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Congress President Election : 'वफादार' और 'दमदार' गहलोत को कितनी टक्कर दे पाएंगे डिप्लोमेटिक थरूर

Congress President Election काफी दिलचस्प होने वाला है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के चुनावी समर में उतरने की सुगबुगाहट तेज होने से चुनाव होना तय हैं. जानिए किसमें कितना है दम

Congress  President Election Shashi Tharoor Vs Ashok Gehlot
थरूर बनाम अशोक गहलोत (कांसेप्ट फोटो)
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Published : Sep 22, 2022, 5:33 PM IST

Updated : Oct 13, 2022, 5:04 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अधिसूचना जारी करने के बाद से ही देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए औपचारिक रूप से चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की ओर से यह अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी और जरूरी हुआ तो 17 अक्टूबर को मतदान करवाकर 19 अक्टूबर को परिणाम घोषित किये जाएंगे.

Congress  President Election Shashi Tharoor Vs Ashok Gehlot
शशि थरूर बनाम अशोक गहलोत

पिछले कई दिनों से अधिसूचना जारी होने के पहले से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के चुनावी समर में उतरने की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि 22 साल बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रमुख चुनाव के जरिये चुना जाएगा. बीच में जी-23 के नेता किसी और को भी मैदान में उतारने का शिगूफा छोड़ रहे हैं.

Congress President Election 2022  President List
पिछले 50 सालों में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की सूची व कार्यकाल

इंदिरा गांधी के बाद से अब तक
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था. 1960 में उनकी जगह नीलम संजीव रेड्डी ने ले ली. हालांकि उसके बाद वह 1966 में के कामराज के समर्थन से मोरारजी देसाई को हराकर एक साल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लौटीं. इसके बाद आपातकाल के बाद 1977 के राष्ट्रीय चुनाव हारने के बाद, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और 1984 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बनी रहीं. इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी ने इस पद को संभाला. राजीव गांधी की मौत के बाद 1992 से लेकर 1998 तक नेहरू-गांधी परिवार के लोग इस कुर्सी पर नहीं बैठे तो 1994 तक पी. वी. नरसिम्हा राव इस पद रहे और फिर 1996 से लेकर 1998 तक सीताराम केसरी इस पद पर बैठने वाले नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेता रहे. हालांकि उनको 1998 में चुनाव हराकर सोनिया गांधी ने यह कुर्सी हासिल कर ली तब से यह कुर्सी नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में है. 2017 में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को यह कुर्सी पार्टी नेताओं की मांग पर सौंप दी, लेकिन राहुल गांधी कोई करिश्मा करने में नाकामयाब रहे, बल्कि पार्टी के कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर जाने लगे और कांग्रेस की स्थिति खराब होने लगी तो राहुल गांधी ने अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी. इसके बाद से कांग्रेस के कई नेता नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेता को यह कुर्सी सौंपने की मांग करने लगे. तभी सोनिया गांधी के समर्थकों ने 2019 में सोनिया गांधी से फिर से यह कुर्सी संभालने की अपील की तो सोनिया गांधी ने यह जिम्मेदारी स्वीकार कर ली. लेकिन 2022 में कांग्रेस पार्टी की चुनावों हो रही दुर्दशा को देखते हुए नेहरू-गांधी परिवार के बाहर किसी को यह कुर्सी सौंपने की मांग एक बार फिरे से उठने लगी. ऐसे में 22 साल बाद कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है, जिसमें नामांकन से लेकर मतदान तक का 'राजनीतिक ड्रामा' देखने को मिलेगा.

राहुल रहेंगे पदयात्रा पर ऐसे होगा चुनाव
हालांकि कांग्रेस के कई नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अपनी भारत जोड़ो पदयात्रा पर निकले राहुल गांधी फिलहाल रेस से खुद को बाहर कर लिया है. पार्टी के करीबी सूत्रों के अनुसार शशि थरूर अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ेंगे और उसके लिए सोनिया गांधी से मिलकर अनुमति भी ले ली है. साथ में यह भी जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 26 सितंबर को अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे. जिससे अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर बनाम अशोक गहलोत मुकाबला लगभग तय है.

