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कोविड की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर के बीच चरम पर पहुंच सकती : वैज्ञानिक - कोरोना वायरस

कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए गठित समिति के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने अनुमान जताया है कि कोरोना वायरस की की तीसरी लहर में दूसरी लहर की तुलना में आधे मामले सामने आ सकते हैं, बशर्ते कि वायरस का कोई नया स्वरूप उत्पन्न न हो. अक्टूबर-नवंबर के बीच चरम पर पहुंच सकती तीसरी लहर

कोविड की तीसरी लहर
कोविड की तीसरी लहर
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Published : Jul 4, 2021, 4:19 AM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी (Covid-19) मॉडलिंग से संबंधित सरकारी समिति के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया जाता है, तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर (covid third wave) अक्टूबर-नवंबर के बीच चरम पर पहुंच सकती है.

'सूत्र मॉडल' या कोविड-19 के गणितीय अनुमान पर काम कर रहे वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने यह भी कहा कि यदि वायरस का कोई नया स्वरूप उत्पन्न होता है तो तीसरी लहर तेजी से फैल सकती है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पिछले साल गणितीय मॉडल का उपयोग कर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए समिति का गठन किया था. समिति में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक अग्रवाल के अलावा आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिक एम विद्यासागर और एकीकृत रक्षा स्टाफ उप प्रमुख (मेडिकल) लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर भी हैं.

इस समिति को कोविड की दूसरी लहर की सटीक प्रकृति का अनुमान नहीं लगाने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

अग्रवाल ने कहा कि तीसरी लहर का अनुमान जताते समय प्रतिरक्षा की हानि, टीकाकरण के प्रभाव और एक अधिक खतरनाक स्वरूप की संभावना को कारक बताया गया है, जो दूसरी लहर की मॉडलिंग के दौरान नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र प्रकाशित की जाएगी.

उन्होंने कहा, हमने तीन परिदृश्य बनाए हैं. एक आशावादी है. इसमें, हम मानते हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य हो जाता है, और वायरस का कोई नया स्वरूप नहीं होगा. दूसरा मध्यवर्ती है. इसमें हम मानते हैं कि आशावादी परिदृश्य धारणाओं के अलावा टीकाकरण 20 प्रतिशत कम प्रभावी है.

अग्रवाल ने विभिन्न ट्वीट में कहा, तीसरा निराशावादी है. इसकी एक धारणा मध्यवर्ती से भिन्न है: अगस्त में एक नया, 25 प्रतिशत अधिक संक्रामक उत्परिवर्तित स्वरूप फैलता है (यह डेल्टा प्लस नहीं है, जो डेल्टा से अधिक संक्रामक नहीं है).

अग्रवाल द्वारा साझा किए गए ग्राफ के अनुसार, अगस्त के मध्य तक दूसरी लहर के स्थिर होने की संभावना है, और तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है. वैज्ञानिक ने कहा कि निराशावादी परिदृश्य के मामले में, तीसरी लहर में देश में रोजाना 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं.

नया म्यूटेंट होने पर बिगड़ सकती है स्थिति
उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा मई के पूर्वार्ध में दूसरी लहर के चरम के समय आए मामलों से आधा है, जब अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ आ गई थी और हजारों लोगों की मृत्यु हो गई. अग्रवाल ने कहा, यदि कोई नया म्यूटेंट आता है, तो तीसरी लहर तेजी से फैल सकती है, लेकिन यह दूसरी लहर की तुलना में आधी होगी. डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित कर रहा है जो एक अलग प्रकार के स्वरूप से संक्रमित थे. इसलिए इसे ध्यान में रखा गया है.

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, तीसरी या चौथी लहर की आशंका कम होगी. अग्रवाल ने कहा कि आशावादी परिदृश्य में रोजाना मामले 50000 से 100000 हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- भारत की कोवैक्सीन के सामने नहीं टिक पाएंगे अल्फा-डेल्टा वेरिएंट्स

वहीं, विद्यासागर ने कहा कि तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम हो सकते हैं. उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण दिया जहां जनवरी में 60,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें प्रतिदिन मौतों का आंकड़ा 1,200 था. हालांकि, चौथी लहर के दौरान, यह संख्या घटकर 21,000 रह गई और केवल 14 मौत हुईं.

