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58 करोड़ की विदेशी फंडिंग से घुसपैठियों की कर रहा था मदद, ATS ने मास्टरमाइंड को दबोचा - अबू सालेह गिरफ्तार

यूपी एटीएस ने आज लखनऊ में घुसपैठियों की मदद करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया. आरोपी अबू सालेह एनजीओ के माध्यम से 58 करोड़ की विदेशी फंडिंग हासिल की थी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 8, 2024, 10:19 PM IST

Updated : Jan 8, 2024, 10:28 PM IST

लखनऊ: यूपी एटीएस ने यूएसए में आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित एनजीओ से फंडिंग लेकर घुसपैठियों की मदद करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को सोमवार को गिरफ्तार किया. आरोपी अबू सालेह ने अपनी एनजीओ के माध्यम से 58 करोड़ की विदेशी फंडिंग हासिल की थी. आरोपी अबू सालेह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. यूपी एटीएस की टीम ने उसे आलमबाग इंटर कॉलेज, मानक नगर से गिरफ्तार किया.

एटीएस चीफ मोहित अग्रवाल ने बताया कि भारत में आने वाले घुसपैठियों के आर्थिक मददगारों पर एजेंसी नजर रख रही थी. एटीएस ने जानकारी के आधार पर थाना एटीएस में मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके बाद 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार आरोपियों में ढाका बांग्लादेश निवासी अदिलुर रहमान असरफी, हुरैरा गाजी, शेख नजीबुल हक, तानिया मंडल, इब्राहिम खान, मोहम्मद अब्दुल अव्वल और आसाम शामिल थे. गिरोह का मास्टरमाइंड अबू सालेह फरार था, जिसे आज गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में आरोपी अबू सालेह ने बताया कि वह हरोआ-अल जमियातुल इस्लामिया दारूल उलूम मदरसा एवं कबीरबाग मिल्लत एकेडमी के नाम की ट्रस्टों का संचालक है. इन ट्रस्टों के FCRA खातों में विदेशों (उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, यूके) से भारी मात्रा में वर्ष 2018 से 2022 तक लगभग 58 करोड़ की फंडिंग प्राप्त हुई है. यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि पूर्व में उक्त उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, जिस पर टेरर फंडिग में संलिप्तता का आरोप लगने के कारण यूएस ने इसके कार्यों को अपने यहां पर प्रतिंधित कर दिया था. बताया कि प्राप्त विदेशी फंड के एक बड़े हिस्से को अपनी टीम के सदस्यों से फर्जी बिलिंग कराकर नकद के रूप में प्राप्त कर लेता है.

इसके अतिरिक्त अब्दुला गाजी नामक शख्स के साथ मिलकर एक गाजी फूड्स सप्लाई एवं गाजी मैसनरीज नाम से फर्जी फर्म बनाकर भी बिलिंग की गई है. यह फर्म केवल कागजों में है. साथ ही कुछ धन हवाला के माध्यम से भी कैश के रूप में प्राप्त किया गया है. प्राप्त कैश का उपयोग अपने सिंडिकेट के माध्यम से अवैध रूप से रोहिंग्यों एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ कराने, भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्यों एवं बांग्लादेशियों की आर्थिक सहायता करने, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने एवं हवाला के माध्यम से उस पैसे को भारत के विभिन्न राज्यों में भेजकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया जाता है.

यह भी पढ़ें: प्रभात गुप्ता हत्याकांडः केंद्रीय मंत्री अजय टेनी को SC से राहत, हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकार

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लखनऊ: यूपी एटीएस ने यूएसए में आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित एनजीओ से फंडिंग लेकर घुसपैठियों की मदद करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को सोमवार को गिरफ्तार किया. आरोपी अबू सालेह ने अपनी एनजीओ के माध्यम से 58 करोड़ की विदेशी फंडिंग हासिल की थी. आरोपी अबू सालेह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. यूपी एटीएस की टीम ने उसे आलमबाग इंटर कॉलेज, मानक नगर से गिरफ्तार किया.

एटीएस चीफ मोहित अग्रवाल ने बताया कि भारत में आने वाले घुसपैठियों के आर्थिक मददगारों पर एजेंसी नजर रख रही थी. एटीएस ने जानकारी के आधार पर थाना एटीएस में मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके बाद 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार आरोपियों में ढाका बांग्लादेश निवासी अदिलुर रहमान असरफी, हुरैरा गाजी, शेख नजीबुल हक, तानिया मंडल, इब्राहिम खान, मोहम्मद अब्दुल अव्वल और आसाम शामिल थे. गिरोह का मास्टरमाइंड अबू सालेह फरार था, जिसे आज गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में आरोपी अबू सालेह ने बताया कि वह हरोआ-अल जमियातुल इस्लामिया दारूल उलूम मदरसा एवं कबीरबाग मिल्लत एकेडमी के नाम की ट्रस्टों का संचालक है. इन ट्रस्टों के FCRA खातों में विदेशों (उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, यूके) से भारी मात्रा में वर्ष 2018 से 2022 तक लगभग 58 करोड़ की फंडिंग प्राप्त हुई है. यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि पूर्व में उक्त उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, जिस पर टेरर फंडिग में संलिप्तता का आरोप लगने के कारण यूएस ने इसके कार्यों को अपने यहां पर प्रतिंधित कर दिया था. बताया कि प्राप्त विदेशी फंड के एक बड़े हिस्से को अपनी टीम के सदस्यों से फर्जी बिलिंग कराकर नकद के रूप में प्राप्त कर लेता है.

इसके अतिरिक्त अब्दुला गाजी नामक शख्स के साथ मिलकर एक गाजी फूड्स सप्लाई एवं गाजी मैसनरीज नाम से फर्जी फर्म बनाकर भी बिलिंग की गई है. यह फर्म केवल कागजों में है. साथ ही कुछ धन हवाला के माध्यम से भी कैश के रूप में प्राप्त किया गया है. प्राप्त कैश का उपयोग अपने सिंडिकेट के माध्यम से अवैध रूप से रोहिंग्यों एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ कराने, भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्यों एवं बांग्लादेशियों की आर्थिक सहायता करने, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने एवं हवाला के माध्यम से उस पैसे को भारत के विभिन्न राज्यों में भेजकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया जाता है.

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Last Updated : Jan 8, 2024, 10:28 PM IST
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