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पंजाब विधानसभा चुनाव : चन्नी क्यों मार गए बाजी, सिद्धू रेस में पीछे कैसे छूटे?

चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनावी राजनीति में पहला दांव जीत लिया है. कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू की दावेदारी को दरकिनार कर चरणजीत सिंह के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि, सिद्धू ने कहा है कि वह राहुल गांधी के हर फैसले को मानेंगे. अब यह देखने वाली बात होगी कि वह किस हद तक अपने राजनीतिक 'तेवर' पर काबू रख पाते हैं. इस बीच खबर है कि सुनील जाखड़ नाराज हो गए हैं. उन्होंने चुनाव प्रचार से दूर रहने का फैसला किया है. जाखड़ ने कहा कि वह पार्टी में काम करते रहेंगे.

Congress declared CM Charanjit Channi as Chief minister face in Punjab
Congress declared CM Charanjit Channi as Chief minister face in Punjab
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Published : Feb 7, 2022, 9:10 AM IST

Updated : Feb 7, 2022, 9:39 AM IST

नई दिल्ली : पंजाब चुनाव 2022 के नतीजे तो 10 मार्च को आएंगे, मगर उससे पहले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने खेल के पहले हाफ में बाजी मार ली है. अब वह आधिकारिक तौर से पंजाब में कांग्रेस के चेहरे बन गए हैं. चन्ना पंजाब के पहले ऐसे दलित मुख्यमंत्री हैं, जिसके नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ रही है.

कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले से सीएम पद की दावेदारी कर रहे नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा झटका लगा है. अब संशय यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष का रुतबा भी खो सकते हैं. गौरतलब है कि चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू से उनका मतभेद सामने आ गया था. सिद्धू की ओर से बार-बार सरकार के कामकाज में दखल दिए जाने पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी नाखुश थे, उन्होंने इसकी शिकायत आलाकमान से की थी. इसके अलावा मनीष तिवारी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ जैसे बड़े नेता भी नवजोत सिद्धू की कार्यशैली से नाराज बताए जा रहे थे.

बताया जाता है कि एजी और डीजीपी की नियुक्ति के मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से चन्नी सरकार और केंद्रीय आलाकमान नाराज था. इसका खामियाजा सिद्धू को भुगतना पड़ा. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि दलित को सीएम फेस बनाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है. अगर ऐन मौके पर नवजोत सिद्धू को सीएम कैंडिडेट बनाने का असर उत्तर प्रदेश में भी दिखता. फिलहाल चरणजीत सिंह चन्नी की लॉटरी लग गई है. अगर अब पंजाब में कांग्रेस जीत भी जाती है तो सिद्धू के लिए इसे हजम करना आसान नहीं होगा.

Congress declared CM Charanjit Channi as Chief minister face in Punjab
चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा अन्य दलों के सीएम पद के दावेदार जाट सिख हैं.

राहुल गांधी ने क्यों लिया यह फैसला : पंजाब में कांग्रेस ने अब खुलकर दलित कार्ड खेला है. राज्य में 32 फीसदी दलित वोटर हैं और वह परंपरागत तौर से कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को ही वोट करते रहे हैं. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में करीब 50 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर दलितों का वोट मायने रखता है. आबादी की स्थिति से दोआबा में दलित समुदाय की तादाद ज्यादा है. दोआबा में 37 फीसदी, मालवा में 31 फीसदी और माझा में 29 फीसदी दलित आबादी है. 2022 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने बीएसपी के साथ गठजोड़ किया है. ऐसे में दलित वोट के अकाली दल और बीएसपी गठबंधन में शिफ्ट होने की संभावना थी. रणनीतिक तौर से कांग्रेस ने इस संभावना को रोकने की कोशिश की है.

अकाली दल और आप को मिलेगा जाट सिख का वोट! : दलित चेहरे पर दांव लगाकर कांग्रेस ने बहुत बड़ा रिस्क लिया है. पंजाब में जाट सिखों की आबादी हमेशा से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक तौर से हावी रही है. 2011 की जनगणना के मुताबिक पंजाब में वोटर्स की संख्या करीब 2.12 करोड़ है. इनमें जाट सिखों की आबादी करीब 25 फ़ीसद मानी जाती है. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में जो सीएम चेहरे सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर प्रमुख जाट सिख ही हैं. आम आदमी पार्टी के सीएम कैंडिडेट भगवंत मान और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल जाट सिख हैं. पंजाब लोक कांग्रेस और बीजेपी गठबंधन का चेहरा कैप्टन अमरिंदर भी जाट सिखों के राजघराने से हैं. जाट सिख नवजोत सिंह सिद्धू को किनारे लगाने से जाट सिखों का वोट विपक्ष के खाते में जा सकता है.