विद्यासागर ने कहा, ब्रिटेन में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता वाले मामलों को कम करने में टीकाकरण ने प्रमुख भूमिका निभाई.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी (Covid-19) मॉडलिंग से संबंधित सरकारी समिति के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया जाता है, तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर (covid third wave) अक्टूबर-नवंबर के बीच चरम पर पहुंच सकती है.

'सूत्र मॉडल' या कोविड-19 के गणितीय अनुमान पर काम कर रहे वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने यह भी कहा कि यदि वायरस का कोई नया स्वरूप उत्पन्न होता है तो तीसरी लहर तेजी से फैल सकती है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पिछले साल गणितीय मॉडल का उपयोग कर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए समिति का गठन किया था. समिति में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक अग्रवाल के अलावा आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिक एम विद्यासागर और एकीकृत रक्षा स्टाफ उप प्रमुख (मेडिकल) लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर भी हैं.

इस समिति को कोविड की दूसरी लहर की सटीक प्रकृति का अनुमान नहीं लगाने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

अग्रवाल ने कहा कि तीसरी लहर का अनुमान जताते समय प्रतिरक्षा की हानि, टीकाकरण के प्रभाव और एक अधिक खतरनाक स्वरूप की संभावना को कारक बताया गया है, जो दूसरी लहर की मॉडलिंग के दौरान नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र प्रकाशित की जाएगी.

उन्होंने कहा, हमने तीन परिदृश्य बनाए हैं. एक आशावादी है. इसमें, हम मानते हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य हो जाता है, और वायरस का कोई नया स्वरूप नहीं होगा. दूसरा मध्यवर्ती है. इसमें हम मानते हैं कि आशावादी परिदृश्य धारणाओं के अलावा टीकाकरण 20 प्रतिशत कम प्रभावी है.

अग्रवाल ने विभिन्न ट्वीट में कहा, तीसरा निराशावादी है. इसकी एक धारणा मध्यवर्ती से भिन्न है: अगस्त में एक नया, 25 प्रतिशत अधिक संक्रामक उत्परिवर्तित स्वरूप फैलता है (यह डेल्टा प्लस नहीं है, जो डेल्टा से अधिक संक्रामक नहीं है).

अग्रवाल द्वारा साझा किए गए ग्राफ के अनुसार, अगस्त के मध्य तक दूसरी लहर के स्थिर होने की संभावना है, और तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है. वैज्ञानिक ने कहा कि निराशावादी परिदृश्य के मामले में, तीसरी लहर में देश में रोजाना 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं.

नया म्यूटेंट होने पर बिगड़ सकती है स्थिति
उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा मई के पूर्वार्ध में दूसरी लहर के चरम के समय आए मामलों से आधा है, जब अस्पतालों में मरीजों की बाढ़ आ गई थी और हजारों लोगों की मृत्यु हो गई. अग्रवाल ने कहा, यदि कोई नया म्यूटेंट आता है, तो तीसरी लहर तेजी से फैल सकती है, लेकिन यह दूसरी लहर की तुलना में आधी होगी. डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित कर रहा है जो एक अलग प्रकार के स्वरूप से संक्रमित थे. इसलिए इसे ध्यान में रखा गया है.

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा, तीसरी या चौथी लहर की आशंका कम होगी. अग्रवाल ने कहा कि आशावादी परिदृश्य में रोजाना मामले 50000 से 100000 हो सकते हैं.

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वहीं, विद्यासागर ने कहा कि तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के मामले कम हो सकते हैं. उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण दिया जहां जनवरी में 60,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें प्रतिदिन मौतों का आंकड़ा 1,200 था. हालांकि, चौथी लहर के दौरान, यह संख्या घटकर 21,000 रह गई और केवल 14 मौत हुईं.

विद्यासागर ने कहा, ब्रिटेन में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता वाले मामलों को कम करने में टीकाकरण ने प्रमुख भूमिका निभाई.

(पीटीआई-भाषा)

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