नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को देवी काली से जुड़े उनकी फिल्म के विवादित पोस्टर को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया. इस फिल्म के पोस्टर में देवी काली को कथित तौर पर सिगरेट पीते दिखाया गया है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने लीना की याचिका पर केंद्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी किया. पीठ ने पाया कि लीना के खिलाफ एक लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों के संबंध में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
इस स्तर पर, यह ध्यान दिया जा सकता है कि कई प्राथमिकी दर्ज करना गंभीर पूर्वाग्रह का कारण हो सकता है. हम नोटिस जारी करने के इच्छुक हैं, ताकि कानून के अनुसार सभी प्राथमिकी को एक जगह समेकित किया जा सके.' लीना की ओर से पेश वकील कामिनी जायसवाल ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता का इरादा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने का नहीं था.
लीना द्वारा दायर याचिका में पोस्टर को लेकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को आपस में जोड़ने और रद्द करने का अनुरोध किया गया है.
मां काली के विवादित पोस्टर पर बवाल मचा था. विवादित पोस्टर के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया था कि पोस्टर न केवल आम हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करती है, बल्कि नैतिकता और शालीनता की मूल बातों के भी खिलाफ है. याचिका में कहा गया था कि पोस्टर को लीना मणिमेकलाई ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने लीना मणिमेकलाई के खिलाफ उनकी डॉक्यूमेंट्री के विवादित पोस्टर को लेकर केस दर्ज किया.
(एक्सट्रा इनपुट-भाषा)