालों ने उसे अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति असामान्य हो गई.

दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट
author img

By

Published : Jun 28, 2021, 7:32 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से असामान्य मानी जा रही एक विवाहित महिला के पिता को उसका अंतरिम संरक्षण (interim custody) प्रदान कर दिया है. आरोप है कि महिला को अपने पति और ससुराल की ओर से गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उसकी स्मृति और बोलने की क्षमता को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है.

अदालत ने कहा कि पहली और महत्वपूर्ण बात है कि वह महिला की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंतित है.

अदालत ने दिल्ली में मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) में मानसिक आघात एवं रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से महिला का इलाज कराने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने कहा कि अदालत का विचार है कि कम से कम फिलहाल के लिए और सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता (उसके पिता) को महिला तथा उसकी साढ़े तीन साल की बेटी का संरक्षण देना उचित होगा. वह कुछ समय के लिए उन्हें अपने साथ रखेंगे और उनकी सुरक्षा व भलाई के लिए जिम्मेदार होंगे.

अदालत ने कहा कि वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान महिला भी मौजूद थी और यह स्पष्ट था कि वह बात करने में सक्षम नहीं थी और न ही उसका व्यवहार पहली बार में सामान्य प्रतीत हुआ.

यह भी पढ़ें- रिहा होने के एक दिन पहले हुई कैदी की हत्या, मां ने की सीबीआई जांच की मांग

अदालत ने महिला के पिता द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश दिया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि वैवाहिक झगड़ों के चलते उसके पति व ससुराल वालों ने उसे अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से असामान्य मानी जा रही एक विवाहित महिला के पिता को उसका अंतरिम संरक्षण (interim custody) प्रदान कर दिया है. आरोप है कि महिला को अपने पति और ससुराल की ओर से गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उसकी स्मृति और बोलने की क्षमता को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है.

अदालत ने कहा कि पहली और महत्वपूर्ण बात है कि वह महिला की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंतित है.

अदालत ने दिल्ली में मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) में मानसिक आघात एवं रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से महिला का इलाज कराने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने कहा कि अदालत का विचार है कि कम से कम फिलहाल के लिए और सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता (उसके पिता) को महिला तथा उसकी साढ़े तीन साल की बेटी का संरक्षण देना उचित होगा. वह कुछ समय के लिए उन्हें अपने साथ रखेंगे और उनकी सुरक्षा व भलाई के लिए जिम्मेदार होंगे.

अदालत ने कहा कि वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान महिला भी मौजूद थी और यह स्पष्ट था कि वह बात करने में सक्षम नहीं थी और न ही उसका व्यवहार पहली बार में सामान्य प्रतीत हुआ.

यह भी पढ़ें- रिहा होने के एक दिन पहले हुई कैदी की हत्या, मां ने की सीबीआई जांच की मांग

अदालत ने महिला के पिता द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश दिया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि वैवाहिक झगड़ों के चलते उसके पति व ससुराल वालों ने उसे अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.