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कोविड के मामलों में गिरावट अगले 4-6 सप्ताह में संभव : विशेषज्ञ

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Published : Apr 30, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 8:22 PM IST

कोरोना ने कारण देशभर से दिल दहला देने वाली कहानियां लगातार सामने आ रही हैं, जहां लोगों को कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती तो करवाया गया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण उनकी मौत हो गईं. इस बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले 4-6 सप्ताह में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है. पढ़िए ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : विजू विजयन और उनके वर्षीय पिता वी विजयन को उनके ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर के गिर जाने के बाद नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके परिवार के सदस्य अस्पताल से उनकी सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पिता और पुत्र दोनों के लिए यह अंतिम यात्रा थी क्योंकि अस्पताल में कुछ दिन बिताने के बाद उनकी मृत्यु हो गई.

इसी तरह 36 वर्षीय सुशील शर्मा ने नोएडा के एक अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष करने के बाद अपने दो नाबालिग बच्चों और पत्नी को छोड़ गए. ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक आवासीय परिसर निराला एस्टेट में भी देखने को मिली, जहां कई परिवारों ने पिछले कुछ दिनों में 11 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

इस तरह की दिल दहला देने वाली कहानियां भारत भर से लगातार सामने आ रही हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले 4-6 सप्ताह में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

डेटा बताता है कि कोविड-19 की दूसरी लहर कुछ राज्यों में अधिक संक्रामक और घातक साबित हो रही है. हालांकि वायरस से भारत की मृत्यु दर अभी भी अन्य देशों की तुलना में कम है.

भारत के सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने ईटीवी भारत को बताया कि वायरस के तेजी से फैलने के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं.

आईसीएमआर के प्रवक्ता डॉ लोकेश ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मौजूदा उछाल और मौतें विदेशी वेरिएंट के कारण हो रही हैं. वर्तमान स्थिति के लिए कई कारण हैं.

वर्तमान स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से स्थानीय नियंत्रण उपाय करने को कहा है.

गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सामुदायिक नियंत्रण और बड़े नियंत्रण क्षेत्रों के कार्यान्वयन के लिए भी सुझाव दिया है, जहां पिछले एक सप्ताह में सकारात्मकता दर 10 प्रतिशत से अधिक है और जहां बिस्तर 60 प्रतिशत से अधिक घिरे हुए हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान स्थिति को नियंत्रित करना कठिन है, क्योंकि इससे देश की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा रही है. हालांकि ICMR के प्रवक्ता का मानना है कि कोविड के मामलों में वर्तमान स्पाइक अगले 4-6 सप्ताह में कम हो जाएगा.

डॉ लोकेश ने कहा है कि दूसरी लहर में मामलों की संख्या में तेजी आई है, लेकिन उम्मीद है कि अगले 4-6 सप्ताह के भीतर भारत कोविड19 मामलों की वर्तमान स्पाइक में कमी देखेगा.

पिछले साल 18 जून को भारत ने 11,000 मामले दर्ज किए , जबकि अगले 60 दिनों में इसमें औसतन हर दिन 35,000 नए मामले देखने को मिले.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मौजूदा म्यूटेशन सीधे लोगों की मौत का कारण बन रहा है. विडंबना यह है कि10 दिनों में मामले दैनिक औसत के साथ लगभग 90,000 तक पहुंच गए. वर्तमान लहर अधिक संक्रामक और घातक है.

उन्होंने कहा कि संक्रमण के तेजी से फैलने के अलावा तीन विदेशी और एक भारतीय डबल म्यूटेंट देश भर में मौजूदा कहर पैदा कर रहे हैं.

डॉ ज्ञानी ने कहा कि हाल ही में हुए चुनावों और सार्वजनिक सभाओं ने स्थिति को और अधिक गंभीर कर दिया है. भारत में ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीकी संस्करण का पता लगाया गया है. वर्तमान स्थिति ने भारतीय स्वास्थ्य ढांचे को तहस-नहस कर दिया है.

