नई दिल्ली : दिल्ली में वैक्सीन का ड्राई रन शुरू हो गया है. 6 जनवरी से भारत में स्वदेश निर्मित 'कोवैक्सीन' का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा. हालांकि, इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल अभी चल ही रहा है. इससे संबंधित आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि यह वैक्सीन कितनी कारगर है. हालांकि, इसी बीच मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर सामने आई है. डॉक्टरों का दावा है कि इसका एफीकेसी रेट (प्रभावोत्पादकता) 94 प्रतिशत से ज्यादा है.
15,000 लोगों को दी गई माॉडर्ना वैक्सीन
इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीपक नटराजन बताते हैं कि मॉडर्ना वैक्सीन के मैसेंजर आरएनए वैक्सीन से संबंधित सारे आंकड़े प्रकाशित हुए हैं. इसमें 15,000 लोगों को वैक्सीन दी गई और इतने ही लोगों को सॉल्ट का इंजेक्शन दिया गया. 15,000 में से 185 लोग बीमार पड़े, जिन्हें सॉल्ट का इंजेक्शन दिया गया था, लेकिन जिनको वैक्सीन दी गई थी उनमें से सिर्फ 11 लोग ही बीमार पड़े. इसका मतलब यह हुआ कि इस वैक्सीन का एफीकेसी रेट (प्रभावोत्पादकता) 94 प्रतिशत से ज्यादा है.
सॉल्ट के इंजेक्शन से लोग बीमार
डॉ. नटराजन ने बताया कि यह भी देखा गया कि वैक्सीन लेने वाले 65 साल के लोगों में एफीकेसी रेट (प्रभावोत्पादकता) 85 फीसदी से अधिक था, जबकि 65 साल से कम उम्र के लोगों की एफीकेसी रेट 96 फीसदी थी. वहीं 30 लोग जिन्हें वैक्सीन की जगह सॉल्ट का इंजेक्शन दिया गया था. वे गंभीर रूप से बीमार पड़े और इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
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10 दिनों बाद एंटीबॉडी बनना शुरू
वैक्सीन लेने वाला ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था, जिन्हें गंभीर साइड इफेक्ट हुआ हो. इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना के गंभीर इन्फेक्शन की एफिकेसी शत-प्रतिशत थी. इनके साथ अच्छी बात यह है कि वैक्सीन लेने के 10 दिन के भीतर ही बॉडी के अंदर कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी बनना शुरू हो गया. शोधकर्ताओं का दावा है कि दो इंजेक्शन के बाद शरीर में पूरी इम्यूनिटी बन जाती है. पहले इंजेक्शन के बाद दूसरा इंजेक्शन 28 दिनों के बाद दिया जाता है.
इम्यून सिस्टम करे स्वीकार तो वैक्सीन सफल
डॉक्टर नटराजन बताते हैं कि इस वैक्सीन के साथ एक बहुत ही अहम रिजल्ट आना अभी बाकी है. वैक्सीन देने के बाद यह देखना पड़ेगा कि जिस व्यक्ति को कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन दी गई है, उनके बॉडी का इम्यून सिस्टम उसे स्वीकार करता है या नहीं. इसे वैक्सीन एसोसिएटेड अनाउंसमेंट ऑफ डिजीज कहते हैं.