नई दिल्ली : कन्याकुमारी से कश्मीर तक की जा रही 'भारत जोड़ो यात्रा' को मिल रही सार्वजनिक प्रतिक्रिया से कांग्रेस उत्साहित है. जानकार सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने 2023 में इसके पश्चिम-पूर्वी संस्करण की खोज शुरू कर दी है, लेकिन वह इसे हाइब्रिड रखना चाहती है (Congress may opt for hybrid model for west to east yatra in 2023).
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'चल रही यात्रा बेहद सफल रही है. जनता की प्रतिक्रिया हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक है. हम अगले साल पश्चिम से पूर्व भारत में एक यात्रा चाहते हैं, लेकिन यह एक हाइब्रिड मॉडल हो सकता है, जिसका अर्थ पैदल मार्च और कारों का उपयोग है.' (hybrid model for west to east yatra)
सूत्रों के मुताबिक 2023 यात्रा पर चर्चा तब हुई जब कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने 14 नवंबर को दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली यात्रा समन्वय समिति के सदस्यों के साथ बैठक की. सूत्रों ने कहा कि इस बार की यात्रा लगभग 3,500 किमी की दूरी तय करेगी, वहीं पश्चिम से पूर्व भारत यात्रा का मार्ग 2,600 किमी से 3,000 किमी के बीच हो सकता है. सूत्रों ने कहा कि चर्चा समय के कारण हाइब्रिड मॉडल के इर्द-गिर्द घूमती है.
इस बार की यात्रा 7 सितंबर को शुरू हुई थी जो जनवरी 2023 में समाप्त होनी थी, लेकिन अब इसके फरवरी तक पूरी होने की संभावना है. यानी यात्रा पूरी होने में छह महीने का समय लगेगा. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार अगर 2023 की यात्रा के लिए भी यही पैदल मार्च मॉडल अपनाया जाता है, तो आंदोलन में कम से कम चार महीने लगेंगे.
इसके अलावा, अगर यात्रा अगले साल सितंबर में उसी समय के आसपास शुरू की जाती है, तो यह जनवरी 2024 तक समाप्त होगी. यानी लोकसभा चुनाव का समय बहुत ही करीब होगा. ऐसे में यह व्यवहारिक नहीं होगा. चूंकि यात्रा मार्ग को एक बिंदु से आगे छोटा नहीं किया जा सकता है, ऐसे में इसका एकमात्र तरीका ये है कि यात्रा कम समय में पूरी की जाए.
पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा, 'चल रही यात्रा प्रति दिन लगभग 23-25 किमी की पैदल दूरी तय करती है और इसमें लगभग छह महीने लगेंगे लेकिन 2023 में उतना समय उपलब्ध नहीं हो सकता जब पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कई राज्यों के चुनावों की तैयारी करनी होगी.
उन्होंने कहा, 'इसलिए, पैदल मार्च और कार से यात्रा का मिश्रण उपयुक्त होगा, लेकिन इस मामले पर निर्णय लेना शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर है.' पश्चिम से पूर्व की यात्रा का मुद्दा सबसे पहले नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं ने उठाया था, जिन्होंने दक्षिण से उत्तर की यात्रा शुरू करने से पहले राहुल गांधी से इस संबंध में पूछा था.
जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, 2023 में पश्चिम से पूर्व संस्करण होने का विचार भी भव्य पुरानी पार्टी के भीतर मजबूत होने लगा. पिछले कुछ हफ्तों में पार्टी प्रबंधकों ने संगठन को संगठित करने के लिए असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी इसी तरह के राज्यव्यापी पैदल मार्च निकाले.
हालांकि, कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश (Jairam Ramesh) कहते रहे हैं कि चल रही यात्रा का असर 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में ही दिखाई देगा. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि 2023 यात्रा उस प्रभाव को अधिकतम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
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