बेंगलुरु : कोरोना महामारी की इस चुनौतीपूर्ण अवधि में सरकार ने कई योजनाएं चलाकर लोगों की मदद करने का दावा किया है. हालांकि, अभी भी कई लोग मदद पाने का इंतजार कर रहे हैं. इसी में से एक हैं कर्नाटक के सीके पाटिल, जो कोरोना महामारी के बीच सरकार से मदद की आस लगाए हुए हैं.
पाटिल का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण आठ से अधिक अतिथि व्याख्याताओं (guest lecutrers) की मृत्यु हो गई है. उन्होंने अपील की है कि सरकार मुआवजा देकर इन परिवारों की जरूरतें पूरे करे. पाटिल खुद भी आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
सीके पाटिल कहते हैं कि प्रदेश के राज्यपाल ने अतिथि व्याख्याताओं को 28 फरवरी से सेवा मुक्त (Relieve) कर दिया है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के सेवामुक्त होने के कारण अतिथि व्याख्याताओं के सामने संकट पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि मास्टर और पीएचडी डिग्री धारक शिक्षक अब मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने जा रहे हैं.
खुद अपनी आजीविका के संबंध में सीके पाटिल कहते हैं कि उन्होंने मजबूरी में आम बेचने का विकल्प चुना है. हावेरी के फर्स्ट क्लास कॉलेज के अतिथि व्याख्याता पाटिल ने कहा कि ओइनी में उनका आम के पेड़ों का बाग है. अब वे वहां ऑर्गेनिक आम बेच कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहे हैं.
कोरोना महामारी के बीच शिक्षक की नौकरी छिनने और आम बेचने के सवाल पर पाटिल कहते हैं कि अभी तो गर्मियों का मौसम है, इसलिए बगीचे में लगाए गए आम बेचने से वे अपना पेट पाल ले रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता है कि आम का मौसम समाप्त हो रहा है, ऐसे में उनके सामने दूसरा रास्ता क्या है ?
लेक्चरर सीके पाटिल ने शासन-प्रशासन से मदद करने की अपील की है और कहा है कि सरकार शिक्षकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करे. उन्होंने कहा है कि कोरोना के कारण 8 से अधिक अतिथि व्याख्याताओं (lecturers) की मृत्यु हो चुकी है. ऐेसे में मृतकों के आश्रितों / परिजनों को मुआवजा देने का प्रावधान भी किया जाए.
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उन्होंने प्रदेश की स्थिति को लेकर एक सवाल पर कहा कि कर्नाटक में 420 डिग्री कॉलेज हैं. इन कॉलेजों में अतिथि व्याख्याता के रूप में काम करने वाले 14,447 से अधिक लोग हैं. कोरोना महामारी के कारण शासन ने वेतन नहीं दिया है. इसलिए लेक्चरर्स कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. सीके पाटिल ने कहा, 'वे मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से वेतन देने का अनुरोध कर रहे हैं.'