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गलती से बॉर्डर पार कर गए लोगों के लिए देश वापसी आसान नहीं होती

सीमा पर रहने वालों के सामने अक्सर एक समस्या आती है, जब उनके अपने किसी न किसी वजह से बॉर्डर क्रॉस कर जाते हैं. इनमें से अधिकांश अपने मवेशी या पक्षियों की देखभाल के दौरान ऐसा करते हैं. उन्हें अंदाजा भी नहीं होता है कि ऐसा करते समय वह कितनी बड़ी मुसीबत में फंसने वाले हैं. और फिर उनका मामला कोर्ट में चला जाता है, जहां सालों तक केस चलते रहते हैं. जब तक उन्हें छोड़ा जाता है, तब तक उनकी जिंदगी का ऊर्जावान समय बर्बाद हो चुका होता है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के मामलों में बेहतर हो कि दोनों देशों के प्रतिनिधि आपस में बैठकर ऐसे केस को सुलझा लें, ताकि निर्दोष युवकों का भविष्य खराब न हो.

pakistani youngsters stranded
गलती से बॉर्डर पार कर गए नागरिकों को देश वापसी की आस
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Published : Jul 17, 2022, 12:41 PM IST

नई दिल्ली : पिछले साल नवंबर का एक ठंडा दिन था जब असमद अली (14) अपने कबूतरों के साथ खेल रहा था, और कुछ पक्षियां झुंड से अलग हो गई. वह उनका पीछा करने के लिए दौड़ा. अपने पक्षियों के पीछे भागते हुए वह थक गया लेकिन वह पक्षियों को पकड़ नहीं पाया. थका हुआ असमद अली अब घर वापस जाने के लिए लौटा. पर उसने खुद को कुछ वर्दीधारियों से धिरा देखा. इससे पहले असमद कुछ समझ पाता उन वर्दीधारियों ने उसे रोका और झुक जाने के लिए कहा. उसकी जेबें चेक की गईं और लंबी पूछताछ शुरू हुई. असमद डर से कांप रहा था जब उसे बताया गया कि जिस जमीन पर वह खड़ा है वह भारत की है.

पढ़ें: BSF बनी बजरंगी भाई जान, पाकिस्तानी बच्चे को पाक रेंजरों को सौंपा

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के टाट्रिनोट गांव के युवा लड़के को भारतीय सेना ने सीमा पार करते हुए पकड़ा था. कुछ कागजी कार्रवाई के बाद, असमद को जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया. उसके खिलाफ इग्रेस एंड इंटरनल मूवमेंट ऑर्डिनेंस (E&IMCO) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जुवेनाइल अदालत में मुकदमा शुरू हुआ था. आठ महीने हो गए हैं कि वह रणबीर सिंह पुरा जिले के एक जुवेनाइल गृह में पाकिस्तान लौटने की प्रतीक्षा कर रहा है. 16 वर्षीय खय्याम मकसूद की कहानी भी इससे अलग नहीं है. मकसूद भी अगस्त 2021 में सीमा पार कर भारत आ गया था. किशोर न्याय बोर्ड में उसका मुकदमा भी चल रहा है. इस दौरान, मकसूद एक बार भी अपने परिवार से बात नहीं कर पाया है.

पढ़ें: जम्मू कश्मीर : मेंढर पुंछ में संदिग्ध ड्रोन दिखने पर सुरक्षाबलों ने चलाई गोली

सामाजिक कार्यकर्ता राहुल कपूर, जो अस्मद अली की रिहाई के लिए काम कर रहे हैं ने मीडिया से कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की सीमा पार कर जाने की घटना नई नहीं है. यह हर साल अक्सर होता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब इस मामले में विवरण के लिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, तो इसे गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया. गृह मंत्रालय ने सवालों का जवाब नहीं दिया. रक्षा विशेषज्ञ मारूफ रजा को लगता है कि पीओके में सीमा पार करना आसान नहीं है और अगर फिर भी ऐसा होता है तो सेना यह सुनिश्चित करती है कि उस व्यक्ति से पूरी तरह से पूछताछ और जांच की जाए. कई मामलों में सेना ने अनजाने में सीमा पार करने वाले नागरिकों को वापस भेजा भी है.

