नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस पार्टी बहुमत के आंकड़े से काफी आगे निकलती दिखाई दे रही है. तो वहीं कांग्रेस पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री बनने के लिए होड़ व लॉबिंग शुरू हो गयी है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में फिलहाल दो चेहरे प्रमुख रूप से सामने आ रहे हैं. कुछ लोग पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को फिर से राज्य की कमान सौंपने के पक्ष में हैं तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री पद के लिए डीके शिवकुमार को आगे किया जाना चाहिए, जिन्होंने अपने दम पर कांग्रेस को राज्य में भाजपा से संघर्ष करने लायक बनाया है.
होगी दूसरे भूपेश बघेल की तलाश
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस पार्टी की जीत का असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ-साथ अन्य राज्यों की विधानसभाओं पर दिखेगा. इसलिए कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री पद पर किसी ऐसे ही व्यक्ति की ताजपोशी करेगी जो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह राज्य में अपने कार्यों के साथ अन्य राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए तन-मन-धन से जुट सके. क्योंकि कांग्रेस को इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं और सबका असर लोकसभा के चुनाव पर होने वाला है. इसलिए यहां पर पार्टी आलाकमान किसी ऐसे व्यक्ति सत्ता सौंपेगा, जो राज्य के विकास के साथ साथ पार्टी के हित के लिए भी काम कर सके.
डैमेज कंट्रोल भी करेगी पार्टी
विधानसभा चुनाव के परिणाम जैसे ही कांग्रेस के फेवर में आता दिखने लगा तो मुख्यमंत्री के दावेदारों पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदारों मे पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार पर खुद अपना दावा पेश नहीं किया है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे ने अपने पिता के पक्ष में बयानबाजी करके माहौल के गरमा दिया है. लेकिन कांग्रेस के दूसरे धड़े ने कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया है. ऐसा भी हो सकता है कि दो दावेदारों की लड़ाई में सत्ता किसी और के हाथ में न चली जाय. लेकिन लिंगायत नेता के रूप में सिद्धारमैया की उपेक्षा पार्टी के लिए आसान नहीं है, लेकिन डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी कोई फॉर्मूला निकाल सकती है.
जीत के बाद वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि वह जीत से खुश हैं और इस जीत का श्रेय अपने कार्यकर्ताओं और अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दे रहे हैं, जिन्होंने इतनी मेहनत करके भाजपा के झूठ का पर्दाफाश किया है और पार्टी को सत्ता में लाने की जी-तोड़ मेहनत की है. डीके शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने पार्टी की कमान संभालने के बाद से ही राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को जीत का आश्वासन दे दिया था.
भावनात्मक लहजे में सोनिया गांधी का आभार
डीके शिवकुमार ने जीत के बाद भावनात्मक लहजे में कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी का आभार जताया और कहा कि वह कभी नहीं भूल सकते हैं कि सोनिया गांधी उनसे मिलने के लिए जेल में आयीं थीं. उस समय उन्होंने पार्टी व राज्य के हितों के संघर्ष के चलते पद पर रहने के बजाय जेल में रहना अधिक पसंद किया था. पार्टी के द्वारा दी गयी जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बाद इतनी शानदार जीत दिलाने वाले डीके शिवकुमार का पलड़ा भारी दिख रहा है. इसीलिए वह खामोशी से काम कर रहे हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अपना नाम उछालने से बच रहे हैं
मल्लिकार्जुन खड़गे की पसंद का रखा जाएगा ध्यान
जबकि नेता प्रतिपक्ष के रूप में सिद्धारमैया को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला व अभियान समिति के अध्यक्ष एमबी पाटिल व घोषणापत्र मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. जी परमेश्वर सहित तमाम नेताओं की भी राय शायद कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के फेवर में ही जाय.
हालांकि इसका फैसला विधायक दल की बैठक के साथ साथ आलाकमान के द्वारा मल्लिकार्जुन खड़गे की सहमति से ही किया जाएगा, लेकिन अबकी बार कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार का पलड़ा मजबूत दिख रहा है, लेकिन अनुभव और आखिरी चुनाव व राजनीतिक पारी का इमोशन पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की लॉटरी लगवा सकता है.
इसे भी पढ़ें... Chief Minister race in Karnataka : मतगणना के रुझान पर ही मुख्यमंत्री का उछलने लगा नाम, सिद्धारमैया के बेटे ने किया दावा