डॉ ज्ञानी ने कहा कि इस साल केंद्र सरकार ने स्थिति में सुधार किया है. इस साल केंद्र सरकार ने म्यूटेशन के लिए कंसोर्टियम का गठन किया था.

डॉ ज्ञानी ने कहा है कि केंद्र सरकार को वैक्सीन निर्माण पर अधिक जोर देना चाहिए था.

डॉ ज्ञानी द्वारा दिया गया बयान इस तथ्य के बाद बहुत अधिक महत्व रखता है कि कई राज्य सरकारों ने 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू करने में असमर्थता व्यक्त की है.

आयु के मानदंड में और ढील देते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जाना चाहिए.

पढ़ें - कोरोना से मचा हाहाकार, 24 घंटे धधक रहे श्मशान, 3.86 लाख नए केस

वर्तमान स्थिति के बिगड़ने के अन्य कारणों में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी है. भारत भर के कई शहरों में अस्पतालों में बेड कमी बताई गई है. कई राज्य सरकारों ने कहा कि वे सकारात्मक रोगियों को समायोजित करने के लिए नई सुविधाओं का निर्माण कर रहे हैं.

हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि संक्रमण की बढ़ती संख्या की गति को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. समय पर ऑक्सीजन की उपलब्ध न होने के कारण पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मौत हो गई है.

गौरतलब है कि दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों में अस्पतालों में बिस्तर लगभग खत्म हो चुके हैं, जबकि कई शहरों में कुछ ही संख्या में आईसीयू बेड बचे हैं.

केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि शुक्रवार को भारत में लगातार तीसरे दिन 3,000 से अधिक मौतों के साथ 3.86 लाख नए कोरोना केस दर्ज किए गए.

शुक्रवार को दर्ज किए गए 386,452 नए मामलों के साथ भारत में कोरोना मामलों की संख्या अब 1,87,62,976 हो गई है, जो 2019 में महामारी शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है.

पिछले 24 घंटों में भारत ने देश भर से 3,498 मौतें दर्ज कीं. 771 के साथ, महारास्ट्र ने पिछले 24 घंटों में सबसे अधिक मृत्यु दर्ज की. उसके बाद दिल्ली 395 और उत्तर प्रदेश में 295 लोगों की मौत हुई.

नई दिल्ली : विजू विजयन और उनके वर्षीय पिता वी विजयन को उनके ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर के गिर जाने के बाद नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके परिवार के सदस्य अस्पताल से उनकी सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पिता और पुत्र दोनों के लिए यह अंतिम यात्रा थी क्योंकि अस्पताल में कुछ दिन बिताने के बाद उनकी मृत्यु हो गई.

इसी तरह 36 वर्षीय सुशील शर्मा ने नोएडा के एक अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष करने के बाद अपने दो नाबालिग बच्चों और पत्नी को छोड़ गए. ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक आवासीय परिसर निराला एस्टेट में भी देखने को मिली, जहां कई परिवारों ने पिछले कुछ दिनों में 11 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

इस तरह की दिल दहला देने वाली कहानियां भारत भर से लगातार सामने आ रही हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले 4-6 सप्ताह में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

डेटा बताता है कि कोविड-19 की दूसरी लहर कुछ राज्यों में अधिक संक्रामक और घातक साबित हो रही है. हालांकि वायरस से भारत की मृत्यु दर अभी भी अन्य देशों की तुलना में कम है.

भारत के सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने ईटीवी भारत को बताया कि वायरस के तेजी से फैलने के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं.

आईसीएमआर के प्रवक्ता डॉ लोकेश ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मौजूदा उछाल और मौतें विदेशी वेरिएंट के कारण हो रही हैं. वर्तमान स्थिति के लिए कई कारण हैं.

वर्तमान स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से स्थानीय नियंत्रण उपाय करने को कहा है.

गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सामुदायिक नियंत्रण और बड़े नियंत्रण क्षेत्रों के कार्यान्वयन के लिए भी सुझाव दिया है, जहां पिछले एक सप्ताह में सकारात्मकता दर 10 प्रतिशत से अधिक है और जहां बिस्तर 60 प्रतिशत से अधिक घिरे हुए हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान स्थिति को नियंत्रित करना कठिन है, क्योंकि इससे देश की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा रही है. हालांकि ICMR के प्रवक्ता का मानना है कि कोविड के मामलों में वर्तमान स्पाइक अगले 4-6 सप्ताह में कम हो जाएगा.

डॉ लोकेश ने कहा है कि दूसरी लहर में मामलों की संख्या में तेजी आई है, लेकिन उम्मीद है कि अगले 4-6 सप्ताह के भीतर भारत कोविड19 मामलों की वर्तमान स्पाइक में कमी देखेगा.

पिछले साल 18 जून को भारत ने 11,000 मामले दर्ज किए , जबकि अगले 60 दिनों में इसमें औसतन हर दिन 35,000 नए मामले देखने को मिले.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मौजूदा म्यूटेशन सीधे लोगों की मौत का कारण बन रहा है. विडंबना यह है कि10 दिनों में मामले दैनिक औसत के साथ लगभग 90,000 तक पहुंच गए. वर्तमान लहर अधिक संक्रामक और घातक है.

उन्होंने कहा कि संक्रमण के तेजी से फैलने के अलावा तीन विदेशी और एक भारतीय डबल म्यूटेंट देश भर में मौजूदा कहर पैदा कर रहे हैं.

डॉ ज्ञानी ने कहा कि हाल ही में हुए चुनावों और सार्वजनिक सभाओं ने स्थिति को और अधिक गंभीर कर दिया है. भारत में ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीकी संस्करण का पता लगाया गया है. वर्तमान स्थिति ने भारतीय स्वास्थ्य ढांचे को तहस-नहस कर दिया है.

डॉ ज्ञानी ने कहा कि इस साल केंद्र सरकार ने स्थिति में सुधार किया है. इस साल केंद्र सरकार ने म्यूटेशन के लिए कंसोर्टियम का गठन किया था.

डॉ ज्ञानी ने कहा है कि केंद्र सरकार को वैक्सीन निर्माण पर अधिक जोर देना चाहिए था.

डॉ ज्ञानी द्वारा दिया गया बयान इस तथ्य के बाद बहुत अधिक महत्व रखता है कि कई राज्य सरकारों ने 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू करने में असमर्थता व्यक्त की है.

आयु के मानदंड में और ढील देते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जाना चाहिए.

पढ़ें - कोरोना से मचा हाहाकार, 24 घंटे धधक रहे श्मशान, 3.86 लाख नए केस

वर्तमान स्थिति के बिगड़ने के अन्य कारणों में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी है. भारत भर के कई शहरों में अस्पतालों में बेड कमी बताई गई है. कई राज्य सरकारों ने कहा कि वे सकारात्मक रोगियों को समायोजित करने के लिए नई सुविधाओं का निर्माण कर रहे हैं.

हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि संक्रमण की बढ़ती संख्या की गति को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. समय पर ऑक्सीजन की उपलब्ध न होने के कारण पिछले कुछ दिनों में कई लोगों की मौत हो गई है.

गौरतलब है कि दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों में अस्पतालों में बिस्तर लगभग खत्म हो चुके हैं, जबकि कई शहरों में कुछ ही संख्या में आईसीयू बेड बचे हैं.

केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि शुक्रवार को भारत में लगातार तीसरे दिन 3,000 से अधिक मौतों के साथ 3.86 लाख नए कोरोना केस दर्ज किए गए.

शुक्रवार को दर्ज किए गए 386,452 नए मामलों के साथ भारत में कोरोना मामलों की संख्या अब 1,87,62,976 हो गई है, जो 2019 में महामारी शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है.

पिछले 24 घंटों में भारत ने देश भर से 3,498 मौतें दर्ज कीं. 771 के साथ, महारास्ट्र ने पिछले 24 घंटों में सबसे अधिक मृत्यु दर्ज की. उसके बाद दिल्ली 395 और उत्तर प्रदेश में 295 लोगों की मौत हुई.

Last Updated : Apr 30, 2021, 8:22 PM IST
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