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दिल्ली सरकार ने फिर खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- केंद्र नहीं मान रहा आपका आदेश

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उनकी ओर से जारी ट्रांसफर ऑर्डर पर अमल की कार्यवाही नहीं कर रही है. केंद्र एक नौकरशाह के तबादले में बाधा डाल रहा है. जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद हटा दिया था.

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Published : May 12, 2023, 1:29 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद दिल्ली सरकार ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपने पक्ष में कोर्ट का फैसला आने के अगले ही दिन दिल्ली सरकार ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र नौकरशाहों पर नियंत्रण को लेकर संवैधानिक पीठ के आदेश की अवहेलना कर रहा है. दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र एक नौकरशाह के तबादले में बाधा डाल रहा है. जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद हटा दिया था.

दरअसल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली सरकार एक्शन मोड में आ गई थी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अधिकारियों को चेताने के कुछ घंटे के अंदर ही सर्विसेस विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव बदलने का आदेश जारी कर दिया था. सेवा सचिव के पद पर आईएएस अधिकारी आशीष मोरे को हटाने के आदेश जारी कर, उनकी जगह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी एके सिंह को जिम्मेदारी सौंप दी गई. संभावना जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही आईएएस अफसरों को और बदलेगी.

सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अध्ययन से पहले ही जिस तरह मंत्री के आदेश पर आईएएस अधिकारी को हटाया गया है, इससे अधिकारी खासे नाराज हैं. वह एकजुट होकर इस तबादले के खिलाफ कोर्ट का रास्ता कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे. दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल भी कहते हैं कि किसी भी अधिकारी को तबादला या हटाने की कार्रवाई सीधे मंत्री नहीं कर सकते. मंत्री मुख्य सचिव को निर्देश दे सकते हैं और यह कार्रवाई मुख्य सचिव के आदेश पर हो सकता है.

ये भी पढ़ें : Delhi Liquor Case: मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने 2 जून तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने सर्विसेज (दिल्ली में तैनात होने वाले अधिकारी, कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियुक्ति के मामले में अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली भले ही केंद्रशासित प्रदेश हो, पर सरकार के काम पर पूरा अधिकार केंद्र को नहीं दिया जा सकता. दिल्ली के लिए संविधान में संघीय मॉडल है. चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है. दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम है. सवाल है कि दिल्ली में सर्विस पर किसका अधिकार होगा? केंद्र के दखल से राज्यों का कामकाज प्रभावित नहीं होना चाहिए. केंद्र का कानून नहीं हो तो दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. साथ ही राज्यपाल को सरकार की सलाह माननी चाहिए. एलजी सरकार की सलाह और मदद से सरकार चलाएं.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद दिल्ली सरकार ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपने पक्ष में कोर्ट का फैसला आने के अगले ही दिन दिल्ली सरकार ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र नौकरशाहों पर नियंत्रण को लेकर संवैधानिक पीठ के आदेश की अवहेलना कर रहा है. दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र एक नौकरशाह के तबादले में बाधा डाल रहा है. जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद हटा दिया था.

दरअसल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली सरकार एक्शन मोड में आ गई थी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अधिकारियों को चेताने के कुछ घंटे के अंदर ही सर्विसेस विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव बदलने का आदेश जारी कर दिया था. सेवा सचिव के पद पर आईएएस अधिकारी आशीष मोरे को हटाने के आदेश जारी कर, उनकी जगह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी एके सिंह को जिम्मेदारी सौंप दी गई. संभावना जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही आईएएस अफसरों को और बदलेगी.

सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अध्ययन से पहले ही जिस तरह मंत्री के आदेश पर आईएएस अधिकारी को हटाया गया है, इससे अधिकारी खासे नाराज हैं. वह एकजुट होकर इस तबादले के खिलाफ कोर्ट का रास्ता कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे. दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल भी कहते हैं कि किसी भी अधिकारी को तबादला या हटाने की कार्रवाई सीधे मंत्री नहीं कर सकते. मंत्री मुख्य सचिव को निर्देश दे सकते हैं और यह कार्रवाई मुख्य सचिव के आदेश पर हो सकता है.

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बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने सर्विसेज (दिल्ली में तैनात होने वाले अधिकारी, कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियुक्ति के मामले में अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली भले ही केंद्रशासित प्रदेश हो, पर सरकार के काम पर पूरा अधिकार केंद्र को नहीं दिया जा सकता. दिल्ली के लिए संविधान में संघीय मॉडल है. चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है. दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम है. सवाल है कि दिल्ली में सर्विस पर किसका अधिकार होगा? केंद्र के दखल से राज्यों का कामकाज प्रभावित नहीं होना चाहिए. केंद्र का कानून नहीं हो तो दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. साथ ही राज्यपाल को सरकार की सलाह माननी चाहिए. एलजी सरकार की सलाह और मदद से सरकार चलाएं.

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