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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद ने 1998 में चोरी हुईं मूर्तियां तमिलनाडु प्रशासन को सौंपीं - केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बुधवार को भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की कांस्य प्रतिमाएं यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय में तमिलनाडु को लौटाईं, जो करीब 20 साल पहले चोरी हो गई थीं. यह सभी मूर्तियां 13वीं सदी की बताई जा रही हैं.

चोरी हुईं मूर्तियां
चोरी हुईं मूर्तियां
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Published : Nov 18, 2020, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को अगस्त 2019 में इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट से सूचना मिली थी कि चार प्राचीन मूर्तियां भगवान (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) तमिलनाडु के एक मंदिर से चुराई गई थीं और भारत से बाहर तस्करी कर ले जाई गई थीं. ये मूर्तियां बुधवार को तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दी गईं.

भगवान की मूर्तियों को सौंपने के लिए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल खुद एएसआई मुख्यालय पहुंचे, जहां से उन्होंने इन मूर्तियों को निकलवाकर तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दिया.

इन मूर्तियों में भगवान राम की मूर्ति की लंबाई 90.5 सेंटीमीटर है. भगवती सीता की मूर्ति 74.5 सेंटीमीटर और लक्ष्मण की मूर्ति 78 सेंटीमीटर लंबी है.

इन तीनों धातु मूर्तियों का फोटो डॉक्यूमेंटेशन जून 1958 में तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले में आनंदमंगलम के श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर में किया गया था. यह मंदिर विजयनगर काल के दौरान बनाया गया था. इस मंदिर में चार मूर्तियां- राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की शामिल थीं. ये मूर्तियां कम से कम 1998 तक इसी मंदिर में थीं और बाद में चोरी हो गईं.

पढ़ें- मेवालाल पर लालू ने नीतीश और भाजपा को घेरा

फोटो के आधार पर इन मूर्तियों की जांच की गई तो पाया गया कि ये सभी मूर्तियां वही हैं, जो श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर से चुराई गई थीं.

मूर्तियों के वर्तमान स्वामी ने जब यह पाया कि मूर्तियां चोरी की गई हैं, तो उन्होंने इसे लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस को सौंप दिया. इन मूर्तियों को मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने 15 सितंबर 2020 को भारतीय उच्चायोग, लंदन को सौंप दिया. उच्चायोग ने ये मूर्तियां वापस करने का फैसला किया.

पिछले कुछ वर्षो में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एमईए और भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और डीआरआई के साथ मिलकर (सन् 1976 से लगभग 53 पुरावशेषों) वहीं सन् 2014 से लगभग 40 पुरावशेषों की भारत वापसी को संभव बनाया है. साथ ही सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने और चोरी-तस्करी हुईं प्राचीन वस्तुओं की जांच और बहाली के क्षेत्रमें सक्रिय भूमिका निभा रहा है.

नई दिल्ली : लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को अगस्त 2019 में इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट से सूचना मिली थी कि चार प्राचीन मूर्तियां भगवान (राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) तमिलनाडु के एक मंदिर से चुराई गई थीं और भारत से बाहर तस्करी कर ले जाई गई थीं. ये मूर्तियां बुधवार को तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दी गईं.

भगवान की मूर्तियों को सौंपने के लिए केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल खुद एएसआई मुख्यालय पहुंचे, जहां से उन्होंने इन मूर्तियों को निकलवाकर तमिलनाडु प्रशासन को सौंप दिया.

इन मूर्तियों में भगवान राम की मूर्ति की लंबाई 90.5 सेंटीमीटर है. भगवती सीता की मूर्ति 74.5 सेंटीमीटर और लक्ष्मण की मूर्ति 78 सेंटीमीटर लंबी है.

इन तीनों धातु मूर्तियों का फोटो डॉक्यूमेंटेशन जून 1958 में तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले में आनंदमंगलम के श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर में किया गया था. यह मंदिर विजयनगर काल के दौरान बनाया गया था. इस मंदिर में चार मूर्तियां- राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की शामिल थीं. ये मूर्तियां कम से कम 1998 तक इसी मंदिर में थीं और बाद में चोरी हो गईं.

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फोटो के आधार पर इन मूर्तियों की जांच की गई तो पाया गया कि ये सभी मूर्तियां वही हैं, जो श्रीराजगोपाल विष्णु मंदिर से चुराई गई थीं.

मूर्तियों के वर्तमान स्वामी ने जब यह पाया कि मूर्तियां चोरी की गई हैं, तो उन्होंने इसे लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस को सौंप दिया. इन मूर्तियों को मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने 15 सितंबर 2020 को भारतीय उच्चायोग, लंदन को सौंप दिया. उच्चायोग ने ये मूर्तियां वापस करने का फैसला किया.

पिछले कुछ वर्षो में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एमईए और भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और डीआरआई के साथ मिलकर (सन् 1976 से लगभग 53 पुरावशेषों) वहीं सन् 2014 से लगभग 40 पुरावशेषों की भारत वापसी को संभव बनाया है. साथ ही सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने और चोरी-तस्करी हुईं प्राचीन वस्तुओं की जांच और बहाली के क्षेत्रमें सक्रिय भूमिका निभा रहा है.

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