नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) मामले में अपनी जांच में एक आकस्मिक और लापरवाह दृष्टिकोण के लिए यह देखते हुए फटकार लगाई कि आरोपी की गिरफ्तारी उसकी गिरफ्तारी के आधार से पहले हुई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी जतिंदर पाल सिंह की जमानत याचिका मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की.
ईडी ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने मेसर्स एस्टोनिशिंग प्राइवेटे लिमिटेड नाम की कंपनी से 6.60 करोड़ रुपये का कपड़ा खरीदा और इसे 12.23 करोड़ रुपये में मेसर्स श्री श्याम धानी ट्रेडिंग कंपनी को बेच दिया. इसके साथ यह भी आरोप लगाया गया था कि दोनों कंपनियां फर्जी और अप्राप्य थीं, और अनुसूचित अपराधों से संबंधित आपराधिक गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली अवैध कमाई कर रही थी. इसके चलते जतिंदर पाल सिंह को 31 दिसंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था.
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ईडी और बचाव पक्ष के वकील दोनों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, 'ऐसा लगता है कि तत्काल मामले की जांच में शामिल अधिकारियों ने पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की अनुमति प्राप्त करते समय अपने विशेष निदेशक के सामने खुलासा न करके अपने स्वयं के विशेष निदेशक को धोखा देने का प्रयास किया है.'