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कोयला घोटाले में आरोपी पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारी की जमानत याचिका खारिज - पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा

कोयले की चोरी से जुड़े धन शोधन के एक मामले के संबंध में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.

अशोक कुमार मिश्रा
अशोक कुमार मिश्रा
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Published : May 28, 2021, 8:45 PM IST

नई दिल्ली : कोयले की चोरी से जुड़े धन शोधन के एक मामले के संबंध में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि मिश्रा का काम अवैध गतिविधियों को रोकना था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह खुद अवैध कोयला माफिया के साथ मिलकर काम कर रहे थे.

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बांकुड़ा पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक मिश्रा को तीन अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी.

न्यायाधीश द्वारा 22 मई को पारित आदेश में कहा गया था कि मामले की जांच के दौरान में अब तक एकत्र किए गए साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी सौ करोड़ रुपये से अधिक के धन शोधन के अपराध में शामिल था.

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न्यायाधीश ने मिश्रा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें अस्वीकार करते हुए कहा, 'जब अपराध हुआ, तब वह (आरोपी) बांकुड़ा पुलिस थाने में प्रभारी निरीक्षक के पद पर तैनात थे. उनका काम अवैध गतिविधियों को रोकना था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह खुद अवैध कोयला माफिया के साथ मिल गये. उनके विरुद्ध आरोप बेहद गंभीर हैं.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कोयले की चोरी से जुड़े धन शोधन के एक मामले के संबंध में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पुलिस अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि मिश्रा का काम अवैध गतिविधियों को रोकना था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह खुद अवैध कोयला माफिया के साथ मिलकर काम कर रहे थे.

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बांकुड़ा पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक मिश्रा को तीन अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी.

न्यायाधीश द्वारा 22 मई को पारित आदेश में कहा गया था कि मामले की जांच के दौरान में अब तक एकत्र किए गए साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी सौ करोड़ रुपये से अधिक के धन शोधन के अपराध में शामिल था.

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न्यायाधीश ने मिश्रा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें अस्वीकार करते हुए कहा, 'जब अपराध हुआ, तब वह (आरोपी) बांकुड़ा पुलिस थाने में प्रभारी निरीक्षक के पद पर तैनात थे. उनका काम अवैध गतिविधियों को रोकना था, लेकिन ऐसा लगता है कि वह खुद अवैध कोयला माफिया के साथ मिल गये. उनके विरुद्ध आरोप बेहद गंभीर हैं.'

(पीटीआई-भाषा)

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