नई दिल्ली : लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के अध्यक्ष पद से बेदखल किए जाने के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बुधवार को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले की दखल देने की अपील की है.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान चिराग पासवान ने खुद को पीएम मोदी का 'हनुमान' बताया था.
एक साक्षात्कार में चिराग ने कहा, 'हनुमान का वध होने पर राम चुप रहें, यह ठीक नहीं है.' जमुई से सांसद चिराग ने कहा कि सतयुग के समय से लेकर आज तक रामायण में देखा गया कि हनुमान जी ने हर कदम पर भगवान राम का साथ दिया.
उन्होंने कहा, 'हनुमान हर कदम पर भगवान राम के साथ चले और उसी तरह, उनकी पार्टी लोजपा हर छोटे-बड़े फैसले पर नरेंद्र मोदी जी के साथ खड़ी रही है.'
चिराग पासवान ने कहा, हनुमान के रूप में लोजपा हर फैसले पर भाजपा के साथ मजबूती से खड़ी रही, आज जब लोजपा पर संकट की घड़ी आई है, तो उम्मीद है कि वह हस्तक्षेप करेगी, और किसी तरह मामले को सुलझाने की कोशिश करेगी. लेकिन भाजपा की चुप्पी ने मुझे जरूर दुखी किया है. फिर भी, मैं कहूंगा कि मुझे पीएम पर पूरा भरोसा है कि स्थिति को नियंत्रण में लेकर वह इस राजनीतिक विवाद को सुलझाने में जरूर दखल देंगे.
चिराग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भाजपा इस मामले में हस्तक्षेप करेगी और लोजपा पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए उनके चाचा पशुपति पारस के साथ विवाद को सुलझाएगी.
सूत्रों ने रविवार को कहा कि चिराग पासवान ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पार्टी के चुनाव चिह्न पर अधिकार की मांग की है. पशुपति पारस के नेतृत्व वाले लोजपा गुट द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय, राज्य कार्यकारिणी और विभिन्न प्रकोष्ठों की समितियों को भंग करने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया.
चिराग का नीतीश पर हमला
चिराग ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. हालांकि, नीतीश ने लोजपा में फूट के पीछे किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है.
लोजपा में फूट के पीछे नीतीश की भूमिका पर चिराग ने कहा, 'हर कोई जानता है. यह एक खुला रहस्य है. लोग जानते हैं कि इसके पीछे कौन है. यह पहली बार नहीं है कि सीएम ने हमारी पार्टी में दरार पैदा करने की कोशिश की. यह उनकी कार्यशैली रही है. 2005 में, जब हमारे 29 विधायक जीते थे, नीतीश कुमार ने हमारी पार्टी को तोड़ा था. उन्होंने विधानसभा चुनाव 2020 में विजयी हुए हमारे एक विधायक को तोड़ने का काम किया. तोड़ने की उनकी परंपरा रही है, फिर वह किस चेहरे से कह रहा है कि उनकी कोई भूमिका नहीं है.'
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जूनियर पासवान ने आगे कहा कि अगर नीतीश चाहते हैं कि उनकी ताकत याद दिलाई जाए तो सीएम को सिर्फ अपनी ही पार्टी के नेताओं से पूछना चाहिए, जो लोजपा के कारण चुनाव हार गए थे.
परिवार के सदस्यों पर भरोसा करना एकमात्र गलती
लोजपा में फूट की वजह पूछे जाने पर चिराग ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों पर भरोसा करने की एकमात्र गलती की.
चिराग ने कहा, 'मैंने केवल एक ही गलती की थी कि मैंने अपने पिता के मूल्यों का पालन करते हुए अपनों पर अधिक भरोसा किया. जब अपनों ने ही विश्वासघात किया तो किसी और पर उंगली उठाने का कोई कारण नहीं है. हां, शायद मुझसे कहीं कोई गलती हो गई है, मुझे अपने परिवार के सदस्यों पर बहुत भरोसा था.'
13 जून को, लोजपा के छह में से पांच सांसदों के समर्थन से पशुपति पारस, चिराग पासवान की जहग लोकसभा में पार्टी के नेता बन गए. लोकसभा अध्यक्ष ने पारस को निचले सदन में लोजपा के फ्लोर लीडर के रूप में मान्यता भी दे दी है. गत सोमवार को पार्टियों के फ्लोर नेताओं की एक संशोधित सूची में, पारस को लोकसभा लोजपा नेता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
पारस लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं. बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 2000 में लोजपा का गठन किया था. बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता पासवान का अक्टूबर 2020 में निधन हो गया था.