Congress  President Election Shashi Tharoor Vs Ashok Gehlot
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राष्ट्रीय राजनीति में सफरनामा

ऐसे हैं अशोक गहलोत
अशोक गहलोत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता तथा राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं. जोधपुर के मंडोरवा राजपूत परिवार में लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त करने के बाद अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर तक की शिक्षा पा रखी है. अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे गहलोत पहला विधानसभा चुनाव 1977 में लड़ा लेकिन वह कांटे की टक्कर में हार गए थे. इसके बाद 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए. इसके बाद जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्‍व किया.

इसके साथ साथ वह राज्य की राजनीति भी करते रहे सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से फरवरी 1999 में चुनाव जीतकर 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने. जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच गहलोत राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री भी रहे. गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए दिसंबर 2003 को निर्वाचित हुए तथा एक बार फिर से 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए फरवरी 2008 में पुन: निर्वाचित हुए. उसके बाद 14 वीं राजस्थान विधानसभा में उसी सीट से चुनाव जीता और फिर से 15 वीं राजस्थान विधानसभा मे एक बार फिर निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री बने.

इसके उन्‍होंने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रिमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया. वे तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने. जब इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं तो उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्‍बर, 1982 से 7 फ़रवरी 1984 की अवधि में इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे. इसके बाद गहलोत खेल विभाग के उपमंत्री बने. उन्‍होंने 7 फ़रवरी 1984 से 31 अक्‍टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्‍बर, 1984 से 31 दिसम्‍बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया. उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्‍हें केन्‍द्र सरकार में राज्‍य मंत्री बनाया गया. 31 दिसम्‍बर, 1984 से 26 सितम्‍बर, 1985 की अवधि में गहलोत ने केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया. इसके पश्‍चात् उन्‍हें केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाया गया. यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा गहलोत को इसका स्‍वतंत्र प्रभार दिया गया. गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक मंत्री रहे.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में जिम्मेदारी
अशोक गहलोत के संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया. 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. इस दौरान गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी बखूबी निभायी. महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित दांडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण रोल अदा किया.

Congress  President Election Shashi Tharoor Vs Ashok Gehlot
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राज्य की राजनीति में सफरनामा

राजस्‍थान प्रदेश में दी सेवाएं
गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष बनने वाले दिग्गज नेताओं में से एक हैं. पहली बार गहलोत 34 वर्ष की युवावस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बना दिए गये थे. राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्‍बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि का रहा. उसके बाद 1 दिसम्‍बर, 1994 से जून, 1997 तक और फिर जून, 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक तीसरी बार राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष पद पर बैठाए गए. इसके पहले युवा जोश से 1973 से 1979 की अवधि के बीच गहलोत राजस्‍थान NSUI के अध्‍यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके थे. साथ ही उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की. गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष और 1982 में राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहते हुए अपने हुनर का परिचय दिया था.

संबंधित खबर : कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव : गहलोत को राहुल का इशारा, 'वन मैन, वन पोस्ट' का किया समर्थन

ऐसी है शशि थरूर की प्रोफाइल
शशि थरूर भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व राजनयिक के रुप में जाने जाते हैं. 2009 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामने और केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद बनने से पहले 2007 तक वह राजनयिक के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में काम कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र में 29 साल कार्यरत रहने के बाद उनको महासचिव पद पर चुने जाने की उम्मीद थी, लेकिन 2006 के चुनाव में बान की मून ने जब यह पद संभाला तो वह दूसरे स्थान पर थे. इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र छोड़ने का मन बना लिया. 2007 में संयुक्त राष्ट्र छोड़ने के बाद वह 2009 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 2009 में वह 15वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीता. साथ ही यूपीए-1 सरकार में विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री कार्यभार संभाला. इसके बाद 2014 में दोबारा 16वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीता और फिर 2019 में 17वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार संसद में पहुंचने वाले राजनेताओं में शामिल हो गए.

