नई दिल्ली: सीपीआई सांसद बायोनी विश्वम ने चंद्रयान-III के लॉन्च पैड के निर्माता हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC ) के 3,000 कर्मचारियों को पिछले 20 महीनों से वेतन नहीं मिलने के कथित आरोपों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की अपील की. विश्वम ने अपने पत्र में कहा, 'मैं हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के 3,000 से अधिक कर्मचारियों की दुर्दशा के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए यह लिख रहा हूं, जिन्हें पिछले 20 महीनों से अपना वेतन नहीं मिला है.'
विश्वम ने कहा, 'एचईसी भारत की सबसे पुरानी और सबसे सक्षम सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों में से एक है, जिसने देश के लिए वर्षों की महत्वपूर्ण सेवा के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें बहुचर्चित चंद्रयान-III के लिए लॉन्च पैड का निर्माण भी शामिल है. उन्होंने कहा, 'उनके योगदान के बावजूद, एचईसी के कर्मचारी अब गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.'
उनमें से कई को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए ऑटो रिक्शा चालक, रेहड़ी-पटरी वाले और दिहाड़ी मजदूर के रूप में अंशकालिक नौकरियां करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कुछ को अपनी भविष्य निधि निकालनी पड़ी और ऋण लेना पड़ा.' उन्होंने कहा कि वेतन भुगतान में देरी कई कारकों के कारण है, जिसमें पूर्णकालिक अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (chairman-cum-managing director) की अनुपस्थिति भी शामिल है.
हालांकि, जिन श्रमिकों ने देश के लिए अमूल्य योगदान दिया है, उन्हें बिना किसी गलती के भुगतना पड़ रहा है, यह स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. इन कर्मचारियों ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और अन्य महत्वपूर्ण औद्योगिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत की है. यह शर्म की बात है कि उन्हें अब गरीबी और अनिश्चितता में जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार को इस कठिन परिस्थितियों से निपटने में मदद करने के लिए एक वित्तीय पैकेज भी प्रदान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाना चाहिए कि एचईसी पुनर्जीवित हो. उन्होंने कहा, 'यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये कर्मचारी भारत के औद्योगिक क्षेत्र की रीढ़ हैं और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.' एचईसी भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. कंपनी रांची के धुर्वा इलाके में स्थित है. निगम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, कोल इंडिया और अन्य इस्पात क्षेत्र की कंपनियों से ऑर्डर मिलते रहते हैं.