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Omicron का हल्का संक्रमण एक तरह की प्राकृतिक वैक्सीन: विशेषज्ञ

कोरोना वायरस के नये रूप ओमीक्रोन को लेकर पूरे देश में डर का एक माहौल बन रहा है, लेकिन यह एक सामान्य संक्रमण होकर रह गया है. विशेषज्ञ इससे डरने या घबराने की बात नहीं कह रहे हैं. दिल्ली में लोगों का लगभग 90 फीसदी वैक्सीनेशन हो गया है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर कोई भी वैक्सीन से वंचित हैं, तो उन्हें ओमीक्रोन से डरने की जरूरत नहीं है. वे इससे संक्रमित होते हैं, तो उन्हें बिना किसी नुकसान के वैक्सीन से अधिक सुरक्षा मिल (Omicron variant working as natural vaccine) जायेगी.

ओमीक्रोन
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Published : Jan 5, 2022, 7:28 AM IST

Updated : Jan 5, 2022, 10:42 AM IST

नई दिल्ली : भारत में 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना रोधी टीका (delhi children vaccination) लगाया जा रहा है. वहीं, ओमीक्रोन के मामले भी तेजी से बढ़ (delhi omicron case increase) रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि कोरोना का ओमीक्रोन स्वरूप एक तरह से प्राकृतिक वैक्सीन का भी काम कर रहा (Omicron variant is working as natural vaccine) है. ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. वे मान रहे हैं कि हल्के असर वाला ओमीक्रोन का संक्रमण (Mild-acting Omicron infection) उन मरीजों के लिए वरदान की तरह है, जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लिया है. ओमीक्रोन से संक्रमित होने पर उनके शरीर में प्राकृतिक तौर पर एंटीबॉडी (natural antibody omicron) बन रहा है.

बत्रा हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर एससीएल गुप्ता (Dr SCL Gupta, Medical Director of Batra Hospital) बताते हैं कि ओमीक्रोन के रूप में कोरोना उतना घातक नहीं है, जितना घातक विशेषज्ञ समझ रहे थे. हमारे पुराने अनुभव डेल्टा वेरिएंट के साथ अच्छे नहीं रहे हैं. इसलिए, मन में स्वाभाविक तौर पर थोड़ा डर था, लेकिन इस वायरस के स्वभाव को देखते हुए लग रहा है कि यह खतरनाक नहीं है. ओमीक्रोन संक्रमण लोगों के लिए प्राकृतिक वैक्सीन का काम करेगी. आमतौर पर वैक्सीन बनाने के लिए निष्क्रिय वायरस का ही इस्तेमाल किया जाता है या वायरस का आरएनए निकालकर इस्तेमाल करते हैं. यह वायरस शरीर में हल्का इन्फेक्शन करता है, फिर अपने आप ठीक हो जाता है, यानी वैक्सीन की तरह ही शरीर में काम करता है और प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बना देता है.

दिल्ली ओमीक्रोन संक्रमण

डॉ गुप्ता ने यह भी कहा कि ओमीक्रोन से बचकर रहना चाहिए, क्योंकि यह एक बहुरूपिया वायरस है. ओमीक्रोन से कब यह पोमीक्रोन या क्रोमीक्रोन हो जाए और आपको तकलीफ देने लगे, इसका कहा नहीं जा सकता है. इसके विभिन्न स्वरूप के अलग-अलग असर हो सकते हैं. ऐसे में सावधान रहना जरूरी है. इसलिए कोरोना प्रोटोकॉल का हमेशा पालन करना चाहिए. वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए.

डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि आमतौर पर कोरोना वायरस के लक्षणों में सर्दी, जुखाम और सांस लेने की समस्या के साथ बुखार देखा जाता है, लेकिन ओमीक्रोन वेरिएंट में यह वायरस फेफड़े तक नहीं पहुंच रहा है. सांस नली यानी ब्रोंकाइटिस में जाकर रुक रहा है. इसलिए, मरीजों को वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है. दुनियाभर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर ओमीक्रोन इसी तरह से हल्का संक्रमण पैदा करता रहे, तो यह एक प्राकृतिक रूप में भी काम करेगा, जो काम वैक्सीन करता है वही काम यह वायरस भी शरीर में जाकर करेगा.

नई दिल्ली : भारत में 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना रोधी टीका (delhi children vaccination) लगाया जा रहा है. वहीं, ओमीक्रोन के मामले भी तेजी से बढ़ (delhi omicron case increase) रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि कोरोना का ओमीक्रोन स्वरूप एक तरह से प्राकृतिक वैक्सीन का भी काम कर रहा (Omicron variant is working as natural vaccine) है. ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. वे मान रहे हैं कि हल्के असर वाला ओमीक्रोन का संक्रमण (Mild-acting Omicron infection) उन मरीजों के लिए वरदान की तरह है, जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लिया है. ओमीक्रोन से संक्रमित होने पर उनके शरीर में प्राकृतिक तौर पर एंटीबॉडी (natural antibody omicron) बन रहा है.

बत्रा हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर एससीएल गुप्ता (Dr SCL Gupta, Medical Director of Batra Hospital) बताते हैं कि ओमीक्रोन के रूप में कोरोना उतना घातक नहीं है, जितना घातक विशेषज्ञ समझ रहे थे. हमारे पुराने अनुभव डेल्टा वेरिएंट के साथ अच्छे नहीं रहे हैं. इसलिए, मन में स्वाभाविक तौर पर थोड़ा डर था, लेकिन इस वायरस के स्वभाव को देखते हुए लग रहा है कि यह खतरनाक नहीं है. ओमीक्रोन संक्रमण लोगों के लिए प्राकृतिक वैक्सीन का काम करेगी. आमतौर पर वैक्सीन बनाने के लिए निष्क्रिय वायरस का ही इस्तेमाल किया जाता है या वायरस का आरएनए निकालकर इस्तेमाल करते हैं. यह वायरस शरीर में हल्का इन्फेक्शन करता है, फिर अपने आप ठीक हो जाता है, यानी वैक्सीन की तरह ही शरीर में काम करता है और प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बना देता है.

दिल्ली ओमीक्रोन संक्रमण

डॉ गुप्ता ने यह भी कहा कि ओमीक्रोन से बचकर रहना चाहिए, क्योंकि यह एक बहुरूपिया वायरस है. ओमीक्रोन से कब यह पोमीक्रोन या क्रोमीक्रोन हो जाए और आपको तकलीफ देने लगे, इसका कहा नहीं जा सकता है. इसके विभिन्न स्वरूप के अलग-अलग असर हो सकते हैं. ऐसे में सावधान रहना जरूरी है. इसलिए कोरोना प्रोटोकॉल का हमेशा पालन करना चाहिए. वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए.

डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि आमतौर पर कोरोना वायरस के लक्षणों में सर्दी, जुखाम और सांस लेने की समस्या के साथ बुखार देखा जाता है, लेकिन ओमीक्रोन वेरिएंट में यह वायरस फेफड़े तक नहीं पहुंच रहा है. सांस नली यानी ब्रोंकाइटिस में जाकर रुक रहा है. इसलिए, मरीजों को वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है. दुनियाभर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर ओमीक्रोन इसी तरह से हल्का संक्रमण पैदा करता रहे, तो यह एक प्राकृतिक रूप में भी काम करेगा, जो काम वैक्सीन करता है वही काम यह वायरस भी शरीर में जाकर करेगा.

Last Updated : Jan 5, 2022, 10:42 AM IST
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