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मुस्लिम पति द्वारा बहुविवाह करने को असंवैधानिक बताने संबंधी याचिका, हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र का रुख जानना चाहा, जिसमें एक मुस्लिम पति द्वारा उसकी पत्नी अथवा पत्नियों की बिना लिखित अनुमति के द्विविवाह या बहुविवाह करने को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है.

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Published : May 2, 2022, 5:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मुस्लिम पति द्वारा बहुविवाह करने को असंवैधानिक घोषित किए जाने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका में मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहुविवाह को विनियमित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. साथ ही कहा गया कि इसके लिए पत्नी की लिखित अनुमति ली जाये और पति द्वारा न्यायिक अधिकारी से एक प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाये. जिसमें यह सत्यापित हो कि वह सभी पत्नियों की समान रूप से जिम्मेदारी उठाने में सक्षम है. इसके अलावा निकाह से पहले वह पूर्व में हुए विवाह के बारे में पूरी जानकारी घोषित करे.

यह भी पढ़ें- देशद्रोह कानून की जरूरत पर जवाब, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय

याचिकाकर्ता ने मुस्लिम शादियों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराये जाने के लिए भी कानून बनाने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता रेश्मा ने दावा किया कि शरीयत कानून के अंतर्गत केवल विशेष परिस्थितियों में ही एक मुस्लिम पति को द्विविवाह या बहुविवाह की अनुमति दी गई है और मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा पर अंकुश लगाने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए. रेश्मा का पति कथित तौर पर उसे तलाक देने की योजना बनाने के साथ ही बिना उसकी अनुमति के या उसे और उनके बच्चे के गुजर-बसर का इंतजाम किए बिना ही दूसरी शादी करने जा रहा है. मामले की अगली सुनवायी 23 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की गई.

(पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मुस्लिम पति द्वारा बहुविवाह करने को असंवैधानिक घोषित किए जाने संबंधी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका में मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहुविवाह को विनियमित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. साथ ही कहा गया कि इसके लिए पत्नी की लिखित अनुमति ली जाये और पति द्वारा न्यायिक अधिकारी से एक प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाये. जिसमें यह सत्यापित हो कि वह सभी पत्नियों की समान रूप से जिम्मेदारी उठाने में सक्षम है. इसके अलावा निकाह से पहले वह पूर्व में हुए विवाह के बारे में पूरी जानकारी घोषित करे.

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याचिकाकर्ता ने मुस्लिम शादियों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराये जाने के लिए भी कानून बनाने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता रेश्मा ने दावा किया कि शरीयत कानून के अंतर्गत केवल विशेष परिस्थितियों में ही एक मुस्लिम पति को द्विविवाह या बहुविवाह की अनुमति दी गई है और मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा पर अंकुश लगाने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए. रेश्मा का पति कथित तौर पर उसे तलाक देने की योजना बनाने के साथ ही बिना उसकी अनुमति के या उसे और उनके बच्चे के गुजर-बसर का इंतजाम किए बिना ही दूसरी शादी करने जा रहा है. मामले की अगली सुनवायी 23 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की गई.

(पीटीआई)

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