बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने पाठ्यपुस्तक को संशोधित किया है और आरएसएस नेता हेडगेवार, हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर और विचारक सुलिबेले चक्रवर्ती पर आधारित पाठ को हटाने का फैसला किया है. शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि कैबिनेट में आरएसएस नेता हेडगेवार, हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर और विचारक सुलिबेले चक्रवर्ती के अध्यायों को हटाने का फैसला किया गया था, जिन्हें पिछली भाजपा सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया था.
मंत्रीमंडल की बैठक के बाद विधानसभा में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पाठ पुनरीक्षण के मामले में मुख्यमंत्री लगातार रास्ता दिखा रहे हैं. राज्य में संबंधित स्कूली बच्चों तक पाठ्यपुस्तकें पहले ही पहुंच चुकी हैं. साथ ही इस पर अब तक सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. इसलिए दोबारा प्रिंट करना मुश्किल है. लेकिन पूरक संशोधन की गुंजाइश है. उन्होंने कहा कि यह तय किया जा सकता है कि क्या रखा जा सकता है.
रिवीजन के दौरान उन विचारों को दूर किया गया है, जो बच्चों के लिए जरूरी नहीं हैं और गलतफहमी पैदा करते हैं. इसके लिए सिर्फ 5 लोगों की कमेटी बनाई गई थी. पुनरीक्षण समिति में राजप्पा दलवई, राजेश, रवीश कुमार, प्रो टीआर चंद्रशेखर और डॉ अश्वत्थनारायण सहित पांच सदस्य शामिल थे. जब सभी लेखकों ने कहा, तो पिछले पाठ में विचारों के बारे में 45 परिवर्तन किए जाने का विचार किया गया था. शब्दों, वाक्यों और अध्याय के बारे में परिवर्तन की आवश्यकता थी.
लेकिन प्रिंटेड बैकग्राउंड को बदलने में तकनीकी दिक्कत आ रही है. इसलिए इस बार कैबिनेट ने 6वीं से 10वीं तक की पूरक किताबें उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है. सावित्री पुले की पिछली सामग्री को हटाकर वापस जोड़ा गया है. अंबेडकर, नेहरू की बेटी को लिखे पत्र को लेकर एक कविता फिर से शामिल की जा रही है. साथ ही मंत्री ने कहा कि आरएसएस नेता हेडगेवार, हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर और विचारक सुलिबेले चक्रवर्ती पर लिखे टेक्स्ट को हटा दिया गया है.
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार अगले 10 से 15 दिनों में नई कमेटी का गठन कर पाठ्य सामग्री बनाई जाएगी, जो बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर होगी. सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि जल्द एक अच्छी कमेटी बनाई जाए. मंत्री ने बताया कि शिक्षकों को बच्चों के हित में शिक्षण शैली के बारे में अवगत करा दिया गया है. इसके अलावा कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में धर्मांतरण निषेध कानून और एपीएमसी कानून को रद्द करने का फैसला किया गया है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक धार्मिक अधिकार संरक्षण अधिनियम में पिछला संशोधन वापस ले लिया जाएगा और विधेयक को 3 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र में पेश किया जाएगा. वहीं, बोलने वाले मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि एपीएमसी एक्ट को लेकर केंद्र की मंशा साबित नहीं हुई है. APMC का टर्नओवर 600 करोड़ से 100 करोड़ हो गया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में कानून वापस लेने पर सहमति मिल गई है.