नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि अभियोजन पक्ष की चूक की वजह से अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के सभी 67 आरोपी बरी कर दिए गए. साथ ही पार्टी ने उम्मीद जतायी कि न्याय मिलने में भले ही देरी हो, लेकिन उससे इंकार नहीं किया जाएगा. पार्टी ने कहा कि वह इस मामले पर नजर रखेगी और वह इस जघन्य अपराध के कारण जान गंवाने वालों और उनके परिवारों के साथ है. अहमदाबाद स्थित विशेष जांच दल (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस. के. बक्शी की अदालत ने नरोदा गाम दंगों से जुड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे. इसी दौरान नरोदा गाम में दंगे हुए थे. इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी. इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया था.
कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, 'हम बयान जारी करने के लिए अदालत के विस्तृत फैसले का इंतजार करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष की ओर से अपनी भूमिका निभाने में स्पष्ट रूप से चूक हुई है. अभियोजन पक्ष और अभियोजक इसके खिलाफ तुरंत व गंभीरता से आगे अपील करके इस बात को झूठा साबित कर सकते हैं.' उन्होंने कहा, 'न्याय एक अधिकार है जिसे निरंतर निगरानी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मामले पर नजर रखेगी. हम जघन्य अपराध के कारण जान गंवाने वालों और उनके परिवारों के प्रति अपना समर्थन दोहराते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भले ही न्याय में देरी हो, लेकिन उससे इंकार नहीं किया जाएगा.'
पीड़ितों के परिवारों के एक वकील ने कहा कि फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जाएगी क्योंकि उन्हें 'न्याय नहीं मिला.' वहीं आरोपियों और उनके रिश्तेदारों ने घटना के 21 साल से अधिक समय बाद आए इस फैसले को 'सत्य की जीत' करार दिया है.
पीटीआई-भाषा