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उत्तराखंड में इंसानों के लिए खतरा घोषित 80 तेंदुए पकड़ से दूर, वन मंत्री का क्षेत्र ज्यादा आतंकित

80 leopards missing in Uttarakhand उत्तराखंड के जंगलों और इंसानी बस्तियों के करीब ऐसे 80 तेंदुएं हर पल खतरा बने हुए हैं, जिन्हें कभी उत्तराखंड के वन विभाग ने इंसानों के लिए खतरा माना था. इतना ही नहीं इंसानों पर हमला करने के कारण इन तेंदुओं को पकड़ने और मार गिराने तक के आदेश दिए गए थे. लेकिन वन विभाग की पकड़ से अभी भी ये दूर हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 6, 2023, 4:23 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 7:43 PM IST

इंसानों के लिए खतरा घोषित 80 तेंदुओं का नहीं लगा पता

देहरादून: उत्तराखंड में आए दिन तेंदुए के हमले से लोगों के मारे जाने या घायल होने की खबरें आती रहती हैं.राज्य में लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा इस वक्त तेंदुए ही हैं. आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि तेंदुओं की संख्या और उनका मानव बस्तियों की तरफ बढ़ता रुझान इंसानों के लिए खतरा बन गया है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर इंसानों के लिए खतरा बने ऐसे तेंदुए को पकड़ने और उन्हें मारने के भी आदेश दिए जाते हैं. उत्तराखंड में ऐसे 80 तेंदुएं आज भी जंगलों और इंसानी बस्तियों में घूम रहे हैं, जिन्हें वन विभाग ने इंसानों के लिए खतरा घोषित किया था.

दरअसल, वन विभाग ने तो तेंदुए के हमले के आधार पर उन्हें मानव जीवन के लिए खतरा मानते हुए उन्हें मारने के आदेश दे दिए, लेकिन अधिकतर तेंदुओं को ना मारा गया और ना ही उन्हें पिंजरे में कैद किया जा सका है.

16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने और पकड़ने के निर्देश: उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से पिछले 16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने या उन्हें पकड़ने के आदेश दिए गए हैं. राज्य में ऐसे खूंखार वन्यजीवों को पकड़कर रखने की भी बड़ी समस्या है. रेस्क्यू सेंटर इतने बड़े नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में खूंखार वन्यजीवों को रखा जा सके. अधिकतर रेस्क्यू सेंटर हाउसफुल जैसी स्थिति में हैं, लिहाजा ऐसे तेंदुओं को अगर वन विभाग पकड़ भी लेता है, तो उन्हें रखने की कोई भी जगह वन विभाग के पास नहीं है.

80 leopards missing in Uttarakhand
वन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा इंसानों के लिए खतरा घोषित तेंदुए

राज्य में तेंदुए की संख्या और बढ़ी : हाल ही में तेंदुए की गणना के बाद नए आंकड़े जारी किए गए हैं. वन विभाग बेहद खुश है कि राज्य में तेंदुए की संख्या अब कई गुना बढ़ गई है, लेकिन यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्योंकि इसके साथ ही प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की संभावना भी बढ़ी है. पिछले कुछ समय में तेंदुओं के हमले चिंताजनक स्थिति तक पहुंचे हैं. कई बार तो इंसानी बस्तियों के पास एक से ज्यादा तेंदुए घूमते हुए नजर आए हैं. इन स्थितियों के बीच सबसे ज्यादा डर का माहौल पहाड़ी जनपदों में दिखाई दिया है.

ये भी पढ़ें: जंगल में बढ़ रही दो ताकतवर जानवरों की जंग, आपसी संघर्ष में गंवा रहे अपनी जान

रेस्क्यू सेंटर को लेकर बनाई जा रही नई कार्ययोजना: उत्तराखंड वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि समय-समय पर परिस्थितियों के लिहाज से तेंदुओं का खतरा होने से आदेश जारी किए जाते हैं. यहां तेंदुए को मारने का अंतिम विकल्प होता है. कोशिश की जाती है कि मानव वन्य जीव संघर्ष की स्थिति ना बने. उन्होंने बताया कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब तेंदुओं को पकड़ा भी गया है और रेस्क्यू सेंटर भी भेजा गया. सीसीएफ इंटेलिजेंस निशांत वर्मा ने बताया कि वैसे तो राज्य में कई रेस्क्यू सेंटर हैं, लेकिन इन रेस्क्यू सेंटर में जगह नहीं होने को लेकर नई कार्य योजना तैयार की जा रही है.

