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भारत के 310 जिलों में कोविड पॉजिटिव दर राष्ट्रीय औसत से अधिक

आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट के आधार पर कोरोना मरीजों की पहचान सुनिश्चित की जाती है. जांच दर बढ़ाने के लिए सरकार ने स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक केंद्र और आरडब्लूए में भी रैट सेंटर खोले जाने की इजाजत दे दी है. राष्ट्रीय स्तर पर पॉजिटिव रेट 21 फीसदी है. देश के अलग-अलग इलाकों में टेस्टिंग की क्या है स्थिति और कहां पर है सबसे अधिक पॉजिटिव रेट, आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

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कोरोना टेस्टिंग
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Published : May 11, 2021, 5:59 PM IST

Updated : May 11, 2021, 6:38 PM IST

हैदराबाद : कोरोना संक्रमण पूरे देश में फैल चुका है. शहरों के बाद अब गांवों से भी मामले सामने आने लगे हैं. कोरोना मरीजों की पहचान के लिए अलग-अलग जगहों पर टेस्टिंग की जा रही है. आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्टिंग (रैट) के आधार पर कोरोना मरीजों की पहचान की जाती है. केंद्र ने सभी सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में रैट की इजाजत दे दी है. स्कूल, कॉलेज, आरडब्लूए में रैट सेंटर बनाने को मंजूरी प्रदान कर दी गई है. जांच की गति बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है. जितनी भी टेस्टिंग होगी, उसे आईसीएमआर की साईट पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है.

इन आंकड़ों के आधार पर ही सरकार प्रतिदिन कोरोना मरीजों की संख्या जारी करती है. जितने लोग जांच कराने के लिए सामने आते हैं, उनमें से जो भी पॉजिटिव पाए जाते हैं, उन्हें कोरोना पॉजिटिव कहा जाता है.

राष्ट्रीय स्तर पर पॉजिटिव रेट 21 फीसदी है. देश के 734 जिलों में से 310 जिलों में पॉजिटिव रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं.

एक दिन में अधिकतम 16 लाख लोगों की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की जा सकती है.

रैट टेस्ट की क्षमता 17 लाख प्रतिदिन है.

30 अप्रैल को पूरे देश में 19,45,299 लोगों की जांच की गई. यह रिकॉर्ड है.

पांच मई को 19,23,131 लोगों की टेस्टिंग की गई.

अप्रैल-मई महीने में औसतन 16-20 लाख लोगों की प्रतिदिन टेस्टिंग की गई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कर्नाटक, तमिलनाडु, प.बंगाल, ओडिशा, पंजाब, असम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में मामले अब भी लगातार बढ़ रहे हैं. यानी यहां पर टेस्टिंग ज्यादा हो रही है, इसलिए आंकड़े बढ़ रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले सप्ताह प. बंगाल और दिल्ली में सबसे अधिक पॉजिटिव मामले सामने आए थे.

पश्चिम बंगाल और दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट सबसे अधिक है. 26 अप्रैल से तीन मई तक इन दोनों राज्येों में पॉजिटिविटी रेट 30 फीसदी से अधिक रहा है. कोविड से सबसे अधिक प्रभावित बाकी के सात राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 20 फीसदी से अधिक रहा है. पिछले 20 दिनों में सबसे अधिक पॉजिटिव रेट प.बंगाल के रहे हैं.

प.बंगाल में 15 अप्रैल को पॉजिटिव रेट 16 फीसदी था. अभी यह दर 31 फीसदी है. 15 अप्रैल को प. बंगाल ने 42000 लोगों की जांच की थी. तीन मई को 55000 लोगों की जांच की गई है. ज्यादा जांच होने का अर्थ है कि वहां से ज्यादा मामले सामने आएंगे.

दिल्ली में 22 अप्रैल को पॉजिटिव रेट 36.2 फीसदी था. 30 अप्रैल तक पॉजिटिव रेट 30 फीसदी से अधिक बना रहा. 10 मई को पॉजिटिव रेट 20 फीसदी से नीचे आ गया. 10 मई को दिल्ली में 12,651 मामले सामने आए थे. तीन मई को 23,552 मामले सामने आए थे. 20 अप्रैल को दिल्ली में सबसे अधिक 28,395 मामले सामने आए थे.

