नई दिल्ली : भारत ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ समझौते को अंतिम रूप दिये जाने के परिणामस्वरूप किसी भी इलाके से दावे को नहीं छोड़ा गया है.
सरकार का यह बयान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने 'भारत माता का एक टुकड़ा' चीन को दे दिया. साथ ही, उन्होंने इस समझौते को लेकर भी सवाल उठाए.
इस पर, रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में देश के राष्ट्रीय हित और भूभाग की प्रभावी तरीके से रक्षा की गई है, क्योंकि सरकार ने सशस्त्र बलों की ताकत पर पूरा भरोसा दिखाया है.
बयान में कहा गया है कि जिन्हें हमारे सैन्य कर्मियों के बलिदान से हासिल की गई उपलब्धियों पर संदेह है, दरअसल वे उनका (शहीद सैनिकों का) असम्मान कर रहे हैं.
मंत्रालय ने बयान में कुछ खास स्पष्टीकरण दिया है और कहा, 'यह कहना कि भारतीय भूभाग फिंगर 4 तक है, सरासर गलत है. जैसा कि भारत के नक्शे में भारतीय भूभाग प्रदर्शित किया गया है, उसमें यह भी शामिल है कि 43,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं.'
रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'यहां तक कि भारतीय धारणा के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) फिंगर 8 पर है, न कि फिंगर 4 पर है. यही कारण है कि भारत फिंगर 8 तक गश्त का अधिकार होने की बात लगातार कहता रहा है, जो चीन के साथ मौजूदा सहमित में भी शामिल है.
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बयान में कहा गया है कि भारत ने समझौते के परिणामस्वरूप किसी भी इलाके पर दावे को नहीं छोड़ा है. इसके उलट, उसने एलएससी का सम्मान सुनिश्चित किया और एकतरफा तरीके से यथास्थिति में कोई बदलाव करने से रोका है.
मंत्रालय ने यह भी कहा पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर दोनों तरफ की चौकियां पहले से हैं और अच्छी तरह से काम कर रही हैं.
राहुल गांधी का आरोप
इससे पहले राहुल गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'सरकार अपने पुराने रुख को भूल गई. चीन के सामने नरेंद्र मोदी ने अपना सिर झुका दिया, मत्था टेक दिया. हमारी जमीन फिंगर 4 तक है. मोदी ने फिंगर 3 से फिंगर 4 की जमीन जो हिंदुस्तान की पवित्र जमीन थी, चीन को सौंप दी है.'
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों को बताया कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है.