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Ukraine Russia War : बेजुबान से प्यार की दिलचस्प कहानी, 'Dear' डॉगी के लिए ऋषभ ने नहीं छोड़ा यूक्रेन

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Published : Feb 26, 2022, 6:41 PM IST

जानवर हमारे सबसे अच्छे मित्र होते हैं. आपने पशुओं की वफादार, प्रेम और करुणा की कई सारी कहानियां सुनी होंगी. रूस और यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) के बीच मगर आज हम आपको जो बात बताने जा रहे हैं वो एक इंसान के पशु प्रेम (Animal Love Of A Student) , केयर और उससे जुड़ाव की है. ये जुड़ाव ऐसा है कि युद्ध के हालातों में भी इस युवक ने अपने पालतू कुत्ते को अकेला नहीं छोड़ा.

Ukraine Russia Wa
बेजुबान से प्यार की दिलचस्प कहानी

देहरादून: आज पूरी दुनिया की नजरें रूस और यूक्रेन (Ukraine Russia War ) के बीच हुए युद्ध पर लगी हुई हैं. तमाम देशों के लोग इन दोनों देशों के युद्ध के बीच फंसे हुए हैं. भारत से भी हजारों की तादाद में लोग पढ़ने और काम करने के लिए दोनों देशों की ओर हर साल रुख करते हैं. अकेले उत्तराखंड (Uttrakhand's Rishabh Kaushik In Ukaine) से ही बड़ी संख्या में इन देशों में लोग पढ़ने और काम करने जाते हैं. अब के हालात देख यूक्रेन में लंबे समय से पढ़ाई कर रहे लोग यहां से निकलना चाहते हैं. वे जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ना चाहते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे छात्र (Animal Love Of A Student) से मिलवाने जा रहे हैं जिसने इन मुश्किल हालात में भी अपने पालतू कुत्ते (Rishabh Kaushik stayed in Ukraine for the dog ) को पीछे नहीं छोड़ा.

हम बात देहरादून के रहने वाले ऋषभ कौशिक की कर रहे हैं. ऋषभ बीते 3 सालों से यूक्रेन में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. ऋषभ का यह लास्ट ईयर है. ऋषभ के परिवार के और लोग भी यूक्रेन में बिजनेस करते हैं. जैसे ही परिवार के सदस्यों को पता लगा कि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ सकता है वैसे ही 19 और 20 फरवरी को पूरा परिवार, जिनमें लगभग 7 सदस्य थे वह किसी तरह टिकट बुक करवाकर दुबई के लिए रवाना हो गये.

ऋषभ से बातचीत

वहीं, परिजनों ने ऋषभ को दुबई चलने के लिए कहा. तब ऋषभ ने सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दिया क्योंकि ऋषभ जिस कुत्ते के साथ पिछले 1 साल से रह रहे हैं, वह फ्लाइट में नहीं जा सकता था. लिहाजा, ऋषभ ने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह 2 से 3 दिन में भारत सरकार और तमाम विभागों से एनओसी लेने के बाद अपने कुत्ते के साथ ही घर वापसी करेंगे. तब परिवार को यह लगा कि अभी हालात इतने नहीं बिगड़े, लिहाजा उन्होंने ऋषभ की बात मान ली.

पढ़ें- 'धमाकों के साथ खुली नींद, यूक्रेन के शहरों पर बरस रहे बारूद', बंकर में छिपे लक्सर के छात्र ने सुनाई आपबीती

देहरादून में बैठे ऋषभ के पिता मधुकांत बताते हैं कि जिस वक्त यूक्रेन और रूस में विवाद बढ़ा उसकी अगली सुबह ही उन्होंने ऋषभ से तुरंत बात करके न केवल वीजा का इंतजाम करवाया बल्कि वहां से निकलने की भी पूरी व्यवस्था करवा दी थी. तब भी ऋषभ ने कुत्ते के साथ ही वापस आने की बात कही. ऋषभ ने तमाम पेपरवर्क पूरे करने शुरू किए. यूक्रेन और भारत सरकार जो भी पत्राचार करना चाहती थी ऋषभ ने तत्काल प्रभाव से उन कागजों को बनवाकर ऑनलाइन जमा भी करवाया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. जिसकी वजह से ऋषभ अपने हॉस्टल में वापस चले गए.

ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ किरण कांत शर्मा ने ऋषभ के बातचीत की और पूछा कि आप एक कुत्ते के पीछे भला क्यों अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हो? ऋषभ जवाब में कहा कि मैं अपनी जान को खतरे में नहीं डाल रहा हूं, मैं फिलहाल अपने हॉस्टल में सुरक्षित हूं. मैं इतना जरूर चाहता हूं कि मेरी बात भारत सरकार के अधिकारियों तक पहुंचे जो मेरे कुत्ते को इंडिया लाने का पेपरवर्क होने के बाद भी बात करने के लिए तैयार नहीं है. मैं चाहता हूं कि मैं घर वापस आऊं तो अपने कुत्ते के साथ आऊं. अगर मैं अकेला लौट आया तो यहां इसका ख्याल कौन रखेगा?.

पढ़ें- सीएम स्टालिन ने यूक्रेन में फंसे तमिल छात्रों से की बात, वापस लाने का दिया आश्वासन

इसके बाद हमने सवाल किया कि आप इस कुत्ते को किसी को दे भी सकते हैं या सेंटर में भी इसे रख सकते थे? इस पर ऋषभ कहते हैं कि मैंने 4 से 5 दिनों का इंतजार किया, मुझे लगता है कि जल्द ही इस पर कोई फैसला हो जाएगा. मैं एक साल से अपने डॉगी के साथ हूं. मेरे जाने के बाद यह अपनी परेशानी किससे कहेगा, लोग खाने पीने के लिए परेशान हो रहे हैं, लाइन में लगे हुए हैं, ऐसे में इस कुत्ते का भला कौन ध्यान रखेगा? कौन इसे खाना खिलाएगा? कौन इसकी केयर करेगा? इसलिए मुझे पता है कि अगर मैंने उसे छोड़ दिया तो शायद ही ये मुझे मिले.

पढ़ें-यूक्रेन में फंसे छात्रों को सकुशल वापस लाने की चल रही तैयारीः राजनाथ

आखिर में हमने ऋषभ की लोकेशन और हालत के बारे में सवाल किया. जिस पर ऋषभ ने बताया कि वह इस वक्त कीव में हैं. यहां से लगभग 5 से 6 किलोमीटर दूरी पर बाहर बॉम्बिंग हो रही है. ऋषभ कहते हैं कि उन्हें बहुत बुरा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा. यूक्रेन की खूबसूरती और वहां के लोगों के बारे में तारीफ करते हुए ऋषभ कहते हैं कि यहां सब कुछ बेहद खूबसूरत है. अचानक से सड़कें सुनसान हो गई हैं. लोग बेहद डरे हुए हैं. ऐसा यूक्रेन मैंने 3 सालों में आज तक नहीं देखा. मैं भगवान से यह प्रार्थना करूंगा कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाए.

देहरादून: आज पूरी दुनिया की नजरें रूस और यूक्रेन (Ukraine Russia War ) के बीच हुए युद्ध पर लगी हुई हैं. तमाम देशों के लोग इन दोनों देशों के युद्ध के बीच फंसे हुए हैं. भारत से भी हजारों की तादाद में लोग पढ़ने और काम करने के लिए दोनों देशों की ओर हर साल रुख करते हैं. अकेले उत्तराखंड (Uttrakhand's Rishabh Kaushik In Ukaine) से ही बड़ी संख्या में इन देशों में लोग पढ़ने और काम करने जाते हैं. अब के हालात देख यूक्रेन में लंबे समय से पढ़ाई कर रहे लोग यहां से निकलना चाहते हैं. वे जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ना चाहते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे छात्र (Animal Love Of A Student) से मिलवाने जा रहे हैं जिसने इन मुश्किल हालात में भी अपने पालतू कुत्ते (Rishabh Kaushik stayed in Ukraine for the dog ) को पीछे नहीं छोड़ा.

हम बात देहरादून के रहने वाले ऋषभ कौशिक की कर रहे हैं. ऋषभ बीते 3 सालों से यूक्रेन में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. ऋषभ का यह लास्ट ईयर है. ऋषभ के परिवार के और लोग भी यूक्रेन में बिजनेस करते हैं. जैसे ही परिवार के सदस्यों को पता लगा कि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ सकता है वैसे ही 19 और 20 फरवरी को पूरा परिवार, जिनमें लगभग 7 सदस्य थे वह किसी तरह टिकट बुक करवाकर दुबई के लिए रवाना हो गये.