संबंधित खबर : राजस्थानः कांग्रेस अध्यक्ष बनकर भी CM की कुर्सी नहीं छोड़ेंगे गहलोत? दिल्ली में दिया ये फॉर्मूला

शशि थरूर एक एक साहित्यकार, उपन्यासकार और चर्चित लेखक के रुप में जाने जाते हैं. 1981 से अब तक वह भारतीय इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, राजनीति, समाज, विदेश नीति पर 23 किताबें लिख चुके हैं. शशि थरूर ने दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेन्स कॉलेज से पढ़ाई की है और उन्होंने अमेरिका के फ़्लेचर स्कूल ऑफ़ लॉ एंड डिप्लोमेसी से डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है. फिलहाल शशि थरूर कांग्रेस के जी-23 समूह का भी हिस्सा रहे हैं और वह नेहरू-गांधी परिवार के अध्यक्ष पद छोड़ने व किसी और नेता को जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव करने की सिफारिश करते रहे हैं. शशि थरूर अपनी अच्छी अंग्रेज़ी और सोशल मीडिया पर मजबूत सक्रियता से पापुलर लोगों में शामिल हैं. अध्यक्ष पद पर दावेदारी के मामले में कहा था कि "उम्मीद करता हूं ज़्यादा से ज़्यादा लोग आगे आएंगे और अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे. पार्टी और देश के लिए अपना विज़न सामने लाने से जनता के भीतर भी रुचि पैदा होगी."

संबंधित खबर : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी, 24 से शुरू होगा नामांकन

इसके साथ साथ दबे मन से दिग्विजय सिंह भी ताल ठोंकने की चर्चा कर चुके हैं, लेकिन कम समर्थन को देखते हुए वह कदम बढ़ाने से हिचकिचा रहे हैं. साथ ही साथ कांग्रेस पार्टी के पुराने नेताओं और नेहरू गांधी परिवार के वफादारों की सूची में शामिल मल्लिकार्जुन खडगे, मुकुल वासनिक और सुशील कुमार शिंदे जैसे नेताओं के नामों पर चर्चा होती रही है, लेकिन आला कमान की हरी झंडी न मिलने से ये नेता अपने दम पर अध्यक्ष की लड़ाई में कूदने से कतरा रहे हैं. वैसे जी-23 की ओर से शशि थरूर की जगह मनीष तिवारी का नाम भी आगे किया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि अंततोगत्वा लड़ाई किन दावेदारों के बीच होती है.

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नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अधिसूचना जारी करने के बाद से ही देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए औपचारिक रूप से चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की ओर से यह अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी और जरूरी हुआ तो 17 अक्टूबर को मतदान करवाकर 19 अक्टूबर को परिणाम घोषित किये जाएंगे.

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शशि थरूर बनाम अशोक गहलोत

पिछले कई दिनों से अधिसूचना जारी होने के पहले से ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के चुनावी समर में उतरने की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि 22 साल बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रमुख चुनाव के जरिये चुना जाएगा. बीच में जी-23 के नेता किसी और को भी मैदान में उतारने का शिगूफा छोड़ रहे हैं.

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पिछले 50 सालों में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की सूची व कार्यकाल

