नई दिल्ली : भारत-म्यांमार सीमा के पास मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में असम राइफल्स के काफिले पर विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने शनिवार को हमला किया था. इस घातक हमले में दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. अब इस उग्रवादी संगठन ने इस घटना पर बयान जारी किया है. पीएलए ने नागरिकों की मौत को अफसोसजनक बताया है. हमले में कर्नल विप्लव त्रिपाठी के साथ असम राइफल्स के पांच जवान शहीद हुए थे. हमले में कर्नल की पत्नी और बेटे भी मारे गए थे.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की पैरैंट संस्था- रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'हाल ही में घात लगाकर किए गए हमले में एक मां और एक बच्चे की मौत हो गई, यह बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण था.'
आरपीएफ ने कहा, हमें काफिले में मां-बच्चे की उपस्थिति का कोई पूर्व ज्ञान नहीं था. अगर हमें पता होता, तो स्थिति कुछ और होती.
दरअसल इस क्षेत्र में आदिवासी जातीय समुदाय जैसे नागा और कुकी आदि रहते हैं. ऐसे में पीएलए/आरपीएफ का खेद जताने का कदम हमले की व्यापक निंदा के कारण हो सकता है. माना जाता है कि पीएलए और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट की संयुक्त टीम वाले विद्रोही, म्यांमार के अंदर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के भीतर स्थित अपने जंगल शिविरों से भारतीय क्षेत्र की ओर आ गए हैं.
पूर्व में हमले नहीं करने का दिया हवाला
संगठन ने कोमकेइरक (Komkeirak), कीसमथोंग (Keisamthong) और कई अन्य जगहों का भी हवाला दिया जहां उसने महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति के कारण हमलों को स्पष्ट रूप से रद्द कर दिया था. उसका कहना है कि उन उदाहरणों के बारे में भारतीय सेना और मणिपुर पुलिस को पूरी जानकारी है. इसने बीएसएफ के पूर्व अतिरिक्त डीजी संजीव कृष्ण सूद के हवाले से कहा: '... मणिपुर के उग्रवादियों ने उस समय अतिरिक्त क्षति से बचने के लिए काफिले पर हमला नहीं किया था.
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विज्ञप्ति में इस कथन को नकारा गया है कि पीएलए और उसकी मूल संस्था-रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) - बहुत पुराने यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का हिस्सा हैं.
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गौरतलब है कि मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हुए हमले में कर्नल विप्लव त्रिपाठी के साथ अर्धसैनिक बल (असम राइफल्स) के पांच जवान भी शहीद हुए थे. इस हमले का शिकार कर्नल विप्लव की पत्नी और उनका छह साल का बेटा भी हुआ था. असम राइफल्स को भारत-म्यांमार की संवेदनशील सीमा की सुरक्षा में तैनात किया गया है. मणिपुर दशकों से सबसे अधिक उग्रवाद प्रभावित राज्यों में से एक रहा है, जहां एक समय लगभग 42 विद्रोही संगठन थे. लगभग 15 अभी भी सक्रिय हैं, जिनमें से कई प्रतिबंधित हैं. शांति के लिए अधिकांश संगठनों की सरकार के साथ बातचीत चल रही है.
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