ऋषभ से बातचीत

वहीं, परिजनों ने ऋषभ को दुबई चलने के लिए कहा. तब ऋषभ ने सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दिया क्योंकि ऋषभ जिस कुत्ते के साथ पिछले 1 साल से रह रहे हैं, वह फ्लाइट में नहीं जा सकता था. लिहाजा, ऋषभ ने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह 2 से 3 दिन में भारत सरकार और तमाम विभागों से एनओसी लेने के बाद अपने कुत्ते के साथ ही घर वापसी करेंगे. तब परिवार को यह लगा कि अभी हालात इतने नहीं बिगड़े, लिहाजा उन्होंने ऋषभ की बात मान ली.

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देहरादून में बैठे ऋषभ के पिता मधुकांत बताते हैं कि जिस वक्त यूक्रेन और रूस में विवाद बढ़ा उसकी अगली सुबह ही उन्होंने ऋषभ से तुरंत बात करके न केवल वीजा का इंतजाम करवाया बल्कि वहां से निकलने की भी पूरी व्यवस्था करवा दी थी. तब भी ऋषभ ने कुत्ते के साथ ही वापस आने की बात कही. ऋषभ ने तमाम पेपरवर्क पूरे करने शुरू किए. यूक्रेन और भारत सरकार जो भी पत्राचार करना चाहती थी ऋषभ ने तत्काल प्रभाव से उन कागजों को बनवाकर ऑनलाइन जमा भी करवाया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. जिसकी वजह से ऋषभ अपने हॉस्टल में वापस चले गए.

ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ किरण कांत शर्मा ने ऋषभ के बातचीत की और पूछा कि आप एक कुत्ते के पीछे भला क्यों अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हो? ऋषभ जवाब में कहा कि मैं अपनी जान को खतरे में नहीं डाल रहा हूं, मैं फिलहाल अपने हॉस्टल में सुरक्षित हूं. मैं इतना जरूर चाहता हूं कि मेरी बात भारत सरकार के अधिकारियों तक पहुंचे जो मेरे कुत्ते को इंडिया लाने का पेपरवर्क होने के बाद भी बात करने के लिए तैयार नहीं है. मैं चाहता हूं कि मैं घर वापस आऊं तो अपने कुत्ते के साथ आऊं. अगर मैं अकेला लौट आया तो यहां इसका ख्याल कौन रखेगा?.

पढ़ें- सीएम स्टालिन ने यूक्रेन में फंसे तमिल छात्रों से की बात, वापस लाने का दिया आश्वासन

इसके बाद हमने सवाल किया कि आप इस कुत्ते को किसी को दे भी सकते हैं या सेंटर में भी इसे रख सकते थे? इस पर ऋषभ कहते हैं कि मैंने 4 से 5 दिनों का इंतजार किया, मुझे लगता है कि जल्द ही इस पर कोई फैसला हो जाएगा. मैं एक साल से अपने डॉगी के साथ हूं. मेरे जाने के बाद यह अपनी परेशानी किससे कहेगा, लोग खाने पीने के लिए परेशान हो रहे हैं, लाइन में लगे हुए हैं, ऐसे में इस कुत्ते का भला कौन ध्यान रखेगा? कौन इसे खाना खिलाएगा? कौन इसकी केयर करेगा? इसलिए मुझे पता है कि अगर मैंने उसे छोड़ दिया तो शायद ही ये मुझे मिले.

पढ़ें-यूक्रेन में फंसे छात्रों को सकुशल वापस लाने की चल रही तैयारीः राजनाथ

आखिर में हमने ऋषभ की लोकेशन और हालत के बारे में सवाल किया. जिस पर ऋषभ ने बताया कि वह इस वक्त कीव में हैं. यहां से लगभग 5 से 6 किलोमीटर दूरी पर बाहर बॉम्बिंग हो रही है. ऋषभ कहते हैं कि उन्हें बहुत बुरा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा. यूक्रेन की खूबसूरती और वहां के लोगों के बारे में तारीफ करते हुए ऋषभ कहते हैं कि यहां सब कुछ बेहद खूबसूरत है. अचानक से सड़कें सुनसान हो गई हैं. लोग बेहद डरे हुए हैं. ऐसा यूक्रेन मैंने 3 सालों में आज तक नहीं देखा. मैं भगवान से यह प्रार्थना करूंगा कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाए.

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