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Uniform Civil Code: माहौल बनाने में जुटी बीजेपी, 2024 के चुनाव में पार्टी बनायेगी मुद्दा - भाजपा यूसीसी

क्या भारतीय जनता पार्टी जल्द ही कॉमन सिविल कोड (Uniform Civil Code) को देश में लागू करने जा रही है? या फिर 2024 से पहले इस पर मात्र माहौल बनाने की कोशिश है? आखिर क्यों बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अचानक ही कॉमन सिविल कोड की जरूरत पर बल दे रहे हैं. क्या है अंदर की राजनीति? ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

Uniform Civil Code
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Published : May 2, 2022, 8:53 PM IST

Updated : May 2, 2022, 10:18 PM IST

नई दिल्ली: देश के बीजेपी शासित राज्यों से अचानक ही कॉमन सिविल कोड (Uniform Civil Code) लागू करने की मांग उठने लगी है. बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्य में सामान्य नागरिक संहिता लागू करने पर जोर देना शुरू कर दिया है. कुछ मुख्यमंत्रियों ने तो इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू कर दी है. दरअसल जबसे भोपाल दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों में कॉमन सिविल कोड लागू करने के संकेत दिए, तभी से इस मामले ने तूल पकड़ लिया. खास तौर पर भाजपा शासित राज्यों में यह मांग उठनी शुरू हो गई.

उत्तराखंड ने की पहल: सबसे पहले भाजपा शासित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही राज्य में कॉमन सिविल कोड लागू करने संबंधित ऐलान कर दिया. इस दिशा में कार्य करते हुए एक कमेटी भी बना दी. बस फिर क्या था यह मामला देश के अन्य राज्यों में भी सियासत का मुद्दा बन गया. उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी ईटीवी भारत से कहा कि कॉमन सिविल कोड को लेकर वह अपने राज्य में भी चर्चा करेंगे और इस पर बात होनी चाहिए.

यूपी में भी उठी मांग: उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद से ही कॉमन सिविल कोड लागू किए जाने की मांग तूल पकड़ रही है. उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म हो जाने के तुरंत बाद यह मांग उठने लगी कि देश के सभी राज्यों में कॉमन सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए. इस क्रम में प्रदेश के कई नेता आवाज उठा चुके हैं. सबसे पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव ने कॉमन सिविल कोड की जरूरत पर बल दिया. इसके बाद बीजेपी नेताओं ने एक के बाद एक इस पर बयान देना शुरू कर दिया. जिनमें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने भी बयान दिया और देश में इसकी जरुरत पर बल दिया. बीजेपी शासित गोवा में पहले से ही कॉमन सिविल कोड लागू है. गोवा का निर्माण 1961 में हुआ और इससे पहले ही पुर्तगीज शासनकाल में गोवा में कॉमन सिविल कोड को लागू किया गया था.

क्या है कॉमन सिविल कोड: सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या है कॉमन सिविल कोड? दरअसल, यह एक ऐसा कानून है जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे सभी मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा. यह भारतीय संविधान की अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है. जिसमें यह कहा गया है कि भारत में सभी धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून लागू किया जाना चाहिए.

माहौल बनाने की तैयारी: देखा जाए तो भाजपा के एजेंडे में पहले से ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात मेनिफेस्टो में कही जाती रही है. इसके अलावा धारा 370 और राम मंदिर के निर्माण का एजेंडा पार्टी पहले ही सुलझा चुकी है. इसीलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 में बीजेपी कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर के निर्माण के मुद्दों को प्रमुखता से चुनाव प्रचार में लागू करेगी. इसी वजह से चर्चा यह भी है कि 2024 से पहले देश में केंद्र सरकार, कॉमन सिविल कोड को लागू भी कर सकती है.

क्या कहते हैं मुस्लिम स्कॉलर: एक तरफ भाजपा यह माहौल बनाने की कोशिश कर रही है कि कॉमन सिविल कोड मुसलमानों के खिलाफ है. वहीं मुस्लिम स्कॉलर्स का यह कहना है कि यह मुसलमानों को भ्रमित करने की स्थिति है. मगर कॉमन सिविल कोड मुसलमानों के खिलाफ नहीं है और जो बहकावे में आ रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए. सभी को दूरदृष्टि अपनाते हुए कॉमन सिविल कोड पर सहमति दिखानी चाहिए ना कि विरोध करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- अनुच्छेद 370, CAA, ट्रिपल तलाक के बाद अब कॉमन सिविल कोड की बारी : अमित शाह

बीजेपी नेता ने क्या कहा: इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरलीधर राव ने कहा कि समान आचार संहित भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई नया विषय नहीं है. अन्य मुद्दों के साथ-साथ शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी कॉमन सिविल कोड लाने की बात करती रही है. एक-एक करके बीजेपी ने अपने सारे संकल्पों और वायदों को पूरा किया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी के शासन काल में ही कश्मीर से 370 हटाई गई. मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक हटाया गया. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. अब यदि कॉमन सिविल कोड लाने की बात होती है, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह भाजपा के एजेंडे में शामिल है.