नवजोत सिंह सिद्धू पहले बयान दे चुके हैं कि उन्हें पार्टी का फैसला मंजूर होगा. 10 मार्च को तय होगा कि कांग्रेस का यह फैसला कितना सटीक साबित हुआ है.

पढ़ें : क्या पंजाब विधानसभा चुनाव में बनेगा दलित वोटरों का वोट बैंक ?

पढ़ें : पंजाब की सत्ता के पांच दावेदार, मगर जीतेगा वही, जो जीतेगा मालवा

नई दिल्ली : पंजाब चुनाव 2022 के नतीजे तो 10 मार्च को आएंगे, मगर उससे पहले सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने खेल के पहले हाफ में बाजी मार ली है. अब वह आधिकारिक तौर से पंजाब में कांग्रेस के चेहरे बन गए हैं. चन्ना पंजाब के पहले ऐसे दलित मुख्यमंत्री हैं, जिसके नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ रही है.

कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले से सीएम पद की दावेदारी कर रहे नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा झटका लगा है. अब संशय यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष का रुतबा भी खो सकते हैं. गौरतलब है कि चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू से उनका मतभेद सामने आ गया था. सिद्धू की ओर से बार-बार सरकार के कामकाज में दखल दिए जाने पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी नाखुश थे, उन्होंने इसकी शिकायत आलाकमान से की थी. इसके अलावा मनीष तिवारी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ जैसे बड़े नेता भी नवजोत सिद्धू की कार्यशैली से नाराज बताए जा रहे थे.

बताया जाता है कि एजी और डीजीपी की नियुक्ति के मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से चन्नी सरकार और केंद्रीय आलाकमान नाराज था. इसका खामियाजा सिद्धू को भुगतना पड़ा. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि दलित को सीएम फेस बनाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है. अगर ऐन मौके पर नवजोत सिद्धू को सीएम कैंडिडेट बनाने का असर उत्तर प्रदेश में भी दिखता. फिलहाल चरणजीत सिंह चन्नी की लॉटरी लग गई है. अगर अब पंजाब में कांग्रेस जीत भी जाती है तो सिद्धू के लिए इसे हजम करना आसान नहीं होगा.

Congress declared CM Charanjit Channi as Chief minister face in Punjab
चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा अन्य दलों के सीएम पद के दावेदार जाट सिख हैं.

राहुल गांधी ने क्यों लिया यह फैसला : पंजाब में कांग्रेस ने अब खुलकर दलित कार्ड खेला है. राज्य में 32 फीसदी दलित वोटर हैं और वह परंपरागत तौर से कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को ही वोट करते रहे हैं. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में करीब 50 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर दलितों का वोट मायने रखता है. आबादी की स्थिति से दोआबा में दलित समुदाय की तादाद ज्यादा है. दोआबा में 37 फीसदी, मालवा में 31 फीसदी और माझा में 29 फीसदी दलित आबादी है. 2022 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने बीएसपी के साथ गठजोड़ किया है. ऐसे में दलित वोट के अकाली दल और बीएसपी गठबंधन में शिफ्ट होने की संभावना थी. रणनीतिक तौर से कांग्रेस ने इस संभावना को रोकने की कोशिश की है.

अकाली दल और आप को मिलेगा जाट सिख का वोट! : दलित चेहरे पर दांव लगाकर कांग्रेस ने बहुत बड़ा रिस्क लिया है. पंजाब में जाट सिखों की आबादी हमेशा से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक तौर से हावी रही है. 2011 की जनगणना के मुताबिक पंजाब में वोटर्स की संख्या करीब 2.12 करोड़ है. इनमें जाट सिखों की आबादी करीब 25 फ़ीसद मानी जाती है. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में जो सीएम चेहरे सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर प्रमुख जाट सिख ही हैं. आम आदमी पार्टी के सीएम कैंडिडेट भगवंत मान और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल जाट सिख हैं. पंजाब लोक कांग्रेस और बीजेपी गठबंधन का चेहरा कैप्टन अमरिंदर भी जाट सिखों के राजघराने से हैं. जाट सिख नवजोत सिंह सिद्धू को किनारे लगाने से जाट सिखों का वोट विपक्ष के खाते में जा सकता है.

नवजोत सिंह सिद्धू पहले बयान दे चुके हैं कि उन्हें पार्टी का फैसला मंजूर होगा. 10 मार्च को तय होगा कि कांग्रेस का यह फैसला कितना सटीक साबित हुआ है.

पढ़ें : क्या पंजाब विधानसभा चुनाव में बनेगा दलित वोटरों का वोट बैंक ?

पढ़ें : पंजाब की सत्ता के पांच दावेदार, मगर जीतेगा वही, जो जीतेगा मालवा

Last Updated : Feb 7, 2022, 9:39 AM IST
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