ETV Bharat / bharat

फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा शेयर होने पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता - फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा

दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राइवेसी पॉलिसी पर चिंता जताई है. हाई कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है (Delhi HC worried on personal data sharing of Facebook users).

Delhi HC
दिल्ली हाईकोर्ट
author img

By

Published : Mar 30, 2022, 6:37 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राइवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है. जस्टिस राजीव शकधर की अधयक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं. अधिकतर तो ये तक नहीं जानते कि उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है.

कोर्ट ने कैंब्रिज एनालिटिका का उदाहरण देते हुए यूजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई. कैंब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन की राजनीतिक सलाह देने वाली कंपनी है. इस कंपनी पर आरोप है कि इसने फेसबुक से लाखों-करोड़ों यूजर्स का डाटा एकत्र कर वोटर्स को प्रभावित किया. दरअसल केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये कहा था कि आईटी रुल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है.

केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करें. केंद्र सरकार ने कहा कि रूल 4(2) यूजर की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करता है. लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देनेवाल व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

हाई कोर्ट ने जारी किया था नोटिस : केंद्र ने कहा है कि व्हाट्सएप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है. 27 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. 9 जुलाई 2021 को व्हाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.

अप्रैल 2021 में खारिज हो गई थी याचिका : 22 अप्रैल 2021 को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है. इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल प्राइवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्सएप की इस नीति को प्राइवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

पढ़ें- अदालत ने डाटा लीक मामले में केंद्र का रुख जानना चाहा, पढ़ें पूरा मामला

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राइवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है. जस्टिस राजीव शकधर की अधयक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं. अधिकतर तो ये तक नहीं जानते कि उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है.

कोर्ट ने कैंब्रिज एनालिटिका का उदाहरण देते हुए यूजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई. कैंब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन की राजनीतिक सलाह देने वाली कंपनी है. इस कंपनी पर आरोप है कि इसने फेसबुक से लाखों-करोड़ों यूजर्स का डाटा एकत्र कर वोटर्स को प्रभावित किया. दरअसल केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये कहा था कि आईटी रुल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है.

केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करें. केंद्र सरकार ने कहा कि रूल 4(2) यूजर की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करता है. लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देनेवाल व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

हाई कोर्ट ने जारी किया था नोटिस : केंद्र ने कहा है कि व्हाट्सएप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है. 27 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. 9 जुलाई 2021 को व्हाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.

अप्रैल 2021 में खारिज हो गई थी याचिका : 22 अप्रैल 2021 को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है. इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल प्राइवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्सएप की इस नीति को प्राइवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

पढ़ें- अदालत ने डाटा लीक मामले में केंद्र का रुख जानना चाहा, पढ़ें पूरा मामला

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.