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न्यायालय ने जमानत पर स्थगनादेश के मुकाबले विस्तृत अंतरिम राहत दी: पुलिस

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में दावा किया कि उन्होंने आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तनहा की फिर से गिरफ्तारी का अनुरोध नहीं किया था. दिल्ली पुलिस ने सिर्फ आदेश में की गई यूएपीए कानून की समीक्षा और उसकी कानूनी व्याख्या तथा देश भर में लंबित अन्य मुकदमों पर उसके क्रियान्वयन पर स्थगनादेश का अनुरोध किया था.

पुलिस मुख्यालय
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Published : Jun 19, 2021, 7:16 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने शुक्रवार को दावा किया कि उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने उनके दृष्टिकोण को पूरी तरह स्वीकार किया है और उच्च न्यायालय के आदेश (High Court orders) पर स्थगनादेश के मुकाबले ज्यादा विस्तृत अंतरित राहत दी है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत (Bail by Delhi High Court) के एक मामले में समूचे आतंकवाद निरोधी कानून 'यूएपीए' (UPA) पर चर्चा किये जाने को लेकर नाखुशी जाहिर की और यह स्पष्ट किया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले (North East Delhi riot case) में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत (Bail to three student activists) देने के उच्च न्यायालय के फैसले का इस्तेमाल देश की किसी भी अदालत द्वारा मिसाल के तौर पर नहीं किया जाएगा.

पढ़ें- इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में दावा किया कि उन्होंने आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तनहा की फिर से गिरफ्तारी का अनुरोध नहीं किया था.

पुलिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने सिर्फ आदेश में की गई यूएपीए कानून की समीक्षा और उसकी कानूनी व्याख्या तथा देश भर में लंबित अन्य मुकदमों पर उसके क्रियान्वयन पर स्थगनादेश का अनुरोध किया था.

पढ़ें- सीबीआई देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी के जरिए शुक्ला मामले में दखल दे रही : महाराष्ट्र सरकार

दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल (chinmay biswal) द्वारा जारी बयान के अनुसार, मीडिया में कुछ जगह खबरें हैं कि दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद भी उच्चतम न्यायालय ने मामले में स्थगनादेश जारी करने से इंकार किया. हमारा कहना है कि यह बयान, तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि कृपया यह समझें कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस की प्रार्थना को पूरी तरह स्वीकार किया और स्थगनादेश के मुकाबले ज्यादा विस्तृत अंतरिम राहत दी है.

(भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने शुक्रवार को दावा किया कि उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने उनके दृष्टिकोण को पूरी तरह स्वीकार किया है और उच्च न्यायालय के आदेश (High Court orders) पर स्थगनादेश के मुकाबले ज्यादा विस्तृत अंतरित राहत दी है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत (Bail by Delhi High Court) के एक मामले में समूचे आतंकवाद निरोधी कानून 'यूएपीए' (UPA) पर चर्चा किये जाने को लेकर नाखुशी जाहिर की और यह स्पष्ट किया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले (North East Delhi riot case) में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत (Bail to three student activists) देने के उच्च न्यायालय के फैसले का इस्तेमाल देश की किसी भी अदालत द्वारा मिसाल के तौर पर नहीं किया जाएगा.

पढ़ें- इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में दावा किया कि उन्होंने आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तनहा की फिर से गिरफ्तारी का अनुरोध नहीं किया था.

पुलिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने सिर्फ आदेश में की गई यूएपीए कानून की समीक्षा और उसकी कानूनी व्याख्या तथा देश भर में लंबित अन्य मुकदमों पर उसके क्रियान्वयन पर स्थगनादेश का अनुरोध किया था.

पढ़ें- सीबीआई देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी के जरिए शुक्ला मामले में दखल दे रही : महाराष्ट्र सरकार

दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल (chinmay biswal) द्वारा जारी बयान के अनुसार, मीडिया में कुछ जगह खबरें हैं कि दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद भी उच्चतम न्यायालय ने मामले में स्थगनादेश जारी करने से इंकार किया. हमारा कहना है कि यह बयान, तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि कृपया यह समझें कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस की प्रार्थना को पूरी तरह स्वीकार किया और स्थगनादेश के मुकाबले ज्यादा विस्तृत अंतरिम राहत दी है.

(भाषा)

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