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न्यायालय का समयसीमा को लेकर आदेश केवल अपील से जुड़े मामलों पर लागू: सीबीआईसी

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय ने कर संबंधित मामलों के लिये जो समयसीमा बढ़ायी है, वह करदाताओं के लिये केवल अपील से जुड़े मामलों को लेकर है. यह आदेश माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत किसी अन्य अनुपालन या आकलन पर लागू नहीं होगा.

सीबीआईसी
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Published : Jul 21, 2021, 9:03 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय ने कर संबंधित मामलों के लिये जो समयसीमा बढ़ायी है, वह करदाताओं के लिये केवल अपील से जुड़े मामलों को लेकर है. यह आदेश माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत किसी अन्य अनुपालन या आकलन पर लागू नहीं होगा.

बता दें सभी प्रधान मुख्य आयुक्तों और महानिदेशकों को लिखे पत्र में, सीबीआईसी ने कहा कि उसने 27 अप्रैल, 2021 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के लागू होने को लेकर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत समयसीमा के संदर्भ में कानूनी राय मांगी थी. सीबीआईसी ने कहा, 'शीर्ष अदालत ने जो समयसीमा बढ़ायी है, वह केवल याचिकाओं/ आवेदनों/ मुकदमों/ अपील/ अन्य सभी कार्यवाही से संबंधित अर्ध-न्यायिक और न्यायिक मामलों पर लागू होती है. न्यायालय का समयसीमा बढ़ाने का कदम अपीलों/मुकदमों/याचिका आदि को लेकर केवल न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संदर्भ में है. यह समयसीमा सीजीएसटी अधिनियम के तहत हर कार्रवाई या कार्यवाही के लिए नहीं बढ़ायी गयी है.

न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकृति के कार्रवाई से जुड़े मामलों पर लागू

सीबीआईसी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कई आदेश दिये हैं और समयसीमा बढ़ायी है. वे केवल न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकृति के कार्रवाई से जुड़े मामलों पर लागू होंगे. ऐसे मामलों में जहां कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है या करदाताओं द्वारा अनुपालन करने की आवश्यकता है, ऐसी कार्रवाई केवल सांविधिक व्यवस्था और उसके तहत प्रदान की गई समयसीमा के तहत चलती रहेंगी. सीबीआईसी ने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेश करदाताओं की तरफ से उक्त कार्यवाही और अनुपालनों पर लागू नहीं होंगे.

इसी प्रकार, कर अधिकारी अगर रिफंड के लिये आवेदन, पंजीकरण रद्द करने के आदेश को समाप्त करने से जुड़ी अर्जी आदि जैसे मामलों में अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहे हैं, वे उन मामलों को निपटाना जारी रख सकते हैं. सीबीआईसी ने कहा कि इसी प्रकार, जो अपीलें दायर की गई हैं और लंबित हैं, उनकी सुनवाई और निपटान जारी रखा जा सकता है और वे सांविधिक या अधिसूचनाओं के जरिये दिए गए समय विस्तार के अनुसार काम करेंगे. हालांकि, ऐसे मामलों में जहां किसी भी अर्ध-न्यायिक आदेश के खिलाफ संयुक्त / अतिरिक्त आयुक्त (अपील), आयुक्त (अपील), एडवांस रूलिंग के लिये अपीलीय प्राधिकरण, न्यायाधिकरण और विभिन्न अदालतों के समक्ष कोई अपील दायर करने की आवश्यकता है या जहां किसी आदेश में संशोधन या सुधार के लिए कार्यवाही की जरूरत है, उसके लिए समय सीमा न्यायालय के आदेश के अनुसार बढ़ाई जाएगी.

जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही पर लागू नहीं

सीबीआईसी ने कहा कि न्यायालय का आदेश जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही पर लागू नहीं होगा. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन के अनुसार यह स्पष्टीकरण महामारी के कारण शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए व्यापक विस्तार को सीमित करेगा और इससे कर अधिकारी लंबित मामलों के निपटान में तेजी ला सकते हैं.

(भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय ने कर संबंधित मामलों के लिये जो समयसीमा बढ़ायी है, वह करदाताओं के लिये केवल अपील से जुड़े मामलों को लेकर है. यह आदेश माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत किसी अन्य अनुपालन या आकलन पर लागू नहीं होगा.

बता दें सभी प्रधान मुख्य आयुक्तों और महानिदेशकों को लिखे पत्र में, सीबीआईसी ने कहा कि उसने 27 अप्रैल, 2021 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के लागू होने को लेकर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत समयसीमा के संदर्भ में कानूनी राय मांगी थी. सीबीआईसी ने कहा, 'शीर्ष अदालत ने जो समयसीमा बढ़ायी है, वह केवल याचिकाओं/ आवेदनों/ मुकदमों/ अपील/ अन्य सभी कार्यवाही से संबंधित अर्ध-न्यायिक और न्यायिक मामलों पर लागू होती है. न्यायालय का समयसीमा बढ़ाने का कदम अपीलों/मुकदमों/याचिका आदि को लेकर केवल न्यायिक और अर्ध-न्यायिक कार्यवाही के संदर्भ में है. यह समयसीमा सीजीएसटी अधिनियम के तहत हर कार्रवाई या कार्यवाही के लिए नहीं बढ़ायी गयी है.

न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकृति के कार्रवाई से जुड़े मामलों पर लागू

सीबीआईसी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कई आदेश दिये हैं और समयसीमा बढ़ायी है. वे केवल न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकृति के कार्रवाई से जुड़े मामलों पर लागू होंगे. ऐसे मामलों में जहां कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है या करदाताओं द्वारा अनुपालन करने की आवश्यकता है, ऐसी कार्रवाई केवल सांविधिक व्यवस्था और उसके तहत प्रदान की गई समयसीमा के तहत चलती रहेंगी. सीबीआईसी ने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेश करदाताओं की तरफ से उक्त कार्यवाही और अनुपालनों पर लागू नहीं होंगे.

इसी प्रकार, कर अधिकारी अगर रिफंड के लिये आवेदन, पंजीकरण रद्द करने के आदेश को समाप्त करने से जुड़ी अर्जी आदि जैसे मामलों में अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहे हैं, वे उन मामलों को निपटाना जारी रख सकते हैं. सीबीआईसी ने कहा कि इसी प्रकार, जो अपीलें दायर की गई हैं और लंबित हैं, उनकी सुनवाई और निपटान जारी रखा जा सकता है और वे सांविधिक या अधिसूचनाओं के जरिये दिए गए समय विस्तार के अनुसार काम करेंगे. हालांकि, ऐसे मामलों में जहां किसी भी अर्ध-न्यायिक आदेश के खिलाफ संयुक्त / अतिरिक्त आयुक्त (अपील), आयुक्त (अपील), एडवांस रूलिंग के लिये अपीलीय प्राधिकरण, न्यायाधिकरण और विभिन्न अदालतों के समक्ष कोई अपील दायर करने की आवश्यकता है या जहां किसी आदेश में संशोधन या सुधार के लिए कार्यवाही की जरूरत है, उसके लिए समय सीमा न्यायालय के आदेश के अनुसार बढ़ाई जाएगी.

जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही पर लागू नहीं

सीबीआईसी ने कहा कि न्यायालय का आदेश जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही पर लागू नहीं होगा. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन के अनुसार यह स्पष्टीकरण महामारी के कारण शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए व्यापक विस्तार को सीमित करेगा और इससे कर अधिकारी लंबित मामलों के निपटान में तेजी ला सकते हैं.

(भाषा)

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