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केंद्रीय विवि में दाखिले के लिए 12वीं क्लास का नंबर नहीं बनेगा आधार, एडमिशन टेस्ट में बैठना अनिवार्य

12वीं पास करने के बाद यदि आप स्नातक कोर्स में एडमिशन चाहते हैं, तो आपको एडमिशन टेस्ट (सीयूईटी) में बैठना होगा. इन अंकों के आधार पर ही आपको दाखिला मिलेगा. इसका अर्थ यह हुआ कि 12वीं क्लास में आपको कितने भी नंबर मिले हों, उस आधार पर यहां दाखिला नहीं मिलेगा. चार वर्षीय अंतर स्नातक कार्यक्रम के लिए भी सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है.

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यूजीसी
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Published : Mar 22, 2022, 5:02 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स में दाखिले के लिए नया नियम बनाया गया है. इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का आयोजन करेगी, और उसके अंकों के आधार पर ही आपका दाखिला संभव हो पाएगा. यानी आप यदि 12वीं की परीक्षा में 99 फीसदी भी नंबर लाते हैं, लेकिन सीयूईटी में अच्छा नंबर नहीं आता है, तो आपका एडमिशन अच्छे कॉलेज में संभव नहीं हो पाएगा.

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में सीयूईटी का आयोजन किया जाएगा. इसका मतलब है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के पात्रता मानदंडों को छोड़कर छात्रों के दाखिले में 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का कोई असर नहीं पड़ेगा. कुमार कहा कि वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी स्नातक एवं परास्नातक कोर्स के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी. सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए सीयूईटी में प्राप्त अंकों पर विचार करना होगा. उल्लेखनीय है कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को यूजीसी से आर्थिक सहायता मिलती है.

कुमार ने कहा कि सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के सिलेबस से मिलता-जुलता ही होगा. सीयूईटी में सेक्शन-1ए, सेक्शन-1बी, समान्य परीक्षा और पाठ्यक्रम-विशिष्ट विषय होंगे. सेक्शन-1ए अनिवार्य होगा, जो कि 13 भाषाओं में होगा और उम्मीदवार इनमें से अपनी पसंद की भाषा का चयन कर सकते हैं. कुमार ने कहा कि छात्रों के पास अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू का विकल्प रहेगा.

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी का विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सीयूईटी के बाद किसी भी केंद्रीय काउंसलिंग का आयोजन नहीं होगा.

चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार एक मसौदा दिशानिर्देश के मुताबिक, पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान एक विषय से दूसरे विषय में जाने की सुविधा और हासिल किये गये क्रेडिट की संख्या के आधार पर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री के साथ कभी भी एंट्री या एग्जिट करना आदि चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) की विशेषताएं हैं.

चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम के लिए पाठ्य ढांचा एवं क्रेडिट प्रणाली शीर्षक वाला मसौदा प्रथम तीन सेमेस्टर के लिए प्राकृतिक विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में एक साझा प्रारंभिक पाठ्यक्रम का प्रस्ताव करता है, भले ही छात्र किसी भी विषय में विशेषज्ञता करने का विकल्प क्यों नहीं चुनते हों. इसमें क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेजी, योग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स सहित अन्य विषय शामिल हैं.

मसौदा के मुताबिक, हस्तांतरित की जाने वाले क्रेडिट आधारित एक प्रणाली ने 160 क्रेडिट के साथ चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम का प्रस्ताव किया है, जिसमें कक्षा में 15 घंटों की शिक्षा के लिए एक क्रेडिट मिलेगा. तीसरे वर्ष में, छात्र को एक ऐसा विषय चुनना होगा जिसमें वह विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं. छात्र राजनीतिक विज्ञान से लेकर खगोल विज्ञान तक के विषयों को चुन सकते हैं. अंतिम दो सेमेस्टर में, छात्र को अपने मुख्य विषय के आधार पर शोध कार्य करना होगा. यूजीसी ने सिफारिश की है कि एक सेमेस्टर 90 कामकाजी दिवस का होगा और एक अकादमिक वर्ष को दो सेमेस्टर में बांटा जाएगा.