इंदिरा गांधी के बाद से अब तक
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था. 1960 में उनकी जगह नीलम संजीव रेड्डी ने ले ली. हालांकि उसके बाद वह 1966 में के कामराज के समर्थन से मोरारजी देसाई को हराकर एक साल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लौटीं. इसके बाद आपातकाल के बाद 1977 के राष्ट्रीय चुनाव हारने के बाद, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और 1984 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बनी रहीं. इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी ने इस पद को संभाला. राजीव गांधी की मौत के बाद 1992 से लेकर 1998 तक नेहरू-गांधी परिवार के लोग इस कुर्सी पर नहीं बैठे तो 1994 तक पी. वी. नरसिम्हा राव इस पद रहे और फिर 1996 से लेकर 1998 तक सीताराम केसरी इस पद पर बैठने वाले नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेता रहे. हालांकि उनको 1998 में चुनाव हराकर सोनिया गांधी ने यह कुर्सी हासिल कर ली तब से यह कुर्सी नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में है. 2017 में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को यह कुर्सी पार्टी नेताओं की मांग पर सौंप दी, लेकिन राहुल गांधी कोई करिश्मा करने में नाकामयाब रहे, बल्कि पार्टी के कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर जाने लगे और कांग्रेस की स्थिति खराब होने लगी तो राहुल गांधी ने अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी. इसके बाद से कांग्रेस के कई नेता नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेता को यह कुर्सी सौंपने की मांग करने लगे. तभी सोनिया गांधी के समर्थकों ने 2019 में सोनिया गांधी से फिर से यह कुर्सी संभालने की अपील की तो सोनिया गांधी ने यह जिम्मेदारी स्वीकार कर ली. लेकिन 2022 में कांग्रेस पार्टी की चुनावों हो रही दुर्दशा को देखते हुए नेहरू-गांधी परिवार के बाहर किसी को यह कुर्सी सौंपने की मांग एक बार फिरे से उठने लगी. ऐसे में 22 साल बाद कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है, जिसमें नामांकन से लेकर मतदान तक का 'राजनीतिक ड्रामा' देखने को मिलेगा.

राहुल रहेंगे पदयात्रा पर ऐसे होगा चुनाव
हालांकि कांग्रेस के कई नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अपनी भारत जोड़ो पदयात्रा पर निकले राहुल गांधी फिलहाल रेस से खुद को बाहर कर लिया है. पार्टी के करीबी सूत्रों के अनुसार शशि थरूर अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ेंगे और उसके लिए सोनिया गांधी से मिलकर अनुमति भी ले ली है. साथ में यह भी जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 26 सितंबर को अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे. जिससे अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर बनाम अशोक गहलोत मुकाबला लगभग तय है.

Congress  President Election Shashi Tharoor Vs Ashok Gehlot
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राष्ट्रीय राजनीति में सफरनामा

ऐसे हैं अशोक गहलोत
अशोक गहलोत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता तथा राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं. जोधपुर के मंडोरवा राजपूत परिवार में लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त करने के बाद अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर तक की शिक्षा पा रखी है. अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे गहलोत पहला विधानसभा चुनाव 1977 में लड़ा लेकिन वह कांटे की टक्कर में हार गए थे. इसके बाद 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए. इसके बाद जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्‍व किया.

इसके साथ साथ वह राज्य की राजनीति भी करते रहे सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से फरवरी 1999 में चुनाव जीतकर 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने. जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच गहलोत राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री भी रहे. गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए दिसंबर 2003 को निर्वाचित हुए तथा एक बार फिर से 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए फरवरी 2008 में पुन: निर्वाचित हुए. उसके बाद 14 वीं राजस्थान विधानसभा में उसी सीट से चुनाव जीता और फिर से 15 वीं राजस्थान विधानसभा मे एक बार फिर निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री बने.

इसके उन्‍होंने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रिमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया. वे तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने. जब इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं तो उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्‍बर, 1982 से 7 फ़रवरी 1984 की अवधि में इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे. इसके बाद गहलोत खेल विभाग के उपमंत्री बने. उन्‍होंने 7 फ़रवरी 1984 से 31 अक्‍टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्‍बर, 1984 से 31 दिसम्‍बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया. उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्‍हें केन्‍द्र सरकार में राज्‍य मंत्री बनाया गया. 31 दिसम्‍बर, 1984 से 26 सितम्‍बर, 1985 की अवधि में गहलोत ने केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया. इसके पश्‍चात् उन्‍हें केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाया गया. यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा गहलोत को इसका स्‍वतंत्र प्रभार दिया गया. गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक मंत्री रहे.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में जिम्मेदारी
अशोक गहलोत के संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया. 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. इस दौरान गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी बखूबी निभायी. महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित दांडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण रोल अदा किया.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राज्य की राजनीति में सफरनामा