80 leopards missing in Uttarakhand
तेंदुआ का आंकड़ा

ये भी पढ़ें: राज्य वन्यजीव बोर्ड की अहम बैठक आज, बंदर-लंगूरों और तेंदुओं की मौजूदा संख्या के आधार पर बनेगी रणनीति

इंसानों के लिए खतरा घोषित 80 तेंदुओं का नहीं लगा पता

देहरादून: उत्तराखंड में आए दिन तेंदुए के हमले से लोगों के मारे जाने या घायल होने की खबरें आती रहती हैं.राज्य में लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा इस वक्त तेंदुए ही हैं. आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि तेंदुओं की संख्या और उनका मानव बस्तियों की तरफ बढ़ता रुझान इंसानों के लिए खतरा बन गया है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर इंसानों के लिए खतरा बने ऐसे तेंदुए को पकड़ने और उन्हें मारने के भी आदेश दिए जाते हैं. उत्तराखंड में ऐसे 80 तेंदुएं आज भी जंगलों और इंसानी बस्तियों में घूम रहे हैं, जिन्हें वन विभाग ने इंसानों के लिए खतरा घोषित किया था.

दरअसल, वन विभाग ने तो तेंदुए के हमले के आधार पर उन्हें मानव जीवन के लिए खतरा मानते हुए उन्हें मारने के आदेश दे दिए, लेकिन अधिकतर तेंदुओं को ना मारा गया और ना ही उन्हें पिंजरे में कैद किया जा सका है.

16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने और पकड़ने के निर्देश: उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से पिछले 16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने या उन्हें पकड़ने के आदेश दिए गए हैं. राज्य में ऐसे खूंखार वन्यजीवों को पकड़कर रखने की भी बड़ी समस्या है. रेस्क्यू सेंटर इतने बड़े नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में खूंखार वन्यजीवों को रखा जा सके. अधिकतर रेस्क्यू सेंटर हाउसफुल जैसी स्थिति में हैं, लिहाजा ऐसे तेंदुओं को अगर वन विभाग पकड़ भी लेता है, तो उन्हें रखने की कोई भी जगह वन विभाग के पास नहीं है.

80 leopards missing in Uttarakhand
वन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा इंसानों के लिए खतरा घोषित तेंदुए

राज्य में तेंदुए की संख्या और बढ़ी : हाल ही में तेंदुए की गणना के बाद नए आंकड़े जारी किए गए हैं. वन विभाग बेहद खुश है कि राज्य में तेंदुए की संख्या अब कई गुना बढ़ गई है, लेकिन यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्योंकि इसके साथ ही प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की संभावना भी बढ़ी है. पिछले कुछ समय में तेंदुओं के हमले चिंताजनक स्थिति तक पहुंचे हैं. कई बार तो इंसानी बस्तियों के पास एक से ज्यादा तेंदुए घूमते हुए नजर आए हैं. इन स्थितियों के बीच सबसे ज्यादा डर का माहौल पहाड़ी जनपदों में दिखाई दिया है.

ये भी पढ़ें: जंगल में बढ़ रही दो ताकतवर जानवरों की जंग, आपसी संघर्ष में गंवा रहे अपनी जान

रेस्क्यू सेंटर को लेकर बनाई जा रही नई कार्ययोजना: उत्तराखंड वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि समय-समय पर परिस्थितियों के लिहाज से तेंदुओं का खतरा होने से आदेश जारी किए जाते हैं. यहां तेंदुए को मारने का अंतिम विकल्प होता है. कोशिश की जाती है कि मानव वन्य जीव संघर्ष की स्थिति ना बने. उन्होंने बताया कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब तेंदुओं को पकड़ा भी गया है और रेस्क्यू सेंटर भी भेजा गया. सीसीएफ इंटेलिजेंस निशांत वर्मा ने बताया कि वैसे तो राज्य में कई रेस्क्यू सेंटर हैं, लेकिन इन रेस्क्यू सेंटर में जगह नहीं होने को लेकर नई कार्य योजना तैयार की जा रही है.

80 leopards missing in Uttarakhand
तेंदुआ का आंकड़ा

ये भी पढ़ें: राज्य वन्यजीव बोर्ड की अहम बैठक आज, बंदर-लंगूरों और तेंदुओं की मौजूदा संख्या के आधार पर बनेगी रणनीति

Last Updated : Aug 12, 2023, 7:43 PM IST
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