लखनऊ : उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मानवीयता को शर्मसार करने वाली एक तस्वीर सामने आई है. जिले में एक बेबस बेटी अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए 5 दिनों तक मदद का इंतजार करती रही. महिला की कोरोना संक्रमण के चलते मेडिकल कॉलेज में मौत हुई थी, जिसके बाद पैसे न होने की वजह से महिला की बेटी शव गृह के बाहर पांच दिन पैसे इकट्ठा होने का इंतजार करती रही. बाद में एंबुलेंस चालकों ने चंदा इकट्ठा करके महिला का अंतिम संस्कार कराया. बेटी ने मां को मुखाग्नि दी.
1 मई को हुई थी मौत
दरअसल, पुवायां थाना क्षेत्र के शास्त्रीनगर इलाके का रहने वाला भगवान दास मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता था और अपने परिवार का पेट पालता था. इसी बीच 23 अप्रैल को उनकी पत्नी सुदामा बीमार हो गई और बुखार के चलते उसकी हालत खराब होने लगी. इस दौरान परिवार में इलाज के चलते रोटी के लाले पड़ गए थे, जिसके बाद बीमार मां को बेटी मंजू ने उनको मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. जहां जांच में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. 1 मई को मंजू की मां सुदामा ने दम तोड़ दिया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया और परिजनों से अंतिम संस्कार का इंतजाम करने के लिए कहा गया.
चंदा इकट्ठा करके किया अंतिम संस्कार
महामारी में मुफलिसी की जिंदगी जी रहे परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वह सुदामा का अंतिम संस्कार करवा सकें. महिला की बेटी मोर्चरी के बाहर 5 दिनों तक किसी मदद का इंतजार करती रही. इसी दौरान जब मंजू की मजबूरी के बारे में एंबुलेंस चालकों को पता चला तो, एंबुलेंस चालक मुदीद और वीरू के सहयोग से 2 घंटे के अंदर ही सभी चालकों ने महिला के अंतिम संस्कार के लिए चंदा इकट्ठा किया. जिसके बाद महिला सुदामा के शव का गर्रा नदी के स्वर्गधाम घाट पर अंतिम संस्कार कराया गया. इस दौरान मंजू के अलावा उसके घर से मौके पर कोई भी परिजन नहीं था, जिसके चलते बेटी मंजू ने हीं अपने हाथों से अपने मां को मुखाग्नि दी.
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आर्थिक तंगी से जूझ रही बेबस बेटी ने 5 दिनों बाद चंदा जमा करके अपनी मां का अंतिम संस्कार कराया. ऐसे में उसकी इस बेबसी ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी. जिसमें यह दावा किया जाता है कि कोरोना से मरने वालों की अंत्येष्टि भी सरकार द्वारा कराई जाती है.