पढ़ें: इंडो-पाक बॉर्डर पर बटालियन कमांडर लेवल की मीटिंग, सीमा सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा

रक्षा विशेषज्ञ मारूफ रजा ने कहा कि यदि सेना को लगता है कि इन बच्चों के साथ कुछ भी संदिग्ध नहीं था और वे वास्तव में गलती से सीमा पार कर गए थे, तो सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें उनके देश वापस सौंप दिया जाए. मध्यस्थता से मुद्दों को सुलझाना दोनों पक्षों के लिए हमेशा बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का समय बर्बाद किए बिना समाधान के तरीके खोजना हमेशा एक बेहतर विकल्प होता है.

नई दिल्ली : पिछले साल नवंबर का एक ठंडा दिन था जब असमद अली (14) अपने कबूतरों के साथ खेल रहा था, और कुछ पक्षियां झुंड से अलग हो गई. वह उनका पीछा करने के लिए दौड़ा. अपने पक्षियों के पीछे भागते हुए वह थक गया लेकिन वह पक्षियों को पकड़ नहीं पाया. थका हुआ असमद अली अब घर वापस जाने के लिए लौटा. पर उसने खुद को कुछ वर्दीधारियों से धिरा देखा. इससे पहले असमद कुछ समझ पाता उन वर्दीधारियों ने उसे रोका और झुक जाने के लिए कहा. उसकी जेबें चेक की गईं और लंबी पूछताछ शुरू हुई. असमद डर से कांप रहा था जब उसे बताया गया कि जिस जमीन पर वह खड़ा है वह भारत की है.

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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के टाट्रिनोट गांव के युवा लड़के को भारतीय सेना ने सीमा पार करते हुए पकड़ा था. कुछ कागजी कार्रवाई के बाद, असमद को जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया. उसके खिलाफ इग्रेस एंड इंटरनल मूवमेंट ऑर्डिनेंस (E&IMCO) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जुवेनाइल अदालत में मुकदमा शुरू हुआ था. आठ महीने हो गए हैं कि वह रणबीर सिंह पुरा जिले के एक जुवेनाइल गृह में पाकिस्तान लौटने की प्रतीक्षा कर रहा है. 16 वर्षीय खय्याम मकसूद की कहानी भी इससे अलग नहीं है. मकसूद भी अगस्त 2021 में सीमा पार कर भारत आ गया था. किशोर न्याय बोर्ड में उसका मुकदमा भी चल रहा है. इस दौरान, मकसूद एक बार भी अपने परिवार से बात नहीं कर पाया है.

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सामाजिक कार्यकर्ता राहुल कपूर, जो अस्मद अली की रिहाई के लिए काम कर रहे हैं ने मीडिया से कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की सीमा पार कर जाने की घटना नई नहीं है. यह हर साल अक्सर होता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब इस मामले में विवरण के लिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, तो इसे गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया. गृह मंत्रालय ने सवालों का जवाब नहीं दिया. रक्षा विशेषज्ञ मारूफ रजा को लगता है कि पीओके में सीमा पार करना आसान नहीं है और अगर फिर भी ऐसा होता है तो सेना यह सुनिश्चित करती है कि उस व्यक्ति से पूरी तरह से पूछताछ और जांच की जाए. कई मामलों में सेना ने अनजाने में सीमा पार करने वाले नागरिकों को वापस भेजा भी है.

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रक्षा विशेषज्ञ मारूफ रजा ने कहा कि यदि सेना को लगता है कि इन बच्चों के साथ कुछ भी संदिग्ध नहीं था और वे वास्तव में गलती से सीमा पार कर गए थे, तो सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें उनके देश वापस सौंप दिया जाए. मध्यस्थता से मुद्दों को सुलझाना दोनों पक्षों के लिए हमेशा बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का समय बर्बाद किए बिना समाधान के तरीके खोजना हमेशा एक बेहतर विकल्प होता है.

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