नई दिल्ली: देश के बीजेपी शासित राज्यों से अचानक ही कॉमन सिविल कोड (Uniform Civil Code) लागू करने की मांग उठने लगी है. बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्य में सामान्य नागरिक संहिता लागू करने पर जोर देना शुरू कर दिया है. कुछ मुख्यमंत्रियों ने तो इस दिशा में कार्रवाई भी शुरू कर दी है. दरअसल जबसे भोपाल दौरे के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों में कॉमन सिविल कोड लागू करने के संकेत दिए, तभी से इस मामले ने तूल पकड़ लिया. खास तौर पर भाजपा शासित राज्यों में यह मांग उठनी शुरू हो गई.

उत्तराखंड ने की पहल: सबसे पहले भाजपा शासित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही राज्य में कॉमन सिविल कोड लागू करने संबंधित ऐलान कर दिया. इस दिशा में कार्य करते हुए एक कमेटी भी बना दी. बस फिर क्या था यह मामला देश के अन्य राज्यों में भी सियासत का मुद्दा बन गया. उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी ईटीवी भारत से कहा कि कॉमन सिविल कोड को लेकर वह अपने राज्य में भी चर्चा करेंगे और इस पर बात होनी चाहिए.

यूपी में भी उठी मांग: उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद से ही कॉमन सिविल कोड लागू किए जाने की मांग तूल पकड़ रही है. उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म हो जाने के तुरंत बाद यह मांग उठने लगी कि देश के सभी राज्यों में कॉमन सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए. इस क्रम में प्रदेश के कई नेता आवाज उठा चुके हैं. सबसे पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी प्रगतिशील पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव ने कॉमन सिविल कोड की जरूरत पर बल दिया. इसके बाद बीजेपी नेताओं ने एक के बाद एक इस पर बयान देना शुरू कर दिया. जिनमें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने भी बयान दिया और देश में इसकी जरुरत पर बल दिया. बीजेपी शासित गोवा में पहले से ही कॉमन सिविल कोड लागू है. गोवा का निर्माण 1961 में हुआ और इससे पहले ही पुर्तगीज शासनकाल में गोवा में कॉमन सिविल कोड को लागू किया गया था.

क्या है कॉमन सिविल कोड: सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या है कॉमन सिविल कोड? दरअसल, यह एक ऐसा कानून है जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे सभी मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा. यह भारतीय संविधान की अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है. जिसमें यह कहा गया है कि भारत में सभी धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून लागू किया जाना चाहिए.

माहौल बनाने की तैयारी: देखा जाए तो भाजपा के एजेंडे में पहले से ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात मेनिफेस्टो में कही जाती रही है. इसके अलावा धारा 370 और राम मंदिर के निर्माण का एजेंडा पार्टी पहले ही सुलझा चुकी है. इसीलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 में बीजेपी कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर के निर्माण के मुद्दों को प्रमुखता से चुनाव प्रचार में लागू करेगी. इसी वजह से चर्चा यह भी है कि 2024 से पहले देश में केंद्र सरकार, कॉमन सिविल कोड को लागू भी कर सकती है.

क्या कहते हैं मुस्लिम स्कॉलर: एक तरफ भाजपा यह माहौल बनाने की कोशिश कर रही है कि कॉमन सिविल कोड मुसलमानों के खिलाफ है. वहीं मुस्लिम स्कॉलर्स का यह कहना है कि यह मुसलमानों को भ्रमित करने की स्थिति है. मगर कॉमन सिविल कोड मुसलमानों के खिलाफ नहीं है और जो बहकावे में आ रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए. सभी को दूरदृष्टि अपनाते हुए कॉमन सिविल कोड पर सहमति दिखानी चाहिए ना कि विरोध करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- अनुच्छेद 370, CAA, ट्रिपल तलाक के बाद अब कॉमन सिविल कोड की बारी : अमित शाह

बीजेपी नेता ने क्या कहा: इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरलीधर राव ने कहा कि समान आचार संहित भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई नया विषय नहीं है. अन्य मुद्दों के साथ-साथ शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी कॉमन सिविल कोड लाने की बात करती रही है. एक-एक करके बीजेपी ने अपने सारे संकल्पों और वायदों को पूरा किया है. इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी के शासन काल में ही कश्मीर से 370 हटाई गई. मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा तीन तलाक हटाया गया. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. अब यदि कॉमन सिविल कोड लाने की बात होती है, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह भाजपा के एजेंडे में शामिल है.

Last Updated : May 2, 2022, 10:18 PM IST
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