आइए हम आपको बताते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में पॉजिटिविटी रेट (4 मई-10मई) कितनी है. यहां पर हम आपको उन जिलों का जिक्र कर रहे हैं, जहां पर उस राज्य में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इसका अर्थ है कि बाकी के जिलों में उससे कम मामले सामने आए हैं.

एक नजर ...

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हैदराबाद : कोरोना संक्रमण पूरे देश में फैल चुका है. शहरों के बाद अब गांवों से भी मामले सामने आने लगे हैं. कोरोना मरीजों की पहचान के लिए अलग-अलग जगहों पर टेस्टिंग की जा रही है. आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्टिंग (रैट) के आधार पर कोरोना मरीजों की पहचान की जाती है. केंद्र ने सभी सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में रैट की इजाजत दे दी है. स्कूल, कॉलेज, आरडब्लूए में रैट सेंटर बनाने को मंजूरी प्रदान कर दी गई है. जांच की गति बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है. जितनी भी टेस्टिंग होगी, उसे आईसीएमआर की साईट पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है.

इन आंकड़ों के आधार पर ही सरकार प्रतिदिन कोरोना मरीजों की संख्या जारी करती है. जितने लोग जांच कराने के लिए सामने आते हैं, उनमें से जो भी पॉजिटिव पाए जाते हैं, उन्हें कोरोना पॉजिटिव कहा जाता है.

राष्ट्रीय स्तर पर पॉजिटिव रेट 21 फीसदी है. देश के 734 जिलों में से 310 जिलों में पॉजिटिव रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं.

एक दिन में अधिकतम 16 लाख लोगों की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की जा सकती है.

रैट टेस्ट की क्षमता 17 लाख प्रतिदिन है.

30 अप्रैल को पूरे देश में 19,45,299 लोगों की जांच की गई. यह रिकॉर्ड है.

पांच मई को 19,23,131 लोगों की टेस्टिंग की गई.

अप्रैल-मई महीने में औसतन 16-20 लाख लोगों की प्रतिदिन टेस्टिंग की गई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कर्नाटक, तमिलनाडु, प.बंगाल, ओडिशा, पंजाब, असम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में मामले अब भी लगातार बढ़ रहे हैं. यानी यहां पर टेस्टिंग ज्यादा हो रही है, इसलिए आंकड़े बढ़ रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले सप्ताह प. बंगाल और दिल्ली में सबसे अधिक पॉजिटिव मामले सामने आए थे.

पश्चिम बंगाल और दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट सबसे अधिक है. 26 अप्रैल से तीन मई तक इन दोनों राज्येों में पॉजिटिविटी रेट 30 फीसदी से अधिक रहा है. कोविड से सबसे अधिक प्रभावित बाकी के सात राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 20 फीसदी से अधिक रहा है. पिछले 20 दिनों में सबसे अधिक पॉजिटिव रेट प.बंगाल के रहे हैं.

प.बंगाल में 15 अप्रैल को पॉजिटिव रेट 16 फीसदी था. अभी यह दर 31 फीसदी है. 15 अप्रैल को प. बंगाल ने 42000 लोगों की जांच की थी. तीन मई को 55000 लोगों की जांच की गई है. ज्यादा जांच होने का अर्थ है कि वहां से ज्यादा मामले सामने आएंगे.

दिल्ली में 22 अप्रैल को पॉजिटिव रेट 36.2 फीसदी था. 30 अप्रैल तक पॉजिटिव रेट 30 फीसदी से अधिक बना रहा. 10 मई को पॉजिटिव रेट 20 फीसदी से नीचे आ गया. 10 मई को दिल्ली में 12,651 मामले सामने आए थे. तीन मई को 23,552 मामले सामने आए थे. 20 अप्रैल को दिल्ली में सबसे अधिक 28,395 मामले सामने आए थे.

आइए हम आपको बताते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में पॉजिटिविटी रेट (4 मई-10मई) कितनी है. यहां पर हम आपको उन जिलों का जिक्र कर रहे हैं, जहां पर उस राज्य में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इसका अर्थ है कि बाकी के जिलों में उससे कम मामले सामने आए हैं.

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Last Updated : May 11, 2021, 6:38 PM IST
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