राजस्‍थान प्रदेश में दी सेवाएं
गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष बनने वाले दिग्गज नेताओं में से एक हैं. पहली बार गहलोत 34 वर्ष की युवावस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बना दिए गये थे. राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्‍बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि का रहा. उसके बाद 1 दिसम्‍बर, 1994 से जून, 1997 तक और फिर जून, 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक तीसरी बार राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष पद पर बैठाए गए. इसके पहले युवा जोश से 1973 से 1979 की अवधि के बीच गहलोत राजस्‍थान NSUI के अध्‍यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके थे. साथ ही उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की. गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष और 1982 में राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहते हुए अपने हुनर का परिचय दिया था.

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ऐसी है शशि थरूर की प्रोफाइल
शशि थरूर भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व राजनयिक के रुप में जाने जाते हैं. 2009 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामने और केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद बनने से पहले 2007 तक वह राजनयिक के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में काम कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र में 29 साल कार्यरत रहने के बाद उनको महासचिव पद पर चुने जाने की उम्मीद थी, लेकिन 2006 के चुनाव में बान की मून ने जब यह पद संभाला तो वह दूसरे स्थान पर थे. इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र छोड़ने का मन बना लिया. 2007 में संयुक्त राष्ट्र छोड़ने के बाद वह 2009 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 2009 में वह 15वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीता. साथ ही यूपीए-1 सरकार में विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री कार्यभार संभाला. इसके बाद 2014 में दोबारा 16वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीता और फिर 2019 में 17वीं लोकसभा में तिरूवनंतपुरम से लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार संसद में पहुंचने वाले राजनेताओं में शामिल हो गए.

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शशि थरूर एक एक साहित्यकार, उपन्यासकार और चर्चित लेखक के रुप में जाने जाते हैं. 1981 से अब तक वह भारतीय इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, राजनीति, समाज, विदेश नीति पर 23 किताबें लिख चुके हैं. शशि थरूर ने दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेन्स कॉलेज से पढ़ाई की है और उन्होंने अमेरिका के फ़्लेचर स्कूल ऑफ़ लॉ एंड डिप्लोमेसी से डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की है. फिलहाल शशि थरूर कांग्रेस के जी-23 समूह का भी हिस्सा रहे हैं और वह नेहरू-गांधी परिवार के अध्यक्ष पद छोड़ने व किसी और नेता को जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव करने की सिफारिश करते रहे हैं. शशि थरूर अपनी अच्छी अंग्रेज़ी और सोशल मीडिया पर मजबूत सक्रियता से पापुलर लोगों में शामिल हैं. अध्यक्ष पद पर दावेदारी के मामले में कहा था कि "उम्मीद करता हूं ज़्यादा से ज़्यादा लोग आगे आएंगे और अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे. पार्टी और देश के लिए अपना विज़न सामने लाने से जनता के भीतर भी रुचि पैदा होगी."

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इसके साथ साथ दबे मन से दिग्विजय सिंह भी ताल ठोंकने की चर्चा कर चुके हैं, लेकिन कम समर्थन को देखते हुए वह कदम बढ़ाने से हिचकिचा रहे हैं. साथ ही साथ कांग्रेस पार्टी के पुराने नेताओं और नेहरू गांधी परिवार के वफादारों की सूची में शामिल मल्लिकार्जुन खडगे, मुकुल वासनिक और सुशील कुमार शिंदे जैसे नेताओं के नामों पर चर्चा होती रही है, लेकिन आला कमान की हरी झंडी न मिलने से ये नेता अपने दम पर अध्यक्ष की लड़ाई में कूदने से कतरा रहे हैं. वैसे जी-23 की ओर से शशि थरूर की जगह मनीष तिवारी का नाम भी आगे किया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि अंततोगत्वा लड़ाई किन दावेदारों के बीच होती है.

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Last Updated : Oct 13, 2022, 5:04 PM IST
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