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दिल्ली हिंसा: हत्या मामले में आठ आरोपियों को जमानत, एक की अर्जी खारिज - कड़कड़डूमा कोर्ट

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली हिंसा के दौरान कथित हत्या से जुड़े एक मामले में आठ आरोपियों को जमानत दे दी है, जबकि एक आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है. जांच के दौरान मृतक का मोबाइल उसके पास से बरामद किया गया था.

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Published : Apr 5, 2023, 6:43 AM IST

Updated : Apr 5, 2023, 7:04 AM IST

नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगा के दौरान कथित हत्या से संबंधित एक मामले में आठ आरोपितों को जमानत दे दी है, जबकि एक आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने साहिल बाबू, टिंकू, संदीप, विवेक पांचाल, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, प्रिंस और अंकित चौधरी की जमानत याचिका मंजूर कर ली. कोर्ट ने प्रत्येक आरोपित को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के जमानती बांड पर जमानत दी है, जबकि एक अन्य आरोपित हिमांशु ठाकुर के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को देखते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि हिमांशु ठाकुर के पास से मृतक मुरसलिन के मोबाइल फोन की बरामदगी और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के रूप में साक्ष्य हैं, जो मुरसलीन की हत्या के बाद उसके परिवार के सदस्यों के पास सबूत के तौर पर उपलब्ध हैं. आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप के संबंध में एक प्रकार का परिस्थितिजन्य साक्ष्य है, जो आईपीसी की धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत आता है.

अदालत ने कहा कि बरामदगी आईपीसी की धारा 412 (डकैती के लिए चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करना) के तहत आरोप के लिए ठोस सबूत भी था. न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि इन परिस्थितियों में आरोपों की गंभीरता और इसके लिए दी गई सजा की गंभीरता के साथ-साथ अतिरिक्त सबूतों को ध्यान में रखते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज की जाती है. दूसरी ओर आठ आरोपितों की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए, जमानत याचिकाओं के संबंध में न्यायाधीश ने कहा कि मुझे इस चरण तक कथित आरोपों के संबंध में आवेदकों के खिलाफ बहुत ठोस और ठोस सबूत नहीं मिले है. चूंकि, सभी महत्वपूर्ण गवाहों की पहले ही जांच की जा चुकी है, समानता के आधार पर भी, केस के समापन तक आवेदकों को सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं होगा. अभियोजन पक्ष के अनुसार मुख्य आरोपी लोकेश सोलंकी कट्टर हिंदू एकता व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य था.

ये भी पढ़ें : Coronavirus Update: दिल्ली में कोरोना के 521 नए पॉजिटिव मामले, एक मरीज की मौत

एक जांच के बाद दिल्ली हिंसा में हाशिम अली की कथित हत्या के लिए नौ आरोपियों के खिलाफ सितंबर 2020 में एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था. इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में वॉट्सएप ग्रुप का नाम सामने आया था. दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट के अनुसार यह ग्रुप 25 फरवरी को बनाया गया था और इसका कथित उद्देश्य हिंदुओं को हुई परेशानी का बदला लेना था. गोकलपुरी पुलिस थाना में दंगा, षड़यंत्र, गैर कानूनी जमावड़े सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था.

नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगा के दौरान कथित हत्या से संबंधित एक मामले में आठ आरोपितों को जमानत दे दी है, जबकि एक आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने साहिल बाबू, टिंकू, संदीप, विवेक पांचाल, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, प्रिंस और अंकित चौधरी की जमानत याचिका मंजूर कर ली. कोर्ट ने प्रत्येक आरोपित को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के जमानती बांड पर जमानत दी है, जबकि एक अन्य आरोपित हिमांशु ठाकुर के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को देखते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि हिमांशु ठाकुर के पास से मृतक मुरसलिन के मोबाइल फोन की बरामदगी और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के रूप में साक्ष्य हैं, जो मुरसलीन की हत्या के बाद उसके परिवार के सदस्यों के पास सबूत के तौर पर उपलब्ध हैं. आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप के संबंध में एक प्रकार का परिस्थितिजन्य साक्ष्य है, जो आईपीसी की धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत आता है.

अदालत ने कहा कि बरामदगी आईपीसी की धारा 412 (डकैती के लिए चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करना) के तहत आरोप के लिए ठोस सबूत भी था. न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि इन परिस्थितियों में आरोपों की गंभीरता और इसके लिए दी गई सजा की गंभीरता के साथ-साथ अतिरिक्त सबूतों को ध्यान में रखते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज की जाती है. दूसरी ओर आठ आरोपितों की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए, जमानत याचिकाओं के संबंध में न्यायाधीश ने कहा कि मुझे इस चरण तक कथित आरोपों के संबंध में आवेदकों के खिलाफ बहुत ठोस और ठोस सबूत नहीं मिले है. चूंकि, सभी महत्वपूर्ण गवाहों की पहले ही जांच की जा चुकी है, समानता के आधार पर भी, केस के समापन तक आवेदकों को सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं होगा. अभियोजन पक्ष के अनुसार मुख्य आरोपी लोकेश सोलंकी कट्टर हिंदू एकता व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य था.

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एक जांच के बाद दिल्ली हिंसा में हाशिम अली की कथित हत्या के लिए नौ आरोपियों के खिलाफ सितंबर 2020 में एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था. इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में वॉट्सएप ग्रुप का नाम सामने आया था. दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट के अनुसार यह ग्रुप 25 फरवरी को बनाया गया था और इसका कथित उद्देश्य हिंदुओं को हुई परेशानी का बदला लेना था. गोकलपुरी पुलिस थाना में दंगा, षड़यंत्र, गैर कानूनी जमावड़े सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था.

Last Updated : Apr 5, 2023, 7:04 AM IST
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