नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बुधवार को सेशन कोर्ट में शेखावत के वकील विकास पाहवा ने अशोक गहलोत की पुनरीक्षण याचिका का विरोध करते हुए अपनी दलीलें रखी. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा मजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर किए गए मानहानि मामले में बुधवार को सुनवाई हुई. अपनी दलीलों में पाहवा ने कहा कि अशोक गहलोत ने संजीवनी घोटाले में शेखावत और उनके परिवार का नाम लेकर उनकी मानहानि की है. तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यह रिकॉर्ड मौजूद है. दिल्ली पुलिस की जांच में भी इस बात की पुष्टि हुई है.
मानहानि को साबित करते हैं सबूत: पाहवा ने कहा कि इसके अलावा तमाम सबूत हैं, जो गहलोत के खिलाफ मानहानि के मामले को साबित करते हैं. इसलिए गहलोत द्वारा दायर की गई पुनरीक्षण याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता है. उन्होंने कहा कि गहलोत की ओर से कहा जा रहा है कि उन्होंने एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के गृह मंत्री के रूप में बयान दिया था. यह बयान एसओजी की रिपोर्ट में शेखावत का नाम आने के आधार पर दिया गया था. लेकिन, गहलोत ने शेखावत द्वारा मानहानि का मामला दर्ज कराने के बाद एसओजी से शेखावत का नाम शामिल कराया गया है. उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट में भी मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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18 नवंबर को होगी बहस: 18 नवंबर को गहलोत की ओर से उनके अधिवक्ता मोहित माथुर द्वारा पुनरीक्षण याचिका के पक्ष में दलीलें पेश की जाएगी. गहलोत की ओर से अगस्त में सेशन कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर मामले को रद्द करने की मांग की गई थी. एक नवंबर को दोनों पक्षों की ओर से पुनरीक्षण याचिका पर अंतिम जिरह होनी थी.
शेखावत के वकील विकास पाहवा के दूसरे केस में व्यस्त होने के चलते पहले मामले की सुनवाई 12.30 बजे की जगह दो बजे के लिए टली. फिर जब 2:00 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई तो भी विकास पाहवा सुप्रीम कोर्ट में व्यस्त थे. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ऑनलाइन जुड़कर मामले की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई जज एम के नागपाल से आज की सुनवाई टालकर आगे की तारीख देने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने शेखावत की ओर से जिरह के लिए उनके वकील विकास पाहवा को 8 नवंबर की तारीख दी थी.