नई दिल्ली: पिछले असम विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Election) में कांग्रेस की हार के बाद काफी किरकिरी हुई थी. इस को लेकर असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि 'महाजोत' (महागठबंधन) की छत्रछाया में चुनाव लड़ने का एकतरफा फैसला उनका नहीं था.
बोरा ने कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं कि महाजोत के तहत लड़ने का फैसला एक सामूहिक निर्णय था जिसे एआईसीसी ने मंजूरी दे दी थी. कहा कि नई दिल्ली में हुई बैठक में एआईसीसी महासचिव और अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं ने अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनाव लड़ने के कदम का समर्थन किया था.
दरअसल, बोरा का ये बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने एक रिपोर्ट में बताया है कि महाजोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ना पिछले चुनाव में पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण था.
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में पार्टी की हार के कई अन्य कारण बताए हैं. इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि चुनाव परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं था, बोरा ने कहा कि हमने भाजपा और उसके सहयोगियों को कड़ी टक्कर दी. कहा कि महाजोत को राज्य में 50 सीटें मिलीं और महाजोत और कांग्रेस के वोट प्रतिशत का अंतर केवल 0.8 फीसदी था.
उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने का इरादा भाजपा को यह संदेश देना था कि असम के लोग पार्टी को सत्ता से हटाना चाहते हैं. बोरा ने कहा कि पहले हम अकेले भाजपा के खिलाफ लड़े थे. हालांकि इस बार कई अन्य पार्टियों के साथ हमारी सहमति बनी. कहा कि जब भी उनसे ऐसा करने के लिए कहा जाएगा तो वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार सौंपने के लिए तैयार हैं. उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव परिणाम के तुरंत बाद बोरा ने अपना इस्तीफा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया था.