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Sibal on hate speech: नफरती भाषण पर कोर्ट के फैसले के बाद सिब्बल बोले, 'कुछ लोगों की राजनीति नफरत पर ही आधारित'

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर राजनेता खेल खेलना बंद कर दें तो सब कुछ चला जाएगा.

Etv Bharat Rajya Sabha member Kapil Sibal
Etv Bharat राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल
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Published : Mar 30, 2023, 11:39 AM IST

Updated : Mar 30, 2023, 12:31 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय द्वारा राजनीति में नफरती भाषण पर की गई टिप्पणी के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह कुछ लोगों के लिए 'चांद मांगने जैसा' है, जिनकी राजनीति नफरत पर आधारित है. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को नफरती भाषणों को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि जिस पल राजनीति व धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, उस समय ऐसे भाषण समाप्त हो जाएंगे.

सिब्बल ने ट्वीट किया, 'उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद होने से नफरती भाषण खत्म हो जाएंगे। यह तो चांद मांगने जैसा है.' पूर्व विधि मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, 'याद है... 1.(लाल कृष्ण) अडवाणी जी की रथ यात्रा. 2.(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) आरएसएस के प्रमुख की 2018 की श्मशान-कब्रिस्तान वाली टिप्पणी. 3. वर्ष 2020 में गोली मारो... वाला बयान आदि. कुछ लोगों की राजनीति नफरत पर ही आधारित है.'

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को उद्धृत करते हुए कहा था कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग एकत्र होते थे.

पढ़ें: NBDSA Guidelines For Hate Speech: 'सामाजिक ताने-बाने पर हानिकारक प्रभाव': NBDSA ने अभद्र भाषा की रोकथाम को जारी किए दिशा-निर्देश

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा था, 'एक बड़ी समस्या तब खड़ी होती है, जब नेता राजनीति को धर्म से मिला देते हैं. जिस पल राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे तथा नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, यह सब बंद हो जाएगा. हमने अपने हालिया फैसले में भी कहा है कि राजनीति को धर्म से मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय द्वारा राजनीति में नफरती भाषण पर की गई टिप्पणी के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह कुछ लोगों के लिए 'चांद मांगने जैसा' है, जिनकी राजनीति नफरत पर आधारित है. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को नफरती भाषणों को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि जिस पल राजनीति व धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, उस समय ऐसे भाषण समाप्त हो जाएंगे.

सिब्बल ने ट्वीट किया, 'उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद होने से नफरती भाषण खत्म हो जाएंगे। यह तो चांद मांगने जैसा है.' पूर्व विधि मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, 'याद है... 1.(लाल कृष्ण) अडवाणी जी की रथ यात्रा. 2.(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) आरएसएस के प्रमुख की 2018 की श्मशान-कब्रिस्तान वाली टिप्पणी. 3. वर्ष 2020 में गोली मारो... वाला बयान आदि. कुछ लोगों की राजनीति नफरत पर ही आधारित है.'

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को उद्धृत करते हुए कहा था कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग एकत्र होते थे.

पढ़ें: NBDSA Guidelines For Hate Speech: 'सामाजिक ताने-बाने पर हानिकारक प्रभाव': NBDSA ने अभद्र भाषा की रोकथाम को जारी किए दिशा-निर्देश

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा था, 'एक बड़ी समस्या तब खड़ी होती है, जब नेता राजनीति को धर्म से मिला देते हैं. जिस पल राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे तथा नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, यह सब बंद हो जाएगा. हमने अपने हालिया फैसले में भी कहा है कि राजनीति को धर्म से मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

पीटीआई-भाषा

Last Updated : Mar 30, 2023, 12:31 PM IST
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