ETV Bharat / bharat

भारत में जलवायु परिवर्तन का गहरा असर, सौ फीसदी बढ़ेगा लू का कहर : अध्ययन

जलवायु परिवर्तन से भारत में गर्मी में चलने वाली लू में सौ फीसदी तक इजाफा होने की संभावना है. ऐसी संभावना यूनाइटेड किंगडम के मौसम विभाग ने अपने अध्ययन के दौरान जुटाए गए आंकड़ों के आथार पर कही है. उनके अनुसार पहले ऐसी घटना 300 साल पर होती थी परंतु अब भारत में ऐसी घटना 3.1 साल पर हो रही है और यही हाल रहा तो ऐसी घटना हर 1.15 साल में देखने को मिलेगी.

लू की घटनाओं में होगा
लू की घटनाओं में होगा
author img

By

Published : May 19, 2022, 1:50 PM IST

Updated : May 19, 2022, 2:29 PM IST

लंदन : जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है. इस दौरान चलने वाली गर्म हवा की लहरों अर्थात लू में भी इजाफा हुआ है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं में 100 फीसदी तक बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है. ऐसा दावा कोई और नहीं बल्कि यूके मेट ने अपने अध्ययन के आधार पर किया है. बुधवार को जारी किए गए विश्लेषण का मतलब है कि हर 300 साल में एक बार होने वाली अत्यधिक तापमान की घटनाएं अब हर तीन साल में होने की संभावना है. अध्ययन ने 2010 में अप्रैल और मई में दर्ज किए गए रिकॉर्ड तापमान से अधिक होने की संभावना का अनुमान लगाया. जिसमें साल 1900 के बाद से सबसे अधिक संयुक्त औसत अप्रैल और मई का तापमान देखा गया.

एट्रिब्यूशन अध्ययन, जो किसी विशेष मौसम की घटना पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बताता है कि साल 2010 में औसत तापमान से अधिक गर्मी की लहर की प्राकृतिक संभावना 312 वर्षों में एक बार थी. हालांकि, वर्तमान जलवायु परिदृश्य में संभावनाएं हर 3.1 साल में एक बार बढ़ जाती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि सदी के अंत तक हर 1.15 साल में एक बार हीट वेव की संभावना बढ़ जाएगी.

क्लाइमेट एट्रिब्यूशन में मेट ऑफिस साइंस फेलो प्रोफेसर पीटर स्टॉट ने एक बयान में कहा, "हाल के दिनों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने के साथ यह स्पष्ट है कि वर्तमान गर्मी की लहर लोगों और उसकी आजीविका को प्रभावित करने वाली एक चरम मौसम घटना है." हालांकि एक नए रिकॉर्ड की संभावना है, जलवायु वैज्ञानिकों को महीने के अंत तक इंतजार करना होगा - जब अप्रैल-मई की अवधि के सभी तापमान रिकॉर्ड एकत्र किए गए हैं - यह देखने के लिए कि वर्तमान गर्मी की लहर पूराने अर्थात 2010 के रिकॉर्ड से अधिक होगी या नहीं.

अध्ययन का निर्माण करने वाले निकोस क्रिस्टिडिस ने कहा, "अप्रैल और मई के दौरान गर्मी के मंत्र हमेशा क्षेत्र की प्री-मानसून जलवायु की एक विशेषता रही है." "हमारे रिसर्च से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन इन मंत्रों की गर्मी की तीव्रता को रिकॉर्ड-ब्रेकिंग तापमान को 100 गुना अधिक बना रहा है. सदी के अंत तक बढ़ते जलवायु परिवर्तन से हर साल औसतन इन मूल्यों के तापमान में वृद्धि होने की संभावना है.

यह भी पढ़ें-असम के 27 जिलों में बाढ़ का कहर, साढ़े छह लाख लोग प्रभावित

पीटीआई

लंदन : जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है. इस दौरान चलने वाली गर्म हवा की लहरों अर्थात लू में भी इजाफा हुआ है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं में 100 फीसदी तक बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है. ऐसा दावा कोई और नहीं बल्कि यूके मेट ने अपने अध्ययन के आधार पर किया है. बुधवार को जारी किए गए विश्लेषण का मतलब है कि हर 300 साल में एक बार होने वाली अत्यधिक तापमान की घटनाएं अब हर तीन साल में होने की संभावना है. अध्ययन ने 2010 में अप्रैल और मई में दर्ज किए गए रिकॉर्ड तापमान से अधिक होने की संभावना का अनुमान लगाया. जिसमें साल 1900 के बाद से सबसे अधिक संयुक्त औसत अप्रैल और मई का तापमान देखा गया.

एट्रिब्यूशन अध्ययन, जो किसी विशेष मौसम की घटना पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बताता है कि साल 2010 में औसत तापमान से अधिक गर्मी की लहर की प्राकृतिक संभावना 312 वर्षों में एक बार थी. हालांकि, वर्तमान जलवायु परिदृश्य में संभावनाएं हर 3.1 साल में एक बार बढ़ जाती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि सदी के अंत तक हर 1.15 साल में एक बार हीट वेव की संभावना बढ़ जाएगी.

क्लाइमेट एट्रिब्यूशन में मेट ऑफिस साइंस फेलो प्रोफेसर पीटर स्टॉट ने एक बयान में कहा, "हाल के दिनों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने के साथ यह स्पष्ट है कि वर्तमान गर्मी की लहर लोगों और उसकी आजीविका को प्रभावित करने वाली एक चरम मौसम घटना है." हालांकि एक नए रिकॉर्ड की संभावना है, जलवायु वैज्ञानिकों को महीने के अंत तक इंतजार करना होगा - जब अप्रैल-मई की अवधि के सभी तापमान रिकॉर्ड एकत्र किए गए हैं - यह देखने के लिए कि वर्तमान गर्मी की लहर पूराने अर्थात 2010 के रिकॉर्ड से अधिक होगी या नहीं.

अध्ययन का निर्माण करने वाले निकोस क्रिस्टिडिस ने कहा, "अप्रैल और मई के दौरान गर्मी के मंत्र हमेशा क्षेत्र की प्री-मानसून जलवायु की एक विशेषता रही है." "हमारे रिसर्च से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन इन मंत्रों की गर्मी की तीव्रता को रिकॉर्ड-ब्रेकिंग तापमान को 100 गुना अधिक बना रहा है. सदी के अंत तक बढ़ते जलवायु परिवर्तन से हर साल औसतन इन मूल्यों के तापमान में वृद्धि होने की संभावना है.

यह भी पढ़ें-असम के 27 जिलों में बाढ़ का कहर, साढ़े छह लाख लोग प्रभावित

पीटीआई

Last Updated : May 19, 2022, 2:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.