नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हास्य कलाकार कुणाल कामरा द्वारा कथित तौर पर शीर्ष अदालत के लिए अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर वह शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ये याचिकाएं सुनवाई के लिए आईं, जिसमें एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता निशांत आर कटनेश्वर्कर ने दावा किया कि कामरा ने न्यायपालिका के लिए अपमानजनक ट्वीट किए हैं.
न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष उन्होंने कहा, ये सभी ट्वीट अपमानजनक हैं और हमने इस मामले में अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी थी.
कटनेश्वर्कर ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का पत्र अदालत में पढ़ा, जिसमें कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को लेकर सहमति दी गई है.
इस पर अदालत ने वकील से कहा कि वह हास्य कलाकार के कथित अवमानना करने वाले ट्वीट खुली अदालत में नहीं पढ़ें, क्योंकि अदालत पहले ही वेणुगोपाल के पत्र को देख चुकी है.
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उल्लेखनीय है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत को अवमानना अधिनियम-1971 की धारा-15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति लेनी होती है.
कामरा के खिलाफ दायर याचिकाओं में एक याचिका विधि के छात्र श्रीरंग कटनेश्वर्कर ने दायर की है.
उल्लेखनीय है कि 11 नवंबर को कामरा ने ये ट्वीट तब किए जब वर्ष 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और शीर्ष अदालत में सुनवाई चल रही थी.