मसौदा के मुताबिक प्रत्येक कामकाजी सप्ताह में शिक्षण के 40 घंटे होंगे और ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम त्वरित आधार पर कराया जा सकता है ताकि छात्र 99 दिनों में या 100 से 199 दिनों में पहले से शेष रहे पाठ्यक्रम पूरा कर सकें.

ये भी पढे़ं : क्या सेंट्रल स्कूल में एमपी का कोटा खत्म करेगी केंद्र सरकार, संसद में दिया जवाब

नई दिल्ली : केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्स में दाखिले के लिए नया नियम बनाया गया है. इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का आयोजन करेगी, और उसके अंकों के आधार पर ही आपका दाखिला संभव हो पाएगा. यानी आप यदि 12वीं की परीक्षा में 99 फीसदी भी नंबर लाते हैं, लेकिन सीयूईटी में अच्छा नंबर नहीं आता है, तो आपका एडमिशन अच्छे कॉलेज में संभव नहीं हो पाएगा.

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में सीयूईटी का आयोजन किया जाएगा. इसका मतलब है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के पात्रता मानदंडों को छोड़कर छात्रों के दाखिले में 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का कोई असर नहीं पड़ेगा. कुमार कहा कि वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी स्नातक एवं परास्नातक कोर्स के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी. सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए सीयूईटी में प्राप्त अंकों पर विचार करना होगा. उल्लेखनीय है कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को यूजीसी से आर्थिक सहायता मिलती है.

कुमार ने कहा कि सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के सिलेबस से मिलता-जुलता ही होगा. सीयूईटी में सेक्शन-1ए, सेक्शन-1बी, समान्य परीक्षा और पाठ्यक्रम-विशिष्ट विषय होंगे. सेक्शन-1ए अनिवार्य होगा, जो कि 13 भाषाओं में होगा और उम्मीदवार इनमें से अपनी पसंद की भाषा का चयन कर सकते हैं. कुमार ने कहा कि छात्रों के पास अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू का विकल्प रहेगा.

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी का विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सीयूईटी के बाद किसी भी केंद्रीय काउंसलिंग का आयोजन नहीं होगा.

चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार एक मसौदा दिशानिर्देश के मुताबिक, पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान एक विषय से दूसरे विषय में जाने की सुविधा और हासिल किये गये क्रेडिट की संख्या के आधार पर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री के साथ कभी भी एंट्री या एग्जिट करना आदि चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) की विशेषताएं हैं.

चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम के लिए पाठ्य ढांचा एवं क्रेडिट प्रणाली शीर्षक वाला मसौदा प्रथम तीन सेमेस्टर के लिए प्राकृतिक विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में एक साझा प्रारंभिक पाठ्यक्रम का प्रस्ताव करता है, भले ही छात्र किसी भी विषय में विशेषज्ञता करने का विकल्प क्यों नहीं चुनते हों. इसमें क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेजी, योग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स सहित अन्य विषय शामिल हैं.

मसौदा के मुताबिक, हस्तांतरित की जाने वाले क्रेडिट आधारित एक प्रणाली ने 160 क्रेडिट के साथ चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम का प्रस्ताव किया है, जिसमें कक्षा में 15 घंटों की शिक्षा के लिए एक क्रेडिट मिलेगा. तीसरे वर्ष में, छात्र को एक ऐसा विषय चुनना होगा जिसमें वह विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं. छात्र राजनीतिक विज्ञान से लेकर खगोल विज्ञान तक के विषयों को चुन सकते हैं. अंतिम दो सेमेस्टर में, छात्र को अपने मुख्य विषय के आधार पर शोध कार्य करना होगा. यूजीसी ने सिफारिश की है कि एक सेमेस्टर 90 कामकाजी दिवस का होगा और एक अकादमिक वर्ष को दो सेमेस्टर में बांटा जाएगा.

मसौदा के मुताबिक प्रत्येक कामकाजी सप्ताह में शिक्षण के 40 घंटे होंगे और ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम त्वरित आधार पर कराया जा सकता है ताकि छात्र 99 दिनों में या 100 से 199 दिनों में पहले से शेष रहे पाठ्यक्रम पूरा कर सकें.

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