ETV Bharat / bharat

समाज के प्रति छात्रों की विशेष जिम्मेदारी है : सीजीआई

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice of India) ने गुरुवार को कहा कि छात्रों की समाज के प्रति एक विशेष जिम्मेदारी (students have a special responsibility ) है

etv bharat
सीजीआई
author img

By

Published : Dec 9, 2021, 10:01 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice of India) ने गुरुवार को कहा कि छात्रों की समाज के प्रति एक विशेष जिम्मेदारी (students have a special responsibility ) है और वे सार्वजनिक बहस और सामाजिक आर्थिक वास्तविकताओं से अलग-थलग नहीं रह सकते.

उन्होंने कहा कि छात्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का चेहरा (face of Indian independece movement) रहे हैं, उन्होंने ऐसे मुद्दों को उठाया है, जिन्होंने राजनीतिक दलों को उनको अपनाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन पिछले कुछ दशकों में छात्र समुदाय से कोई बड़ा नेता सामने नहीं आया है.

सीजेआई रमना ने दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (National law University) के आठवें दीक्षांत समारोह में कानून स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप आत्मकेंद्रित नहीं रह सकते. देश की विचार प्रक्रिया पर संकीर्ण और पक्षपातपूर्ण मुद्दों को हावी न होने दें. अंततः यह हमारे लोकतंत्र और हमारे राष्ट्र की प्रगति को नुकसान पहुंचाएगा.

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से अदालतों में अभ्यास करने वाले वकीलों के रैंक में तुलनीय जोड़ नहीं बनाया जा रहा है.

CJI ने कहा, 'हालांकि आरामदायिक जीवन चुनना गलत नहीं है, मुझे उम्मीद है कि आप इस देश के भविष्य के लिए सेवा का जीवन भी चुनेंगे.दुर्भाग्य से, आजकल मानविकी और प्राकृतिक विज्ञान जैसे समान रूप से महत्वपूर्ण विषयों की कुल उपेक्षा के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.'

अत्यधिक लाभकारी नौकरी के अवसरों (profitable job opportunities) को सुरक्षित करने की चिंता में बच्चों को निजी तौर पर संचालित आवासीय स्कूलों और कोचिंग सेंटरों ( privately run residential schools and coaching centres) में भेजा जाता है.

उन्होंने ने कहा कि छात्रों को उस भूमिका पर चिंतन करना चाहिए जो वे सामाजिक संवर्धन और राष्ट्र के परिवर्तन के लिए निभा सकते हैं और खुद से पूछें क्या मैं समाधान का हिस्सा बन सकता हूं?

पढ़ें - बंगाल सरकार ने ऑपइंडिया संपादक के खिलाफ मामला वापस लिया, सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना

कोर्ट रूम फिल्मों या मूर कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने वालों की तरह नहीं होते हैं. तंग कोर्ट रूम, टूटी हुई कुर्सी पर बैठे जज, स्टेनोग्राफर और कोर्ट मास्टर्स को बिना पर्याप्त व्यवस्था के कोर्ट में उपस्थित होना, रेस्ट रूम आदि का न होना एक आम दृश्य होगा, सीजेआई ने छात्रों को कानूनी पेशे में आने वाली बाधाओं के बारे में आगाह किया.

उन्होंने जॉन एफ कैनेडी के एक उद्धरण के साथ अपना भाषण समाप्त किया. यह मत पूछो कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है - पूछें कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice of India) ने गुरुवार को कहा कि छात्रों की समाज के प्रति एक विशेष जिम्मेदारी (students have a special responsibility ) है और वे सार्वजनिक बहस और सामाजिक आर्थिक वास्तविकताओं से अलग-थलग नहीं रह सकते.

उन्होंने कहा कि छात्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का चेहरा (face of Indian independece movement) रहे हैं, उन्होंने ऐसे मुद्दों को उठाया है, जिन्होंने राजनीतिक दलों को उनको अपनाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन पिछले कुछ दशकों में छात्र समुदाय से कोई बड़ा नेता सामने नहीं आया है.

सीजेआई रमना ने दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (National law University) के आठवें दीक्षांत समारोह में कानून स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप आत्मकेंद्रित नहीं रह सकते. देश की विचार प्रक्रिया पर संकीर्ण और पक्षपातपूर्ण मुद्दों को हावी न होने दें. अंततः यह हमारे लोकतंत्र और हमारे राष्ट्र की प्रगति को नुकसान पहुंचाएगा.

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से अदालतों में अभ्यास करने वाले वकीलों के रैंक में तुलनीय जोड़ नहीं बनाया जा रहा है.

CJI ने कहा, 'हालांकि आरामदायिक जीवन चुनना गलत नहीं है, मुझे उम्मीद है कि आप इस देश के भविष्य के लिए सेवा का जीवन भी चुनेंगे.दुर्भाग्य से, आजकल मानविकी और प्राकृतिक विज्ञान जैसे समान रूप से महत्वपूर्ण विषयों की कुल उपेक्षा के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.'

अत्यधिक लाभकारी नौकरी के अवसरों (profitable job opportunities) को सुरक्षित करने की चिंता में बच्चों को निजी तौर पर संचालित आवासीय स्कूलों और कोचिंग सेंटरों ( privately run residential schools and coaching centres) में भेजा जाता है.

उन्होंने ने कहा कि छात्रों को उस भूमिका पर चिंतन करना चाहिए जो वे सामाजिक संवर्धन और राष्ट्र के परिवर्तन के लिए निभा सकते हैं और खुद से पूछें क्या मैं समाधान का हिस्सा बन सकता हूं?

पढ़ें - बंगाल सरकार ने ऑपइंडिया संपादक के खिलाफ मामला वापस लिया, सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना

कोर्ट रूम फिल्मों या मूर कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने वालों की तरह नहीं होते हैं. तंग कोर्ट रूम, टूटी हुई कुर्सी पर बैठे जज, स्टेनोग्राफर और कोर्ट मास्टर्स को बिना पर्याप्त व्यवस्था के कोर्ट में उपस्थित होना, रेस्ट रूम आदि का न होना एक आम दृश्य होगा, सीजेआई ने छात्रों को कानूनी पेशे में आने वाली बाधाओं के बारे में आगाह किया.

उन्होंने जॉन एफ कैनेडी के एक उद्धरण के साथ अपना भाषण समाप्त किया. यह मत पूछो कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है - पूछें कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.