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Associate of Hafiz Saeed gunned down : लश्कर सरगना हाफिज सईद का करीबी सहयोगी कराची में ढेर

लश्कर सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) का करीबी पाकिस्तान में मारा गया है. कराची में कुछ बंदूकधारियों ने उसे गोली मार दी. इससे पहले एक मौलाना की भी इसी तरह हत्या हुई थी.

Mufti Qaiser Farooq Hafiz Saeed
मुफ्ती कैसर फारूक हाफिज सईद
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By IANS

Published : Oct 1, 2023, 6:36 PM IST

नई दिल्ली: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सरगना हाफिज सईद के करीबी मुफ्ती कैसर फारूक (Mufti Qaiser Farooq) की पाकिस्तान के कराची में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

भारत में 26/11 हमले के पीछे हाफिज सईद को मास्टरमाइंड माना जाता है. इस महीने की शुरुआत में, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक अन्य मौलवी मौलाना जिया उर रहमान की भी कराची में दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. हमलावरों ने उस समय वारदात को अंजाम दिया था जब वह नियमित शाम की सैर थे.

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियां जिया उर रहमान और मुफ्ती कैसर दोनों को धार्मिक मौलवियों के रूप में दर्शाने के लिए प्रयास कर रही हैं. वे साबित करना चाहती हैं कि इनका हाफिज सईद और लश्कर से कोई संबंध नहीं है.

पहले भी मारे जा चुके कई : इससे पहले, आईएसआई से जुड़ा एक अन्य व्यक्ति परमजीत सिंह पंजवार भी मारा गया था. परमजीत सिंह खालिस्तान कमांडो फोर्स का नेता था. फरवरी में, हिजबुल मुजाहिदीन को उस समय झटका लगा जब उसके लॉन्च कमांडर और सैयद सलाहुद्दीन के करीबी सहयोगी बशीर पीर को रावलपिंडी में आईएसआई मुख्यालय और सैन्य चौकी के पास अज्ञात हमलावरों ने मार डाला था. हमलावरों ने उसे नजदीक से गोली मारी थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी.

इन हालिया हत्याओं के बाद, पाकिस्तान की आईएसआई ने अपनी कई 'संपत्तियों' को सुरक्षित स्थानों पर रख दिया है, जिससे देश के सैन्य-औद्योगिक परिसर में बेचैनी पैदा हो गई है.

सितंबर में लश्कर गुर्गों क्रमश- रावलकोट में अबू कासिम कश्मीरी और नाज़िमाबाद में कारी खुर्रम शहजाद की हत्याओं के कारण इन संपत्तियों की सुरक्षा में सावधानी की आवश्यकता और भी अधिक स्पष्ट हो गई.

कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक संदिग्ध आतंकवादी रहमान 12 सितंबर को मारा गया था. घटनास्थल से स्थानीय पुलिस को 11 कारतूस मिले थे. वह जामिया अबू बकर में एक प्रशासक के रूप में काम कर रहा था, एक मदरसा जिसका इस्तेमाल उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक मुखौटे के रूप में किया जाता था.

पाकिस्तान पुलिस ने हत्या को 'आतंकवादी हमला' करार दिया, जिसमें घरेलू उग्रवादियों की संलिप्तता की बात कही गई है. इसके अतिरिक्त, जांचकर्ता हत्या के संभावित उद्देश्यों में से एक के रूप में गिरोह प्रतिद्वंद्विता की संभावना तलाश रहे हैं.

रहमान की हत्या कराची में धार्मिक प्रचारकों पर हमलों की एक श्रृंखला के बाद हुई है, जो सभी आईएसआई के माध्यम से आतंकवादी समूहों से जुड़े थे, और भारत के प्रति युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और एकजुट करने में शामिल थे.

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नई दिल्ली: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) सरगना हाफिज सईद के करीबी मुफ्ती कैसर फारूक (Mufti Qaiser Farooq) की पाकिस्तान के कराची में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

भारत में 26/11 हमले के पीछे हाफिज सईद को मास्टरमाइंड माना जाता है. इस महीने की शुरुआत में, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक अन्य मौलवी मौलाना जिया उर रहमान की भी कराची में दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. हमलावरों ने उस समय वारदात को अंजाम दिया था जब वह नियमित शाम की सैर थे.

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियां जिया उर रहमान और मुफ्ती कैसर दोनों को धार्मिक मौलवियों के रूप में दर्शाने के लिए प्रयास कर रही हैं. वे साबित करना चाहती हैं कि इनका हाफिज सईद और लश्कर से कोई संबंध नहीं है.

पहले भी मारे जा चुके कई : इससे पहले, आईएसआई से जुड़ा एक अन्य व्यक्ति परमजीत सिंह पंजवार भी मारा गया था. परमजीत सिंह खालिस्तान कमांडो फोर्स का नेता था. फरवरी में, हिजबुल मुजाहिदीन को उस समय झटका लगा जब उसके लॉन्च कमांडर और सैयद सलाहुद्दीन के करीबी सहयोगी बशीर पीर को रावलपिंडी में आईएसआई मुख्यालय और सैन्य चौकी के पास अज्ञात हमलावरों ने मार डाला था. हमलावरों ने उसे नजदीक से गोली मारी थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी.

इन हालिया हत्याओं के बाद, पाकिस्तान की आईएसआई ने अपनी कई 'संपत्तियों' को सुरक्षित स्थानों पर रख दिया है, जिससे देश के सैन्य-औद्योगिक परिसर में बेचैनी पैदा हो गई है.

सितंबर में लश्कर गुर्गों क्रमश- रावलकोट में अबू कासिम कश्मीरी और नाज़िमाबाद में कारी खुर्रम शहजाद की हत्याओं के कारण इन संपत्तियों की सुरक्षा में सावधानी की आवश्यकता और भी अधिक स्पष्ट हो गई.

कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक संदिग्ध आतंकवादी रहमान 12 सितंबर को मारा गया था. घटनास्थल से स्थानीय पुलिस को 11 कारतूस मिले थे. वह जामिया अबू बकर में एक प्रशासक के रूप में काम कर रहा था, एक मदरसा जिसका इस्तेमाल उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक मुखौटे के रूप में किया जाता था.

पाकिस्तान पुलिस ने हत्या को 'आतंकवादी हमला' करार दिया, जिसमें घरेलू उग्रवादियों की संलिप्तता की बात कही गई है. इसके अतिरिक्त, जांचकर्ता हत्या के संभावित उद्देश्यों में से एक के रूप में गिरोह प्रतिद्वंद्विता की संभावना तलाश रहे हैं.

रहमान की हत्या कराची में धार्मिक प्रचारकों पर हमलों की एक श्रृंखला के बाद हुई है, जो सभी आईएसआई के माध्यम से आतंकवादी समूहों से जुड़े थे, और भारत के प्रति युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और एकजुट करने में शामिल थे.

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