एर्नाकुलम : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है, लेकिन न्यायाधीश भगवान नहीं हैं और वादी और वकीलों को अदालत के सामने हाथ जोड़कर पेश होने की कोई आवश्यकता नहीं है.
जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन (ustice PV Kunhikrishnan) ने कहा कि कोर्ट रूम के अंदर सिर्फ विनम्रता बनाए रखनी चाहिए. उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी अलाप्पुझा निवासी के खिलाफ मामले की कार्यवाही को रद्द करने के आदेश में आई.
कोर्ट ने कहा कि जज अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. वादी और अधिवक्ताओं को न्यायाधीशों के सामने हाथ जोड़कर उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है. हाई कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि मुकदमों की पैरवी करना संवैधानिक अधिकार है.
ये है मामला: अलाप्पुझा की महिला मामले में याचिकाकर्ता थी. उसने हाथ जोड़कर अपने मामले की पैरवी की. याचिकाकर्ता के खिलाफ अलाप्पुझा नॉर्थ पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर द्वारा शिकायत दर्ज की गई थी. शिकायत अप्रैल 2019 के महीने में दर्ज की गई थी.
शिकायत यह थी कि याचिकाकर्ता ने फोन पर पुलिस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया. लेकिन इस मामले का एक पुराना इतिहास भी था. एसआई की शिकायत से पहले याचिकाकर्ता ने अलाप्पुझा एसपी के पास शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके घर के पास प्रार्थना केंद्र से आने वाला शोर परेशानी का कारण बन रहा है, और एसपी के निर्देश के अनुसार, एसआई को जांच का जिम्मा सौंपा गया था.
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि जब उसे इस मामले की जानकारी देने के लिए बुलाया गया तो पुलिसकर्मी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसने इस संबंध में एसपी के पास शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत की एक प्रति भी पेश की गई. उच्च न्यायालय ने शिकायत के समय और उस समय की जांच की जब याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला मजिस्ट्रेट की अदालत में रिपोर्ट किया गया था.
समय की विसंगति से आश्वस्त होकर, अदालत ने यह भी पाया कि पुलिस अधिकारी का मामला एसपी को दी गई शिकायत के बदले में याचिकाकर्ता के खिलाफ एक प्रतिशोधपूर्ण कार्य था. अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले की कार्यवाही भी रद्द कर दी. विचाराधीन घटना 2019 में हुई थी.
एसपी को दिए जांच के आदेश : साथ ही कोर्ट ने अलाप्पुझा एसपी को याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज मामले की पृष्ठभूमि की जांच करने का भी निर्देश दिया. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि आरोपी पुलिसकर्मी की ओर से कोई विफलता हुई है तो आवश्यक कार्रवाई की जाए.